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परमानंद अग्रवाल को हाईकोर्ट ने दिया बडा झटका

1.14 करोड रुपए व बकाया शेष करना होगा अदा

* भुगतान के बिना चुनाव लडने नहीं मिलेगी एनओसी
अमरावती /दि.30- आगामी 28 अप्रैल अमरावती फसल मंडी के प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव होने जा रहे है. जिसकी नामांकन प्रक्रिया आगामी 3 अप्रैल तक चलने वाली है. ऐसे में चुनाव लडने के इच्छूक प्रत्याशियों द्बारा अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन दाखिल करने और चुनाव लडने की तैयारी में जुट गए है. जिनमें अडत खरीददार निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लडने के इच्छूक परमानंद अग्रवाल का भी समावेश है. लेकिन परमानंद अग्रवाल की इच्छाओं और तैयारियों पर कल मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने यह कहते हुए पानी फेर दिया कि, परमानंद अग्रवाल सबसे पहले उन पर बकाया रहने वाले सेस की राशि का भुगतान करें. जिसके बाद भी उन्हें सहकार उपनिबंधक कार्यालय से मंडी संचालक का चुनाव लडने हेतु एनओसी दी जाएगी. ऐसे में अब फसल मंडी के संचालक पद का चुनाव लडने हेतु परमानंद अग्रवाल को 3 अप्रैल से पहले 1 करोड 14 लाख रुपए के बकाया सेस का भुगतान करना होगा अन्यथा वे चुनाव लडने के लिए अपात्र रहेंगे. ऐसे में हाईकोर्ट के इस फैसले पर परमानंद अग्रवाल के लिए काफी बडा झटका माना जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि, फसल मंडी का सेस डूबाने के मामले को लेकर परमानंद अग्रवाल विगत लंबे समय से चर्चा में चल रहे है. साथ ही उनके द्बारा मंडी प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर सेस की चोरी किए जाने के कई मामले भी इससे पहले पकड में आए है. जिनकी जांच करने के बाद मंडी प्रशासन ने परमानंद अग्रवाल पर बकाया राशि के साथ ही पेनॉल्टी भी लगाई है. जिसकी वसूली होना बाकी है. इससे पहले मंडी के संचालकों ने परमानंद अग्रवाल को बकाया सेस की वसूली हेतु एक प्रस्ताव भी पारित किया था. जिसे परमानंद अग्रवाल ने ज्वॉईंट रजिस्ट्रार के समक्ष चुनौति दी थी और ज्वॉईंट रजिस्ट्रार ने सहकार अधिनियम की धारा 43 के तहत मंडी के संचालक मंडल द्बारा पारित प्रस्ताव को रद्द करते हुए परमानंद अग्रवाल को राहत दी थी. लेकिन इस फैसले के खिलाफ मंडी प्रशासन ने हाईकोर्ट में अपील की. जहां पर हाईकोर्ट ने मंडी प्रशासन के इस युक्तिवाद को सही माना कि, इस मामले में कोई भी फैसला देने का अधिकार ज्वॉईंट रजिस्ट्रार के पास नहीं है, बल्कि ऐसे मामलों में धारा 57 (3) के तहत बकाया सेस की वसूली के अधिकार सहकार उपनिबंधक यानि डीडीआर के पास होते है. अत: अमरावती के डीडीआर द्बारा परमानंद अग्रवाल को बकाया सेस की रकम वसूल करने हेतु आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, फसल मंडी के अडत खरीददार निर्वाचन क्षेत्र से संचालक पद का चुनाव लडने के इच्छूक अडत व्यापारी या खरीददार को डीडीआर कार्यालय से अपने उपर किसी भी तरह का फसल मंडी का कोई बकाया नहीं रहने से संबंधित ना हरकत प्रमाणपत्र लेना होता है और इस एनओसी के बिना संबंधित इच्छूक व्यक्ति द्बारा चुनाव भी नहीं लडा जा सकता. ऐसे में चुनाव लडने के इच्छूक परमानंद अग्रवाल को अब यह एनओसी हासिल करने के लिए सबसे पहले अगले दो दिन के दौरान मंडी प्रशासन को अपनी ओर बकाया रहने वाला 1 करोड 14 लाख रुपए का सेस अदा करना होगा. जिसके बाद मंडी प्रशासन द्बारा उन्हें एनओसी देने के बारे में विचार किया जाएगा. ध्यान देने वाली बात यह है कि, आम रामनवमी के पर्व पर सरकारी अवकाश रहने के चलते डीडीआर कार्यालय भी बंद है और नामांकन प्रक्रिया का काम भी नहीं हुआ. वहीं आगामी 2 अप्रैल को रविवार रहने के चलते साप्ताहिक अवकाश रहेगा और सोमवार 3 अप्रैल को मंडी चुनाव के नामांकन प्रक्रिया की अंतिम तिथी है. ऐसे मेें परमानंद अग्रवाल के पास 1 करोड 14 लाख रुपए के बकाया सेस का भुगतान जमा करते हुए डीडीआर कार्यालय से एनओसी प्राप्त करने हेतु 31 मार्च व 1 अप्रैल ऐसे केवल दो दिन का समय शेष है. ऐसे मेें अब सभी की निगाहें इस बात की ओर लगी हुई है कि, क्या इन दो दिनों की अवधि भी परमानंद अग्रवाल द्बारा 1.14 करोड रुपए का भुगतान किया जाता है और यदि वे यह भुगतान कर भी देते है, तो क्या इतनी कम अवधि है. के भीतर परमानंद अग्रवाल से संबंधित सभी खाताबही को देखकर डीडीआर कार्यालय द्बारा उन्हें एनओसी दे दी जाती है. ऐसे में परमानंद अग्रवाल के चुनाव लड पाने अथवा चुनावी रेस से बाहर हो जाने की संभावनाओं को लेकर काफी हद तक उत्सुकता का माहौल है.

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