अमरावती विमानतल के लिए केंद्र सरकार की भी टालमटोल
विविध कारणों के चलते 15 वर्षो से लटका है विकास
अमरावती/दि.5- विभागीय मुख्यालय रहने वाले अमरावती शहर में बेलोरा विमानतल के विकास का काम विगत 15 वर्षो से अटका पडा है. ‘उडे देश का आम आदमी’ यह घोषवाक्य लेकर वर्ष 2016 में केंद्र सरकार व्दारा शुरु की गई ‘उडान योजना’ में अब भी अमरावती का समावेश नहीं हुआ है. ऐसे में अमरावती से विमानसेवा शुरु होना अब भी दूर की कौडी दिखाई दे रहा है और इसे लेकर लगातार टालमटोल जारी है.
बता दें कि उडान योजना में अब तक चार चरण घोषित हो चुके हैं. जिसमें देशभर के 74 व महाराष्ट्र के जलगांव, कोल्हापुर, नांदेड, नाशिक, सिंधुदुर्ग व गोंदिया इन छह विमानतलों को शामिल किया गया है. परंतु बेलोरा विमानतल के लाइसेंस संबंधित दस्तावेजों एवं विकास कामों के प्रलंबित रहने के चलते इस विमानतल को इस योजना से वंचित रहना पडा है. अमरावती विभाग में लगातार बढते उद्योग व व्यवसाय तथा विमान से यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या रहने के बावजूद भी विगत 15 वर्षो से बेलोरा विमानतल पर यात्री विमानों की उडान शुरु नहीं हो पाई है. इसके चलते सर्वसामान्य लोगों व्दारा अब यह सवाल पूछा जा रहा है कि आखिर बेलोरा विमानतल से हवाईजहाजों की नियमित उडाने कब शुरु हो पाएगी.
बता दें कि बेलोरा विमानतल के विकास हेतु 26 जनवरी 2009 को विशेष उद्देश्य कंपनी के तौर पर महाराष्ट्र विमानतल विकास कंपनी यानी एमएडीसी का गठन किया गया था. जिसे 280 करोड रुपए की प्रशासकीय मंजूरी भी प्रदान की गई थी. परंतु विविध कारणों के चलते विमानतल के विकास का काम अधर में लटका रहा. हालांकि इस दौरान रनवे का विस्तृत प्रारुप तैयार किया गया. जिसके अंतिम चरण में एटीआर-72 प्रकार के विमानों की उडान के साथ ही रात के समय विमानों के उडान भरने व विमानतल पर उतरने की सुविधा के साथ ही रनवे की लंबाई को 1372 मीटर से बढाकर 1850 मीटर करने और अन्य कामों के लिए निधि मंजूर किया गया. 24 जुलाई 2019 को विस्तारीकण का भूमिपूजन करते हुए प्रत्यक्ष काम की शुुरुआत भी की गई थी. परंतु एक बार फिर विकास का पहिया उल्टा घूम गया और विमानतल के रनवे को विस्तारीत करने का काम अंतिम चरण में पहुंचकर लटक गया. रनवे के विस्तारीकरण काम के तहत पूरी लंबाई व रनवे का मजबूतीकरण कर दिया गया है. परंतु विगत ढाई वर्ष से निधि के अभाव में अन्य विकास काम रुके पडे हैं.
बेलोरा विमानतल पर बेहद धीमी गति से चल रहे काम के चलते पूर्व राज्यमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में एक जनहीत याचिका दाखिल की है. जिस पर सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र विमानतल विकास कंपनी ने 17 अप्रैल 2024 से विमानतल के विकास और विस्तार से संंबंधित काम पूरे हो जाने के संदर्भ में प्रतिज्ञापत्र पेश किया है. साथ ही यह भी कहा है कि यह काम चार चरणों में पूरा कर लिया जाएगा.
केंद्र सरकार ने गुजरात के ढोलेरा व हिरासत नामक दो ग्रीनफील्ड विमान तलों की ओर ही अपना पूरा ध्यान केंद्रीत किया है और वहां पर भारतीय विमानतल विकास प्राधिकरण व्दारा क्रमश: 1405 तथा 1305 करोड रुपए खर्च किए जाएंगे. वहीं अमरावती के विमानतल पर उडान योजना में अब तक समावेश नहीं हुआ है. जिसके चलते बेलोरा विमानतल को सरकार की ओर से एक भी रुपया नहीं मिलेगा, यह स्पष्ट हो गया है. यानी आज तक जो कुछ भी चल रहा था, उसे हवाहवाई बातें माना जा सकता है. जिनका कोई अर्थ व औचित्य नहीं है.
– डॉ. सुनील देशमुख,
पूर्व राज्यमंत्री