अमरावती

केन्द्रीय दल ने खेतों में हुए नुकसान का निरीक्षण किया

एक ही दिन में ६ तहसीलों का निरीक्षण किया

अमरावती प्रतिनिधि/दि. २१ – केन्द्रीय दल ने रविवार को जिले की कुछ १२ तहसीलों में सीधे खेतों में पहुंचकर सोयाबीन की फसल को हुए नुकसान का निरीक्षण किया. जिले में अतिवृष्टि के बीच येलो मोजेक व खोड क्रीड़ों के कारण सोयाबीन फसल की फल्लियां ही नहीं आ सकी है. अधिकांश तहसीलों में यह नगद फसल पीली पड़ गई है. २ सदस्यी केन्द्रीय दल ने येलो मोजेक व खोड क्रीड़ों से सोयाबीन के नुकसान का आकलन किया.

टीम ने माना येलो मोजेक से नकद फसल चौपट
जिले में सोयाबीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन लिया जाता है. इस वर्ष सोयाबीन पर खोडकीड़ों के साथ विभिन्न बीमारियों का प्रकोप दिखाई दिया. कुछ गांवों में अज्ञात बीमारी के कारण सोयाबीन पीला पडऩे लगा. परिणामत: फूल व फल्लियां भरने की बजाए झडने लगी. जिससे किसान आर्थिक संकट में घिर गया है. हाथ में आयी हुई फसल निकल जाने से केन्द्रीय टीम के माध्यम से सर्वेक्षण की मांग की जा रही थी. आखिरकार केन्द्रीय टीम रविवार की सुबह जिले में पहुंची. केन्द्रीय एकात्मिक कीड़ व्यवस्थापन विभाग की इस टीम में डॉ. शंकरा, प्रल्हाद कोल्हे का समावेश रहा.

सातरगांव, अचलपुर,भातकुली में देखा हाल
इस टीम ने तिवसा तहसील के सातरगांव के नाना कलसकर के खेतों में पहुंचकर सर्वेक्षण किया है. इतना ही नहीं तो किसानों को मार्गदर्शन भी केन्द्रीय टीम के माध्यम से किया गया. इसके बाद तिवसा , मोर्शी, चांदुर बाजार, अचलपुर, भातकुली और अमरावती तहसील के २-२ खेतों में इस टीम ने सर्वेक्षण कर नुकसानग्रस्त सोयाबीन की जानकारी ली. इस दौरान किसानों सवालों के जवाब देते हुए केन्द्रीय टीम ने भी सोयाबीन के नुकसान होने की बात की कबूली .

अमरावती जिले में २५१९.३५ हेक्टेयर पर सोयाबीन की बुआई की गई. उसकी तुलना में मूंग और उड़द की बुआई काफी कम हुई है. जबकि जिले में मूंग, उड़द की संपूर्ण फसल नष्ट हो गई. २५१९.३५ हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन भी ५० से ७५ प्रतिशत चौपट होने की संभावना है. अब केन्द्रीय टीम सोयाबीन को कितना नुकसान घोषित करती है और सोयाबीन उत्पादक किसानों को कितना मुआवजा मिलता है. इसको लेकर किसानों में आस जगी है.

खेतों में पहुंचकर किया सर्वेक्षण
टीम के सदस्यों ने खेतों में पहुंचकर सर्वेक्षण किया.६ तहसीलों के २-२ खेतों में पहुंचकर वहां के किसानों से चर्चा की. किसानों ने भी उनकी व्यवस्था केन्द्रीय टीम के सामने रखी. सोयाबीन का वास्तविक में नुकसान हुआ है, यह सत्य है.
विजय चवाले, जिला अधीक्षक,
कृषि अधिकारी

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