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सभापति राजेंद्र गोरले ने अचानक दिया पद से इस्तीफा

अचलपुर फसल मंडी में जबर्दस्त राजनीतिक उथल-पुथल

* अविश्वास प्रस्ताव आने से पहले ही पद छोडा
* दो वर्ष पहले 12 संचालकों के समर्थन से बने थे अध्यक्ष
* 18 सदस्यीय सदन में फिलहाल केवल 6 संचालक ही साथ
अचलपुर/दि.3 – जिले में अमरावती के बाद दूसरी सबसे बडी फसल मंडी रहने वाली अचलपुर कृषि उत्पन्न बाजार समिति में चल रही जबर्दस्त राजनीतिक उथल पुथल के बीच आज अचलपुर फसल मंडी के सभापति राजेंद्र गोरले ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. जिसके चलते अब क्षेत्र के सहकार नेता अजय पाटिल टवलारकर के गुट से वास्ता रखने वाली प्रतिभा प्रशांत ठाकरे का सभापति बनना लगभग तय माना जा रहा है.
बता दें कि, अचलपुर फसल मंडी में कुल 18 संचालक है. जिनमें कांग्रेस के 10, अजय पाटिल टवलाकर गुट यानि समता पैनल के 3 व प्रहार के 4 संचालकों सहित 1 निर्दलीय संचालक का समावेश है. खास बात यह है कि, कांग्रेस की ओर से संचालक रहने वाले 10 संचालकों में से 2 सदस्य भाजपा समर्थक है. लेकिन वे दोनों भी कांग्रेस जिलाध्यक्ष बबलू देशमुख के पैनल से चुनकर आये थे.
इन 18 सदस्यों में सभापति राजेंद्र गोरले (एकलासपुर) सहित उपसभापति अमोल चिमोटे (बोपापुर) तथा संचालक सतिश पाटिल (टवलार), रवींद्र पाटिल (सालेपुर), गोपाल लहाने (शिंदी बु.), सुधीर रहाटे (इसेगांव), ज्ञानदेव पाटिल (कुष्ठा बु.), प्रतिभा ठाकरे (परतवाडा), वर्षा आवारे (सुरवाडा), बाबूराव गावंडे (सावली बु.), अनिल पवार (बोर्डी), अतुल वाट (पथ्रोट), नितिन आगे (कांडली), अजिंक्य अभ्यंकर (देवमाली), अमोल बोरेकार (सावली डा.), सतीश व्यास (परतवाडा), भावेश अग्रवाल (परतवाडा), महादेव उर्फ पोपट घोडेराव (देवमाली) का समावेश है. इस 18 सदस्यीय संचालक मंडल में से कांग्रेस के 10 व अजय पाटिल टवलारकर गुट के 2 ऐसे कुल 12 संचालकों का समर्थन हासिल करते हुए निर्दलीय संचालक राजेंद्र गोरले दो वर्ष पूर्व अचलपुर फसल मंडी के सभापति निर्वाचित हुए थे. परंतु इन दो वर्षों के दौरान अचलपुर फसल मंडी के कई संचालक तथा क्षेत्र के सहकार नेता अचानक ही सभापति राजेंद्र गोरले के खिलाफ हो गये. जिसके चलते सभापति गोरले के विरुद्ध संचालक मंडल की बैठक मेें अविश्वास प्रस्ताव लाये जाने की तैयारी शुरु कर दी गई. जिसकी भनक लगते ही सभापति राजेंद्र गोरले ने अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाये जाने से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया. जिसके चलते इस समय अचलपुर फसल मंडी में जबर्दस्त राजनीतिक गहमा गहमी मची हुई है.

* मैंने मंडी की आय बढाने के साथ ही पूराने भ्रष्टाचारों को उजागर किया
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर अपनी ओर से जानकारी व प्रतिक्रिया देते हुए अचलपुर फसल मंडी के सभापति पद से इस्तीफा देने वाले राजेंद्र गोरले ने कहा कि, दो वर्ष पहले जब उन्होंने अचलपुर फसल मंडी का सभापति पद संभाला था, तो उस समय अचलपुर फसल मंडी को सालाना मिलने वाला सेस मात्र 1 करोड 70 लाख रुपए के आसपास था. जिसे उन्होंने बढाने का प्रयास किया तथा महज एक वर्ष के भीतर अचलपुर फसल मंत्री का सेस 4 करोड 30 लाख रुपए के आसपास जा पहुंचा. साथ ही बैल बाजार से प्रति सप्ताह होने वाली 15 करोड रुपयों की आय बढकर 60 हजार रुपए प्रति सप्ताह पर जा पहुंची और अचलपुर फसल मंडी ने पहली बार अपनी निधि से फिक्स डिपाझिट किया. इसी दौरान उन्होंने अचलपुर फसल मंडी में उनके कार्यकाल से पहले हुऐ भ्रष्टाचार को खोज निकाला तथा ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर पूर्व सभापति अजय पाटिल टवलारकर पर 1 करोड 52 लाख रुपए की रिकवरी भी निकाली. जिससे चिढकर क्षेत्र के सहकार नेता व अचलपुर मंडी के पूर्व सभापति अजय पाटिल टवलारकर ने कांग्रेस नेता बबलू देशमुख के साथ मिलकर उन्हें सभापति पद से हटाने की योजना बनाई. जिसके तहत अपने पुराने कृत्यों के छिपाने के लिए इन दोनों नेताओं ने अपने समर्थक संचालकों के साथ मिलकर उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रयास शुरु किया. जिसके बारे में जानकारी मिलते ही उन्होंने अल्पमत में आकर पद से हटने की बजाय खुद ही सभापति पद से इस्तीफा देने का निर्णय लिया. राजेंद्र गोरले के मुताबिक यदि वे चाहते, तो अविश्वास प्रस्ताव से बचने हेतु जोडतोड वाली राजनीति कर सकते थे. लेकिन उन्होंने पद की लालसा छोडकर किसानों के बीच जाकर भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करने का निर्णय लिया है.

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