अमरावतीमहाराष्ट्र

चका चका चांदणी यो गोवारिये बिनो गायनसे…….

गोंड-गोवारी समाज ने उत्साह से मनाया ढाल महोत्सव

* कावली में दिन भर रही उत्सव की धूम
धामणगांव रेलवे/दि.7-चका चका चांदणी यो गोवारियो बिना गायनसे कोटा भरे घरघर देवो आशीश गा…इन लोकगीतों से कावली परिसर गूंज उठा. बीरवा की महफिल और डफली की गूंज के साथ विदर्भ के साढे पांच हजार गांवों में आदिवासी गोंड-गोवारी का ढाल महोत्सव बडे ही उत्साह से मनाया गया. धामणगांव तहसील के कावली में ढाल पूजन महोत्सव आयोजित किया गया. इस महोत्सव में आदिवासी बंधुओं ने बडी संख्या में सहभागी होकर ढाल का पूजन किया.
आदिवासी गोंड गोवारी समाज की संस्कृति यानी ढाल पूजन उत्सव, आद्य धर्मगुरु पाहंदी पारी कुपार लींगो व माता जंगो रायताड के प्रतीक में अपने मृत पूर्वजों के रूप में दो मुखी पुरुष की व चार मुखी स्त्री के नाम की ढाल बनाकर लक्ष्मीपूजन के दिन यह पूजा की गई. पाडवा को गोंडगोवारी युवकों ने व पितृतुल्य व्यक्तियों ने पैरों में घुंगरु बांधकर पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किया.
* कावली में विभिन्न कार्यक्रम
कावली में पूरे दिन यह उत्सव मनाया गया. इस उत्सव में जिला परिषद के पूर्व सभापति रामदास निस्ताने, भाजपा व्यापारी आघाडी के प्रदेश सचिव विलास बुटले, आदिवासी गोवारी युवाशक्ति संघ के राज्य संगठक मोहन राउत, विपिन दगडकर, विशाल खडसे, सरपंच जांभले, उपसरपंच संदीप इंगले, गजानन पाटिल, गजानन गुरुभेले, मधुकर नेवारे, किशोर भोयर, योगेश नेवारे, प्रवीण चौधरी, शिवा लसवंते, अतुल नागोसे, गजानन नेवारे, बाबाराव राउत, मुकिंदा कालमेघ, सुदाम ठाकरे, अर्जुन सोनवणे, सहित समाज के सैकडों कार्यकर्ता शामिल हुए.
* परंपरा का जतन कर रहा समाज
आद्य धर्मगुरु पाहंदी पारी कुपार लींगो व माता जंगो रायताड ने मिलकर काटसावरी के पेड के नीचे सगा सामाजिक व्यवस्था निर्माण कर कोया धर्म की स्थापना की और माता कली कंकली के बच्चों को कोया धर्म की दीक्षा प्रदान की थी. जय सेवा का मूलमंत्र देकर समाज में नि:स्वार्थ सेवा भाव से कार्य करने की दृष्टि से समाज संरचना की थी. इसलिए समाज में एक नई दिशा दी. और सगा बिहार (गोंदोला) परिवार में प्रेमभाव और एकदूसरे की नि:स्वार्थ सेवा का भाव निर्माण हुआ. गोवारी (कोपाल) यह जनजाति गोंदोला परिवार का एक हिस्सा है. इसलिए आदिवासी गोंडगोवारी जनजाति काट सावरी के ही पेड के नीचे ढाल पूजा कर खडी करते है.

 

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