अमरावतीमहाराष्ट्र

‘जिला नियोजन’ के सामने निधि खर्च की चुनौती

पालकमंत्री की भूमिका पर जिले के नागरिकों की नजर

अमरावती/दि.16– जिला नियोजन समिति का अब तक मंजूर निधि में से 35 फीसद खर्च हुआ है. विविध काराणों से यह निधि अखर्चित रही. इस कारण दो माह में करोडों की निधि खर्च करने की चुनौती जिला नियोजन समिति के सामने है. अखर्चित निधि बाबत पालकमंत्री कौनसी भूमिका लेते हैं, इस ओर जिले के नागरिकों का ध्यान केंद्रित है.

उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की अध्यक्षता में जिला वार्षिक योजना की राज्यस्तरीय बैठक मंत्रालय के उपममुख्यमंत्री कार्यालय के समिति सभागृह में हाल ही में आयोजित की गई थी. इस अवसर पर अमरावती जिले की समीक्षा उन्होंने की. इस बैठक में ऑनलाइन प्रणाली से जिले के पालकमंत्री चंद्रकांत दादा पाटिल उपस्थित थे. खर्च का नियोजन करने के निर्देश पालकमंत्री ने दिए हैं. जिले के विकास के लिए जिला नियोजन समिति ने 371 करोड रुपए के प्रारुप को मंजूरी दी है. जिले में विविध योजना चलाने के लिए 200 करोड की अतिरिक्त मांग इस अवसर पर की गई. वर्ष 2024-25 इस वित्तिय वर्ष में यह निधि खर्च की जाने वाली है. 2023-24 वित्तिय वर्ष में 395 करोड रुपए के खर्च का नियेाजन किया गया था. अब तक केवल 35 फीसद ही निधि खर्च की गई है. इस कारण शेष निधि खर्च करने की चुनौती विविध यंत्रणा के सामने है. 2023-24 के प्रारुप के मुताबिक 20 करोड रुपए खर्च कर जिले के 66 किमी की ग्रामीण सडके मजबूत करने का नियोजन है. 96 अलग-अलग कामों का भी इसमें समावेश है. इसके अलावा 20 करोड 42 लाख रुपए खर्च कर 65 अन्य जिले के मार्गो के काम भी करना पडेगा. अमरावती मनपा, 10 नगरपालिका और 4 नगर पंचायत में मूलभूत सुविधा उपलब्ध कर देने के लिए जिला नियोजन समिति ने 51 करोड 11 लाख रुपए मंजूर किए थे. क्रीडा क्षेत्र के विकास काम के लिए 4.10 करोड रुपए की निधि का प्रावधान किया गया था. लेकिन इसमें के सभी कामों की गति धीमी हो गई है.

विद्युत विकास और नागरी क्षेत्र में बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जिला नियोजन समिति ने महावितरण के लिए 17 करोड रुपए की निधि का प्रावधान किया था. तीर्थस्थल के विकास के लिए 4.41 करोड रूपए, कोल्हापुरी बांध के काम के लिए 6.41 करोड रुपयों का प्रावधान किया गया था. लेकिन इसमें से अनेक काम अधूरी अवस्था में है.

* स्थगिति के कारण विलंब
राज्य सरकार ने सभी जिलों के जिला नियोजन समिति के प्रारुप को जुलाई 2022 में स्थगिति दी थी. इस कारण निधि रहने के बावजूद विकास काम में दुविधा निर्माण हुई है. यह स्थगिति बाद में हटाई गई. लेकिन संबंधित पालकमंत्री की ही अनुमति से विकास कामों को तकनीकी मंजूरी देने की शर्त लगाई गई. इसका भी परिणाम हुआ.

* प्रशासकीय स्तर पर प्रयास
तकनीकी मंजूरी लेने के प्रयास प्रशासकीय स्तर पर शुरु है. आगामी दो माह में यह निधि संबंधित प्रारुप पर खर्च करना अपेक्षित है. यह निधि वैसे ही पडी रही और शासन के पास वापस गई, तो जिले का बडा नुकसान होने वाला है.

Related Articles

Back to top button