अमरावती

कपास पणन महासंघ द्वारा खरीदी की संभावना धूमिल

केंद्र सरकार की ओर से प्रस्ताव पर निर्णय ही नहीं

अमरावती /दि.15- महाराष्ट्र राज्य कपास उत्पादक पणन महासंघ को भारतीय कपास महामंडल (सीसीआई) के उपअभिकर्ता के तौर पर कपास खरीदी की अनुमति मिले. इस हेतु केंद्र सरकार की ओर पेश किए गए प्रस्ताव पर केंद्र सरकार द्वारा अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. जिसके चलते पणन महासंघ की ओर से कपास खरीदी शुरु किए जाने की संभावना धूमिल हो गई है.
बता दें कि, करीब 12 वर्ष पहले पणन महासंघ द्वारा कपास एकाधिकार योजना चलाई जाती थी. कपास खरीदी में स्पर्धा निर्माण हो और गारंटी मूल्य से किसानों को अधिक दाम मिले. इस हेतु एकाधिकार योजना को बंद किए जाने का दावा सरकार द्वारा किया गया था. एकाधिकार योजना काल के दौरान कपास खरीदी के बाद मिलने वाले फायदे में से कपास उत्पादक किसानों को बोनस दिया जाता था. परंतु किसानों को बोनस मिलना भी काफी समय पहले से बंद हो गया है. वहीं विगत कुछ वर्षों से पणन महासंघ भी कुछ हद तक दुर्दशा का शिकार है. क्योंकि खुले बाजार में गारंटी मूल्य से अधिक दाम मिलने पर किसान भी पणन महासंघ के खरीदी केंद्रों पर नहीं पहुंचते.
केंद्रीय वस्त्रोद्योग मंत्रालय ने विगत कुछ वर्षों से नाफेड की बजाय भारतीय कपास महामंडल को नोडल एजेंसी दे रखी है और पणन महासंघ द्वारा उपअभिकर्ता के तौर पर कपास खरीदी के व्यवस्थाकर्ता है. लेकिन उपअभिकर्ता नियुक्त करने की बजाय मुख्य अभिकर्ता के तौर पर कपास पणन महासंघ को खरीदी की अनुमति मिले. इसके लिए प्रयास किए गए. परंतु केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को अमान्य कर दिया. वहीं इस बार राज्य सरकार द्वारा केंद्रीय वस्त्रोद्योग मंत्रालय को कपास खरीदी हेतु अनुमति के लिए पत्र दिया गया. जिसमें पणन महासंघ को उपअभिकर्ता के तौर पर नियुक्त करने एवं विगत 3 वर्षों से कपास व्यवहार के बकाया रहने वाले 101 करोड रुपए त्वरित मिलने की मांग की गई. लेकिन केंद्र सरकार ने इस पत्र पर भी अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है.
कपास को वर्ष 2023-24 के सीजन में मध्यम धागे के लिए 6 हजार 620 रुपए तथा लंबे धागे के लिए 7 हजार 20 रुपए प्रति क्विंटल का गारंटी मूल्य घोषित हुआ है. विदर्भ के बाजारों में कपास को गारंटी मूल्य के बराबर ही दाम फिलहाल मिल रहे है. परंतु खुले बाजार में दाम घटने पर खरीदी केंद्र शुुरु करने के लिए राज्य सरकार पर दबाव बढ सकता है. ऐसा कृषि अभ्यासकों का मानना है. इस बार कपास की बुआई में कुछ विलंब हुआ. साथ ही बारिश मेें भी काफी व्यवधान रहा. अगस्त से सितंबर माह के दौरान करीब 45 दिन का फसल के लिए आवश्यक व पोषक रहने वाली बारिश नहीं हुई और सभी क्षेत्र में कपास की फसल कम बारिश की वजह से प्रभावित हुई. जिसके लिए कपास की उत्पादकता व गुणवत्ता पर प्रभाव पडा. इस बार किसानों द्वारा गारंटी मूल्य से करीब 20 फीसद अधिक दाम मिलने की उम्मीद की जा रही थी. लेकिन बाजार ने उन्हें निराश किया है. फिलहाल किसानों के खेतों में कपास की बिनाई का काम चल रहा है.

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