* सत्तू सेठ लढ्ढा ने १६ वषार्ें तक संभाली बागडोर
अमरावती/ दि.७- शहर की अग्रगण्य शिक्षा संस्था गणेशदास राठी छात्रालय समिति के हाल ही में हुए निर्विरोध चुनाव में अध्यक्ष चुने गए वसंत बाबू मालपाणी संस्था के १० वें अध्यक्ष हैं. वे सतत तीसरी बार निर्वाचित हुए हैं. संस्था के इतिहास पर द़ृष्टि डाले तो अनेक अध्यक्षों ने एक से अधिक बार कामकाज संभाला. संस्था को प्रगति पथ पर आगे बढाया. वलगांव के सत्यनारायण जी उर्फ सत्तू सेठ लढ्ढा सर्वाधिक १६ वर्षो तक संस्था के अध्यक्ष रहे. इतना ही नहीं तो जयकिसन दम्माणी और डॉ. मोतीलाल राठी के अध्यक्षीय कार्यकाल दौरान सचिव पद का दायित्व भी सत्यनारायण जी लढ्ढा ने प्रभावी ढंग से संभाला था. उनके दौर में संस्था ने यथोचित प्रगति की थी.
* झुनझुनवाला प्रथम अध्यक्ष
१९४९ में गठित गणेशदास राठी छात्रालय समिति के प्रथम अध्यक्ष का मान चंडीप्रसाद जी झुनझुनवाला को प्राप्त हुआ था. वे १९५७ तक संस्था के अध्यक्ष रहे. तत्पश्चात नारायणदास जी लढ्ढा ने संस्था की बागडोर संभाली. उपरांत शहर के प्रसिध्द सिने व्यवसायी शंकरलाल जी राठी के हाथ में कमान आयी. उन्होंने दो बार में करीब १३ वर्षो तक संस्था का नेतृत्व किया. १९६० से १९६४ और १९७६ से १९८३ तक अध्यक्ष पद पर राठी विराजमान रहे. १९६४ से १९७० उपरांंत १९८३ से १९८९ तक बर्तन कारोबारी राधा वल्लभ जी हेडा ने गणेशदास राठी समिति का अध्यक्ष पद सुशोभित किया. १९७० से लगातार दो बार श्रीनिवास जी लढ्ढा समिति के अध्यक्ष रहे. १९८९ में सीताराम जी हेडा ने अध्यक्ष पद संभाला. उपरांत १९९२-९५ दौरान जयकिसन जी दम्माणी अध्यक्ष रहे. १९९५ में साहित्यकार तथा पेशे से चिकित्सक डॉ. मोतीलाल राठी ने सतत दो कार्यकाल समिति अध्यक्ष पद सुशोभित किया. उनके दौर में संस्था द्वारा संचालित महाविद्यालय तथा शालाओं में व्याख्यान माला सहित विविध उपक्रम चलाए गए. २००१ में सत्यनारायण जी लढ्ढा, सचिव पद से आगे बढे. अध्यक्ष पद संभाला. उनका दौर जबर्दस्त रहा. संस्था को अनेक मायनों में सत्यनारायण जी ने आगे बढाया. २०१७ के दौर में समिति में चुनाव की नौबत आयी. वसंतबाबू मालपानी ने संस्था में सत्ता परिवर्तन किया. मालपानी अध्यक्ष निर्वाचित हुए. वर्तमान चुनाव में मालपानी सतत तीसरी बार अध्यक्ष बने हैं. ताजा दौर में संस्था में विद्यार्थियों को अपडेट शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही है. संस्था के अधीन ३५ शाला, महाविद्यालय है. जहां हजारों विद्यार्थी प्राथमिक एवं उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. अपना करियर संवार रहे हैं. वाणिज्य शाखा में संस्था संचालित केसरबाई लाहोटी महाविद्यालय ने प्रदेश स्तर के टॉपर देकर नाम बढाया है. महाविद्यालय के अनेक भूतपूर्व विद्यार्थी विविध क्षेत्र में नाम कमा चुके हैं. बडे पदों पर विराजमान रहे हैं. समय-समय पर अपनी शिक्षा समिति के प्रति कृतज्ञता अपने अंदाज में व्यक्त करते है. प्लेटिनम जुबली की तरफ बढ रही गणेशदास राठी छात्रालय समिति का कार्यो तथा उपलब्धियों का आलेख सतत गगन आकांक्षी हैं.
* १९६२ में विद्यार्थियों ने दान दिए थे गहने
राठी शिक्षा समिति की लाहोटी कॉलेज के कुछ प्रसंग संबंधित लोग कभी विस्मृत नहीं कर सकेंगे. ऐसा ही एक प्रसंग १९६२ का हैं. प्रा. एस.पी. कासट ने अपने अनुभव में इस वाकये को बतलाया है. उस समय चीन ने देश पर आक्रमण किया था. महाविद्यालय शुरू हुए दो वर्ष ही बीते थे. फिर भी अक्तूबर- नवंबर माह में महाविद्यालय के छात्रावास के छोटे सभागार में बैठक रखी गई. बैठक में प्राचार्य कोतवाल सर ने युध्द की स्थिति और अपने कर्तव्य का अहसास कर देनेवाला प्रभावी संबोधन किया. जिससे उपस्थित सभी दत्त चित्त हो गए. कुछ प्राध्यापकों ने अपनी जेब से तुरंत पैसे निकालकर दिए. एक छात्रा ने गले से सोने की चेन और हाथों की चूडियां निकालकर रक्षा फंड में दे दी. एक विद्यार्थी तुरंत अंगूठी निकालकर दी. प्रा. कासट बताते है कि लगभग ८०० रूपए की धनराशि और आभूषण जमा हो गए. युध्द के दौर १९६२ का यह प्रसंग हैं. जिसे सुनकर हर कोई रोमांचित हो जाता है.
* एक प्रसंग यह भी
लाहोटी महाविद्यालय का पहले नाम राज महाविद्यालय था. यह कॉलेज आर्थिक दिक्कत में आ गया था. उस समय धनज के दानवीर रामचंद्र जी लाहोटी ने आगे आकर अपनी पत्नी केशरबाई की पावन स्मृति में एक लाख रूपए की निधि संस्था को दी. उपरांत महाविद्यालय का नाम केशरबाई लाहोटी कर दिया गया. निधि अर्पण का समारोह महाविद्यालय परिसर छात्रालय इमारत के सामने राठी हाईस्कूल प्रांगण में आयोजित किया गया. पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभाताई पाटिल उस समय महाराष्ट्र शासन में मंत्री पद पर विराजमान थी. वे मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में पधारी. अनुदान की राशि अर्पण करते समय रामचंद्र जी लाहोटी ने अपने लंबे कोट के भीतर के जेब में जतन से रखा गया धनादेश निकाला. पहले प्रतिभाताई पाटिल को सौंपा. उपरांत प्रतिभाताई के हस्ते संस्था के अध्यक्ष नारायणदास जी लढ्ढा के हाथ में दिया. कोट के सोने के बटन खोलकर लाहोटी जी ने चेक निकाला. वह प्रसंग आल्हादक स्मृति रहने की बात कासट सर ने कही हैं.
* नारायणदास लढ्ढा का अनोखा कीर्तिमान
संस्था की प्रथम अस्थायी कार्यकारिणी से लेकर दो दशकों तक नारायणदास लढ्ढा ने विविध पदों पर प्रभावी कार्य किया. वे संस्था के उपाध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष, निरीक्षक अनेक पदों पर रहे. १९५७ में अध्यक्ष निर्वाचित हुए. ऐसे ही सचिव पद पर एड नारायणदास राठी पहली चार कार्यकारिणी में यह दायित्व बखूबी संभालते रहे.
* संस्था के अध्यक्ष
स्व. श्रीमान चंडी प्रसाद झुनझुनवाला, कार्यकाल- १९४९ से ५७
स्व. श्रीमान नारायणदास लढ्ढा कार्यकाल-१९५७ से ६०
स्व. श्रीमान शंकरलाल राठी कार्यकाल-१९६० से ६०, १९७६ से ८३
स्व. श्रीमान राधावल्लभ हेडा कार्यकाल-१९६० से ७०, १९८३ से ८९
स्व. श्रीमान श्रीनिवास लढ्ढा कार्यकाल -१९७० से ७६
स्व. श्रीमान सीताराम हेडा कार्यकाल-१९८९ से ९२
श्रीमान जयकिसन दम्माणी कार्यकाल -१९९२ से ९५
स्व. श्रीमान डॉ. मोतीलाल राठी कार्यकाल १९९५ से २००१
स्व. श्रीमान सत्यनारायण लढ्ढा कार्यकाल २००१ से २०१७
श्रीमान वसंत बाबू मालपानी कार्यकाल २०१७ से