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अमरावती/दि.18– मूत्र का रंग बदलना और मूत्रविसर्जन के समय तीव्र दुर्गंध आना, यह शरीर में विकसित होनेवाली नई बीमारियों का लक्षण हो सकता है. मूत्र के रंग से शरीर में पनपनेवाली बीमारियों का पता लगाया जा सकता है. सामान्य तौर पर मूत्र का रंग हलका पीला होना चाहिए और मूत्र का पूरी तरह सें रंगविहीन व पारदर्शक होना भी खतरनाक साबित हो सकता है. ऐसे में यदि मूत्र के रंग में किसी भी तरह का कोई बदलाव होता दिखाई दे रहा है, तो समय रहते अस्पताल जाकर अपनी स्वास्थ जांच कराई जानी चाहिए.
* मूत्र के रंग में बदलाव यानी शरीर में गडबडी
अक्सर ही शरीर में रहनेवाले रोगों का निदान करने हेतु मूत्र की जांच-पडताल की जाती है, यानी मूत्र के जरिए रोगनिदान किया जाता है. ऐसे में यदि मूत्र के रंग में कोई भी बदलाव होता है, तो समझ जाना चाहिए कि, निश्चित तौर पर शरीर में कोई बदलाव हुआ है.
* पीले रंग के मूत्र की वजह
यदि मूत्र का रंग हलका पीला है, तो यह हाईड्रटेड रहने का अच्छा संकेत है. वहीं यदि मूत्र का रंग गहरा पीला है, तो इसे डी-हाईड्रेशन का खतरा माना जा सकता है.
* तीव्र दुर्गंध भी खतरे की निशानी
यदि मूत्र से तीव्र दुर्गंध आ रही है, तो यह मूत्र मार्ग के संक्रमण की निशानी हो सकता है. ऐसे समय बिना घबराए विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह से औषधोपचार करना चाहिए. क्योंकि, मूत्र मार्ग का संक्रमण बढ जाने पर यह काफी पीडादायक होता है.
* लाल रंग का मूत्र कैंसर की निशानी
अमुमन ब्ल्यूबेरी व बीटरुट आदि का सेवन करने पर हलके लाल व गुलाबी रंग वाला मूत्रविसर्जन हो सकता है. परंतु यदि खून की तरह गहरे लाल रंग वाली पेशाब होती है या पिशाब के जरिए खून बाहर आता है, तो इसकी बिलकुल भी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि यह कैंसर का भी लक्षण हो सकता है.
* मूत्र का रंग बदलने के पीछे पेशाब अथवा मूत्र मार्ग का संक्रमण सबसे प्रमुख वजह हो सकती है. पीले रंग वाला मूत्रविसर्जन होने पर पीलिया तथा लाल रंग वाला मूत्रविसर्जन होने पर कैंसर की संभावना हो सकती है. ऐसे में किसी भी तरह का कोई बदलाव होने पर इसकी ओर अनदेखी नहीं करनी चाहिए. बल्कि समय रहते विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह से औषधोपचार करवाना जरुरी होता है.
– डॉ. विशाल बाहेकर
यूरो सर्जन, अमरावती.