चनिया-चोली, घाघरा ओढनी की खरीदारी जमकर
3 से गरबा से जगमग होगी नवरात्रि
* भुज से आए हैं चंदूभाई वाघेला, रोहित भाई
* हर साल दो हजार ड्रेसेस की चाव से खरीदारी
अमरावती/दि.24- 9 दिनों बाद आश्विन नवरात्रि का उत्सव प्रारंभ होना हैं. जिसकी देवी भक्त पूरे वर्ष प्रतीक्षा करते हैं. देवी की पूजन और आरती के साथ गरबा रास खेल कर देवी को प्रसन्न करने, आरधाना और साधना का एक रुप माना जाता हैं. जिसके लिए चनीया-चोली, घाघरा- ओढनी, धोती-कुर्ता का पारंपरिक परिधान चाव से धारण किया जाता हैं. जिसके लिए ठेठ गुजरात के भुज जिले से गत बीस वर्षो से अमरावती आ रहे चंदूभाई वाघेला, रोहितभाई गांगडिया ने इर्विन चौक के पास होलीक्रॉस स्कूल मार्ग पर अपनी दूकान सजाई हैं. जिसे बढिया प्रतिसाद मिलने की बाद आज दोपहर दैनिक अमरावती मंडल के संजय पंड्या से बातचीत में उन्होंने कही. चंदूभाई ने बताया कि बडी रेंज और भरपूर नयी वैरायटी के कारण गरबा रास के लिए ड्रेसेस की विक्री जमकर हो रही हैं. बारिश का अभी थोडा खलल रहने की बात चंदूभाई ने कही. उनके साथ शारदाबेन वाघेला, शोभाबेन गांगडिया सहित लगभग 15 लोग खास नवरात्रि सीजन का व्यवसाय करने आए हैं.
15 सौ से लेकर 5 हजार तक रेंज
चंदूभाई वाघेला ने बताया कि उनके पास विशाल रेंज उपलब्ध हैं, उसी प्रकार नये सीजन के लिए नई डिजाईन और बिल्कुल नये कलर्स, छाप के व कारीगरी किए हुए चनिया चोली उपलब्ध हैं. जिसकी रेंज 1500 से लेकर 5 हजार तक हैं. विविध रंग और प्रकार के चनिया-चोली, घाघरा-ओढनी पसंद किए जा रहे हैं. निश्चित ही अमरावती में गरबा प्रेमी काफी संख्या में होने से यहां प्रति वर्ष हजारों ड्रेसेस की विक्री की जानकारी भी चंदूभाई ने दी. उन्होंने बताया कि विविध रेंज में कपडे रहने से ही पसंद किए जाते हैं.
बच्चों के लिए भी ड्रेसेस
चंदूभाई और शारदा बेन ने बताया कि बच्चों में भी गरबा रास का चाव बढ रहा हैं. उसी प्रकार उनके लिए खास रेंज रखनी पडती हैं. उन्होंने 5 वर्ष से बडी बिटीया से लेकर 15 वर्ष तक आयु सीमा के सभी ड्रेसेस उपलब्ध किए हैं. जिन्हें अभिभावक सुरुची पूर्ण रुप से खरीद रहे हैं.
संपूर्ण वर्ष चलती कारीगरी
चंदूभाई ने बताया कि भुज और हमारे क्षेत्र में चनिया-चोली, घाघरा- ओढनी के लिए कॉटन का ही कपडा उपयोग में लाया जाता हैं. जिस पर रंग रोगन पश्चात विविध छाप उपरांत कारीगरी की जाती हैं. हाथों से घाघरा पर सलमा-सितारे और कांच, कौडियां, लटकन, लगाए जाते हैं. बडा बारीक काम करना होता हैं. इसके विशेष कारीगर हैं. इसी कारण यहां से माल देश विदेश में निश्चित ही बडी संख्या में एक्पोर्ट भी होता हैं. अमरावती के बारे में बताया कि यहां वे दो दशको से आ रहे हैं. यहां के लोगों को अच्छा काम पसंद आता हैं. मोल भाव के बारे में भी अमरावती के लोग पक्के होने की बात थोडे हास परिहास से चंदूभाई ने कही. उन्होंने मान्य किया कि सभी चीजों के दाम बढ गए हैं. तो यह क्षेत्र भी अछूता कैसे रह सकता हैं. यहां भी 10-15 प्रतिशत रेट बढे हैं.
युवाओं में क्रेज करता हर्षित
शहर के अन्य दूकानदारों ने भी बताया कि आगामी तीन अक्टुबर से शुरू हो रही नवरात्रि के लिए चनिया-चोली और गरबा रास के विशेष परिधानों की डिमांड बढी हैं. उसी प्रकार युवा वर्ग रंग बिरंगी कपडों की ओर अधिक आकर्षित हैं. उनके लिए कपडों की रेंज से अधिक उसका लुक मायने रखता हैं. दूकानों में दो से लेकर दस हजार तक रेंज में गरबा रास के परिधान उपलब्ध हैं. उनकी विक्री भी खूब हो रही हैं.