अमरावती

दान सबसे बडा पुण्यकर्म

तीन दिवसीय दान लीला विषय पर वचनामृत का गोवर्धननाथ हवेली में आयोजन

* आचार्य पू.पा. गोस्वामी 108 हरीराय महोदय का कथन
अमरावती/दि.11– स्थानी रॉयली प्लॉट स्थित गोवर्धननाथ हवेली में गोवर्धननाथ हवेली सत्संग मंडल व्दारा दानी लीला विषय पर वचनामृत का आयोजन किया गया. विगत दो दिनों से आचार्य पू.पा. गोस्वामी 108 हरिराय महादेव (कामवन-बडौदा) ने दान का महत्व समझाया. उन्होंने बताया कि, दान सबसे बडा पुण्यकर्म होता है. लेकिन हम उसे छोडकर अन्य काम को अधिक महत्व देते हैं. ठाकुरजी ने भी अपनी लीलाओं के माध्यम से वैष्णवों को दान का महत्व समझाया है. उस पर अमल करना जरुरी होने के आर्शीवचन पुष्टिमार्ग प्रवर्तक जगद्गुरु श्रीमद् वल्लभाचार्य महाप्रभु वंशानु वंशज युवा आचार्य पू. पा. गोस्वामी 108 हरिराय (कामवन-बडौदा) महोदय ने दिये.
इस अवसर पर उन्होंने आगे कहा कि ठाकुरजी के चार अवतार हुए हैं. नृसिं अवतार, वामन अवतार, राम अवतार व कृष्ण अवतार. जीव को आशीर्वाद देने की वल्लभजी को आवश्यकता नहीं है. जीव पर दृष्टि पडे तो अपने आप ही जीव को आशीर्वाद की प्राप्ति होती है. जिन पर उनकी दृष्टि नहीं पडी, उन्हें आर्शीवाद नहीं मिलता. जिस प्रकार पूतना के साथ हुआ था. दीप दान से मनोरथ पूर्ण होता है. पवित्र जल में दीप प्रज्वलन कर छोडने मनोरथ पूर्ण होता है. उन्होंने इंद्रदेव व राजा बलि की कथा का वर्णन करते हुए ठाकुरजी के जीवन पर प्रकाश डाला ‘तुम नंद महर के लाल अहो, राणी जसुमति प्राण आधार मोहन जान दे…’ पर वचनामृत किया.

पश्चात सभी ने शयन दर्शन लिया. महिलाओं व्दारा गोपी वेश धारण कर मटकी लेकर गोरसदान का मनोरथ पूर्ण किया गया. मंगलवार को दान का महत्व समझाते हुए विविध विषयों पर प्रकाश डाला. इस अवसर पर अध्यक्ष मुकेशभाई श्रॉफ, कृष्णदास गगलानी, गोविंददास दम्माणी, हितेशभाई राजकोटिया, कन्हैया पच्चीगर, आशीष करवा, गिरधरदास दम्माणी, विनू जनानी, मन्नू जवेरी, हेमंत पच्चीगर, राजेश संतोषिया, सतीश मकवाना, समीर बाबरिया, स्वप्नील श्रॉफ, राजू पारेख, राजू धानक, रमेश धानक, मनोज सेठ, ब्रजेश वसानी, प्रफुल खिमानी, किशोर कुनाटकर, ज्योतिबेन गगलानी, नीरुबेन राजकोटिया, कश्मीरा बेन सेठ, मीनाक्षीबेन सांगाणी, अलकाबेन राजकोटिया, वंदनाबेन हिंडोचा, नेहाबेन हिंडोचा, शिल्पाबेन पारेख, पूर्वीबेन गगलानी, रश्मीबेन, सोनलबेन संतोषिया, रीनाबेन संतोषिया, कल्पनाबेन संतोषिया, पिंकीबेन राजकोटिया, हिनाबेन बाबरीया, कुंजन वेद समेत अनेक भक्तगण उपस्थित थे.

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