* 97 दिन व्रत-त्योहार मनाए जाएंगे
अमरावती/दि.3- चातुर्मास में सावन, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक, ये चार महीने रहते हैं, लेकिन इस बार अधिक मास होने से चातुर्मास चार नहीं, पांच महीनों का होगा. 19 साल पहले 2004 में सावन में अधिक मास आया था. इस वर्ष भी सावन माह में अधिकमास होने से सावन माह 58 दिन का रहेगा. देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी यानि 23 नवंबर तक 148 दिन का फेस्टिवल सीजन रहेगा, जिसमें 97 दिन व्रत-त्योहार मनाए जाएंगे. इस साल अधिक मास की वजह से भगवान विष्णु चार नहीं, पांच महीने विश्राम करेंगे. 4 जुलाई से शिव पूजा का महीना सावन शुरू हो रहा है. जो कि 31 अगस्त तक रहेगा. 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिक मास रहेगा.
देवशयनी एकादशी को सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु चार माह तक विश्राम करते हैं, ऐसी मान्यता है. इस समय सृष्टि के संहारक भगवान महेश को सृष्टि के पालन की जिम्मेदारी सौंपी जाती है. इसी मान्यता से साथ विविध शुभ कार्य को विराम लगाया जाता है. इसी विराम के साथ चातुर्मास की शुरुआत होती है. देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु विश्राम करते हैं. हिन्दी पंचांग के हर महीने में सूर्य संक्रांति होती है. यानी सूर्य राशि बदलता है, लेकिन अधिक मास में संक्रांति नहीं रहती है. चातुर्मास में एक ही जगह पर ठहर कर भक्ति, तप और ध्यान आदि पुण्य कर्म करने की परंपरा है. यह परंपरा खासतौर पर साधु-संतों से जुड़ी है. चातुर्मास में यात्रा करने से संत बचते हैं. इससे जुड़ी मान्यता ये है कि चातुर्मास का समय बारिश का होता है. इन दिनों में नदी-नाले उफान पर रहते हैं, लगातार बारिश होती है. पुराने समय में बारिश की वजह से यात्रा के लिए साधन नहीं मिल पाते थे. इस कारण साधु-संत यात्रा नहीं करते थे और एक जगह ही रहते थे.
चातुर्मास की 4 जुलाई से शुरूआत होकर 23 नवंबर तक रहेगा. तब तक गुरु पूर्णिमा, अधिक मास (30 दिन), रक्षा बंधन,गणेशोत्सव (10 दिन), पितृपक्ष (15 दिन), नवरात्रि (9 दिन), दीपोत्सव (5 दिन) सहित 97 व्रत- त्योहार आएंगे.देवशयनी एकादशी और गुरु पूर्णिमा के बाद सावन शुरू होगा. सावन (4 जुलाई से 31 अगस्त तक रहेगा. इस बीच दो-दो चतुर्थियां, एकादशी, हरियाली अमावस्या के बाद 30 दिन का अधिक मास तथा 17 अगस्त सावन का शुक्ल पक्ष शुरू होगा. इसमें नागपंचमी (21 अगस्त) और रक्षा बंधन (30 अगस्त) को मनाया जायेगा. इस तरह देवशयनी एकादशी और गुरु पूर्णिमा के बाद सावन में 39 दिन व्रत-त्योहार रहेंगे. भादो (अगस्त 31 से 29 सितंबर) में दस दिनों के गणेश उत्सव के साथ दो-दो तीज, चतुर्थियां, एकादशियां रहेंगी. अमावस्या और पूर्णिमा के साथ 18 दिन के व्रत-त्योहार रहेंगे. आश्विन मास (30 सितंबर से 28 अक्टूबर) में 16 दिन का पितृपक्ष, 9 दिन की नवरात्रि, दशहरा, पापाकुंशा एकादशी, अमावस्या, शरद पूर्णिमा के साथ 29 दिन के व्रत-त्योहार रहेंगे. कार्तिक मास (29 अक्टूबर से 27 नवंबर) में 5 दिनों का दीपोत्सव, करवा चौथ, दो-दो चतुर्थियां और एकादशियां, छठ पूजा के साथ 11 दिनों के व्रत- त्योहार रहेंगे. इस तरह 148 दिनों के फेस्टिवल सीजन में कुल 97 दिन व्रत-त्योहार मनाए जाएंगे. इस बार सावन के दूसरे ही सोमवार पर सोमवती अमावस्या का शुभ संयोग बन रहा है. सातवें सोमवार को नागपंचमी और आखिरी सोमवार को प्रदोष व्रत रहेगा.
इस साल भद्रा की वजह से राखी बांधने के लिए दिन में कोई मुहूर्त नहीं होगा. रात में 9 बजे ही रक्षाबंधन मनाया जा सकेगा. इस बार शरद पूर्णिमा (28 अक्टूबर) पर आंशिक चंद्र ग्रहण रहेगा, जो कि भारत में दिखेगा. दीपावली से पहले खरीदी के लिए 5 नवंबर को दुर्लभ रविपुष्य योग बन रहा है.
चातुर्मास के बड़े व्रत पर्व
गुरुपूर्णिमा – सोमवार, 3 जुलाई, सावन माह – मंगलवार, 4 जुलाई, हरियाली अमावस्या – सोमवार, 17 जुलाई, अधिक मास की सावन अमावस्या – बुधवार, 16 अगस्त, नागपंचमी – सोमवार, 21 अगस्त, रक्षाबंधन – बुधवार, 30 अगस्त, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी – गुरुवार, 7 सितंबर, कुशग्रहिणी अमावस्या – गुरुवार, 14 सितंबर, गणेश उत्सव – 19 से 28 सितंबर, पितृपक्ष – 29 सितंबर से 14 अक्टूबर, सर्वपितृ अमावस्या – शनिवार, 14 अक्टूबर, नवरात्रि – 15 से 23 अक्टूबर, दशहरा – मंगलवार, 24 अक्टूबर, शरद पूर्णिमा – शनिवार, 28 अक्टूबर, आंशिक चंद्रग्रहण – 28-29 अक्टूबर की रात में, करवा चौथ – बुधवार, 1 नवंबर, रवि पुष्य योग – रविवार, 5 नवंबर, पांच दिनों का दीपोत्सव – 10 से 14 नवंबर, छठ पूजा – रविवार, 19 नवंबर, देवउठनी एकादशी – गुरुवार, 23 नवंबर.
शादी-ब्याह के मुहूर्त नवंबर से आरंभ होंगे
बता दें कि इस वर्ष अधिक मास के चलते चातुर्मास पांच माह का है, जिसके कारण शुभ कार्य समेत शादी-ब्याह के मुहूर्त अब नवंबर से आरंभ होंगे. नवंबर माह में 23 नवंबर से इसकी शुरुआत होगी. इस माह में 27, 28, 29, 30 नवंबर, दिसंबर में 5, 6, 7, 8, 9, 13, 14, 15, 17, 20 21, 23, 25, 26, 28, 30, 31, जनवरी माह में 3, 4, 5, 6, 8, 17, 21, 22, 23, 25, 27, 28, 29, 30, फरवरी माह में 1, 2, 4, 6, 11, 12, 13, 14, 16, 17, 18, 20, 22, 24, 26, 27, 28, 29 तथा मार्च माह में 3, 4, 5, 6, 7, 11, 13, 16, 26, 27, तथा 30 को विवाह मुहूर्त है. जिसके कारण नवंबर से मार्च तक पांच माह विवाह के कई मुहूर्त होने से साल के अंत से नये साल की शुरुआत में विवाह इच्छुकों को शादी ब्याह के लिए इंतजार करने की आवश्यकता नहीं रहेगी.