अमरावती

जांच करें, या बंदोबस्त में लगे

पुलिस पर लगातार बढ रहा काम का बोझ

अमरावती/दि.5– स्थानीय जिलाधीश कार्यालय के समक्ष रोजाना के आंदोलन, अनशन व धरना प्रदर्शन होते रहते है. कलेक्ट्रेट के ठीक सामने लगभग हर दिन मंडप व शामियाना डालकर कोई न कोई अनशन या आंदोलन शुरू रहता है. ऐसे में वहां पूरा समय पुलिस बंदोबस्त तैनात करना होता है. चूंकि यह परिसर गाडगेनगर पुलिस थाने के कार्यक्षेत्र में आता है. ऐसे में गाडगेनगर पुलिस पर बंदोबस्त का सबसे अधिक तनाव व बोझ होता है. जिसके चलते पुलिस के सामने सबसे बडा मसला यह है कि, वह विभिन्न अपराधिक मामलोें की जांच-पडताल करें, या फिर बंदोबस्त की ड्यूटी निभाये.

* फरवरी माह में लगे बंदोबस्त
12 फरवरी को जिले की सांसद नवनीत राणा ने मनपा आयुक्त के बंगले और सुपर स्पेशालीटी अस्पताल पर ‘धडक’ दी. जहां पर गाडगेनगर पुलिस का बंदोबस्त लगाया गया. इसके पश्चात 24 फरवरी को विधायक रवि राणा के समर्थन में इर्विन चौक व जयस्तंभ चौक पर भारी भीडभाड हुई. ऐसे में इन दोनों चौराहों पर गाडगेनगर व सिटी कोतवाली सहित अन्य पुलिस थानों की पुलिस तैनात थी.

* पुलिसवालों में जोडों का दर्द व रक्तदाब बढा
बंदोबस्त के दौरान पुलिसवालों को पूरा समय खडे रहते हुए आंखों में अंजन डालकर काम करना होता है. जिसके चलते पुलिस कर्मचारियोें में घुटनों व जोडों के दर्द के साथ ही रक्तदाब बढने की शिकायतें देखी जा रही है. इसके साथ ही कामकाज के अनियमित समय की वजह से पुलिस अधिकारी भी ब्लडशूगर व ब्लडप्रेशर की समस्या से जूझ रहे है.

* किस-किस बात का टेंशन लें
बंदोबस्त का पुलिस पर काफी अधिक बोझ होता है. पूरा दिन एक ही स्थान पर खडे रहकर ड्यूटी करनी पडती है, लेकिन यह भी कर्तव्य का ही एक हिस्सा है. ऐसे में किस बात का टेंशन लें, ऐसा कई पुलिस कर्मियों का कहना रहा.

* स्वास्थ्य पर विपरित परिणाम
लगातार बंदोबस्त में तैनात रहने की वजह से पुलिस कर्मियों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पडता है. काम के लगातार बढते बोझ, सतत दौडभाग व तनाव की वजह से पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों में हाई ब्लडप्रेशर तथा ब्लडशूगर जैसी समस्याएं पैदा होती है.

* साप्ताहिक अवकाश भी रद्द
पुलिसवालों को साप्ताहिक अवकाश मिलने की भी कोई गारंटी नहीं होती. समय-बे समय की ड्यूटी करने के साथ-साथ त्यौहारों व 31 दिसंबर जैसे मौकोें पर लगाये जानेवाले बंदोबस्त तथा मोर्चे व आंदोलन में होनेवाली तैनाती को पूरा करते-करते भी पुलिसवालों की पूरी जिंदगी खप जाती है.
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शहर में कानून व व्यवस्था बनाये रखने के साथ-साथ अपराधिक मामलों की जांच, अपराधों पर नियंत्रण जैसे कामोें के साथ-साथ पर्व एवं त्यौहारोें, मोर्चे व आंदोलन एवं चुनाव जैसे मौकों पर लगाये जानेवाले बंदोबस्त की जिम्मेदारी पुलिस पर ही होती है. कई बार नाईट ड्यूटी भी करनी होती है. ऐसे में अक्सर भोजन के साथ-साथ दवाईयों का समय भी गडबडा जाता है. जिससे पुलिस कर्मियों में स्वास्थ्य की समस्याएं पैदा होती है. पुलिस कर्मियों के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य को चुस्त-दुरूस्त व तंदुरूस्त रखने के लिए हर संभव कदम उठाये जा रहे है.

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