अमरावती/दि.8- देश के बिहार व झारखंड राज्य में दीपावली के पश्चात कार्तिक शुक्ल चतूर्थी से लगातार चार दिनों तक मनाए जानेवाले छठ पर्व का शुभारंभ सोमवार, 8 नवंबर से शुरू हुआ. इस चार दिवसीय पर्व में पहले दिन नहाय खाय से पर्व शुरू हुआ.
छठ पर्व को लेकर लोगों की आस्था जुडी हुई है. कार्तिक माह में भगवान सूर्य की आराधना करने से जीवन में इसका विशेष लाभ प्राप्त होता है. शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेवता की विशेष रूप से पूजा अर्चन कर व्रत उपासना की जाती है. वैसे तो छठ पूजा का पर्व बिहार व झारखंड राज्य में सर्वाधिक तौर पर मनाया जाता है, लेकिन अब देश के कोने-कोने में इस पर्व की महत्ता पहुंचने से इसे छोटे-बडे से लेकर हर शहर में उत्साह के साथ मनाने की परंपरा आरंभ हो चुकी है. छठ पर्व को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. जिसके अनुसार अंगदेश के महाराज कर्ण सूर्य देवता के उपासक थे. इसलिए परंपरा के रूप में कार्तिक माह में भगवान सूर्य की आराधना की जाती है.
छठ पूजा में कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से सप्तमी के अरूण बेला एक व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाय खाय के साथ व्रत की शुरूआत होती है. पहले दिन यानी सोमवार, 8 नवंबर को व्रत रखनेवाले उपासक लौकी व चावल ग्रहण करेंगे. मंगलवार 9 नवंबर को खरना होगा. इस दिन दिनभर उपवास रखकर शाम के समय खीर का सेवन किया जाता है. यह खीर गन्ने के रसे से बनायी जाती है. तीसरे दिन बुधवार, 10 नवंबर को उपवास रखकर डूबते सूरज को अर्ध्य दिया जाएगा. साथ ही विशेष पकवान ठेकुवा और मौसमी फल चढाने का रिवाज है. चौथे दिन सप्तमी को उगते सूरज को अर्ध्य चढाकर छठ पर्व की समाप्ति होती है. अंतिम अर्ध्य 11 नवंबर को दिया जायेगा.
* घर-घर में मनाएं छठ पर्व
कोरोना महामारी के चलते इस वर्ष भी राज्य सरकारने सार्वजनिक तौर पर कार्यक्रमों के आयोजनों को अनुमती नहीं दी है. इस कारण सार्वजनिक छठ पूजा समिती द्वारा हर वर्ष छत्री तालाब परिसर में आयोजीत कार्यक्रम को लगातार दूसरे वर्ष रद्द किया है. समाजबंधू अपने घर में ही चार दिवसीय छठ पर्व को पारिवारिक माहौल में उत्साह के साथ मनाएं और ईश्वर से सुख समृध्दि की प्रार्थना करे.
– दिनेश सिंह
अध्यक्ष, सार्वजनिक छठ पूजा समिती.