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डूबते सूर्य को अर्ध्य देते हुए मनाया गया छठ पर्व

कार्तिक माह में भगवान सूर्य की आराधना का है विशेष महत्व

अमरावती/दि.10 – देश के बिहार व झारखंड राज्य में दीपावली के पश्चात कार्तिक शुक्ल चतूर्थी से लगातार चार दिनों तक मनाए जानेवाले छठ पर्व का शुभारंभ विगत सोमवार, 8 नवंबर से शुरू हुआ. नहाय खाय से शुरू हुए इस चार दिवसीय पर्व तीसरे दिन आज बुधवार 10 नवंबर को व्रतियों द्वारा पूरा दिन उपवास रखते हुए डूबते सूर्य को अर्ध्य यानी जल अर्पित किया गया. वहीं अब कल गुरूवार 11 नवंबर को सप्तमी पर्व पर उगते सूर्य को अर्ध्य अर्पित करते हुए इस चार दिवसीय पर्व की पारणा यानी समाप्ती होगी.
बता दे कि, उत्तर भारत, विशेषकर बिहार व झारखंड प्रांतों में छठ पर्व को लेकर लोगों की आस्था जुडी हुई है. कार्तिक माह में भगवान सूर्य की आराधना करने से जीवन में इसका विशेष लाभ प्राप्त होता है. शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेवता की विशेष रूप से पूजा अर्चन कर व्रत उपासना की जाती है. छठ पर्व को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. जिसके अनुसार अंगदेश के महाराज कर्ण सूर्य देवता के उपासक थे. इसलिए परंपरा के रूप में कार्तिक माह में भगवान सूर्य की आराधना की जाती है. छठ पूजा में कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से सप्तमी के अरूण बेला एक व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाय खाय के साथ व्रत की शुरूआत होती है. पहले दिन व्रत रखनेवाले उपासक लौकी व चावल ग्रहण करते हैं. पश्चात दूसरे दिन पंचमी पर खरना होता है, जिसमें पूरा दिन उपवास रखकर शाम के समय खीर का सेवन किया जाता है. यह खीर गन्ने के रसे से बनायी जाती है. तीसरे दिन छठ की तिथी पर उपवास रखकर डूबते सूरज को अर्ध्य दिया जाता है. साथ ही विशेष पकवान ठेकुवा और मौसमी फल चढाने का रिवाज है. वहीं चौथे दिन सप्तमी को उगते सूरज को अर्ध्य चढाकर छठ पर्व की समाप्ति होती है.
इस वर्ष छठ की तिथी बुधवार 10 नवंबर को पडी. जिसके चलते शाम के समय डूबते सूर्य को व्रतियों द्वारा विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करते हुए अर्ध्य अर्पित किया गया. वहीं अब कल 11 नवंबर की सुबह उगते सूर्य को अर्ध्य अर्पित करते हुए इस पर्व की पारणा की जायेगी.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, प्रतिवर्ष शहर में रहनेवाले बिहारी समाज बंधूओं द्वारा एक साथ आकर स्थानीय छत्री तालाब पर सार्वजनिक छठ समिती के जरिये छठ का त्यौहार बडी धूमधाम के साथ मनाया जाता था. किंतु कोविड संक्रमण के खतरे एवं राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक आयोजनों पर लगायी गई रोक के चलते सार्वजनिक छठ आयोजन समिती ने लगातार दूसरे वर्ष सामूहिक तौर पर छठ पूजा का कार्यक्रम आयोजीत नहीं किया और सभी भाविकों से अपने-अपने घरों पर ही छठ पूजा करने का आवाहन किया. जिसके चलते सभी लोग अपने-अपने घरों पर ही छठ पूजा कर रहे है.

 

 

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