कोल्हे हत्याकांड के आरोपी को नहीं मिली जमानत
आरोपी मुश्फीक अहमद ने जमानत मिलने हेतु दायर की थी याचिका
* मुंबई की विशेष अदालत ने अपनाया सख्त रवैया, याचिका खारिज
* 21 जून 2022 को हुई थी मेडिकल व्यवसायी उमेश कोल्हे की निर्मम हत्या
अमरावती /दि.21– मेडिकल व्यवसायी उमेश कोल्हे की हत्या में नामजद व गिरफ्तार आरोपी मुश्फीक अहमद को जमानत देने से मुंबई की विशेष अदालत ने साफ तौर पर इंकार कर दिया है. आरोपी की ओर से जमानत मिलने हेतु पेश की गई याचिका को खारिज करते हुए विशेष न्यायाधीश राजेश कटारिया ने अपने आदेश में कहा कि, आरोपी मुश्फीक अहमद के खिलाफ अपराध की साजिश में शामिल रहने से संबंधित पर्याप्त सबूत है. जिनसे यह स्पष्ट होता है कि, वह इस अपराध की साजिश में शामिल था और उसने हत्याकांड में शामिल अन्य आरोपियों की सहायता भी की थी. ऐसे में यह अपराध काफी गंभीर प्रकृति का है. जिसे लेकर यह मान्य के उचित आधार भी है कि, मुश्फीक अहमद के खिलाफ लगाए गए आरोप प्रथमदृष्ट्या सही है. अत: उसे जमानत नहीं दी जा सकती. कुल मिलाकर अदालत ने उमेश कोल्हे हत्याकांड में आरोपियों के खिलाफ अपनी सख्त भूमिका स्पष्ट कर दी है.
बता दें कि, प्रभात चौक पर अमित मेडिकल्स नामक पशु वैद्यकीय दवाईयों का प्रतिष्ठान चलाने वाले मेडिकल व्यवसायी उमेश कोल्हे की 21 जून 2022 को रात करीब 9.30 बजे घंटा घर वाली गली में न्यू हाईस्कूल मेन के सामने गला रेतकर निर्मम हत्या कर दी गई थी, जब वे अपना मेडिकल स्टोअर बंद करने के बाद हमेशा की तरह घंटा घर वाली गली से होकर अपने घर जाने हेतु निकले थे. इसके पश्चात अमरावती शहर पुलिस ने एक-एक कर 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. वहीं 29 जून को इस मामले की जांच एनआईए यानि राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दी गई थी. इसके साथ ही यह जानकारी सामने आयी थी कि, मई माह के दौरान एक न्यूज चैनल पर हुई डिबेट के वक्त भाजपा नेत्री नुपूर शर्मा द्वारा कथित तौर पर की गई एक विवादास्पद टिप्पणी का सोशल मीडिया पर जून माह के दौरान उमेश कोल्हे ने समर्थन किया था. जो समूदाय विशेष के कुछ लोगों को बेहद नागवार गुजरा था और उन लोगों के एक समूह ने उमेश कोल्हे की हत्या करने की योजना बनाते हुए इस हत्याकांड को सुनियोजित तरीके से 21 जून की रात को अंजाम दिया था. इस जानकारी के सामने आते ही अमरावती शहर व जिले सहित समूचे राज्य और देश में हडकंप मच गया था तथा देश भर की मीडिया का जमघट अमरावती में लग गया था. वहीं इस मामले में एनआईए ने कुल 11 आरोपियों को नामजद व गिरफ्तार करते हुए उन्हें मुंबई की जेल में ले जाकर बंद किया तथा मामले की चार्जशीट बनाने का काम शुरु करते हुए इस मामले को सुनवाई हेतु विशेष अदालत के समक्ष रखा गया. जहां पर मामले में नामजद रहने वाले आरोपी मुश्फीक अहमद ने खुद को बेकसूर बताते हुए जमानत मिलने के लिए याचिका दायर की. मुश्फीक अहमद की ओर से दायर याचिका में दावा किया गया है कि, वह एक मस्जिद का इमाम रहने के साथ ही एक सामााजिक कार्यकर्ता है और उसकी इस हत्याकांड में कोई भूमिका नहीं है, बल्कि उसे बेवजह इस मामले में फंसाया गया है. वहीं एनआईएन ने इस याचिका का विरोध करते हुए दांवा किया कि, खुदको इमाम व सामाजिक कार्यकर्ता बताने वाला मुश्फीक अहमद मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक था और उसने इस मामले में अन्य आरोपियों की मदद करने हेतु काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. दोनों पक्षों का युक्तिवाद सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश राजेश कटारिया ने आरोपी मुश्फीक अहमद की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि, आरोपी के खिलाफ अपराध की साजिश में शामिल होने के संदर्भ में पर्याप्त सबूत है और बेहद गंभीर प्रवृत्ति वाले इस अपराध में आरोपी मुश्फीक अहमद की भूमिका भी प्रथमदृष्ट्या दिखाई देती है. इस आधार पर आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती.