अमरावती

निष्क्रियता, लेट लतीफी का शिकार छत्रसाल टॉवर

मनपा बांधकाम विभाग की उेदासिनता

अमरावती /दि.12– शहर के समाजसेवी व नपा के पूर्व उपाध्यक्ष जुगलकिशोर पटेरिया ने अपने कार्यकाल में कई रचनात्मक कार्यो को अंजाम दिया था. यही नही नपा की आय की वृध्दी हो. जिसके लिए व्यापारी संकुल बनाने का सुझाव दिया था. जो आज के आय का प्रमुख स्त्रोत बना है. उसी तरह शहर के सौंदर्यीकरण में भी अभिवृध्दी हो ऐसी पहल की थी. आपने नपा का फंड पर निर्भर न रहते हुए नागरिकों के आर्थिक सहयोग से प्रताप चौक सुंदर, आकर्षक फवारे का निर्माण किया. स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आग्रह पर प्रताप चौक पर संपूर्ण नागरिक निधी से महाराणा प्रताप की आश्वरुढ प्रतिमा स्थापित की. क्लीन सिटी व ग्रीन सिटी के तहत कार्य में सक्रियता दिखाई. नये क्लाक टॉवर की संकल्पना को अंजाम-एक दुरदर्शी प्रस्ताव- जिस प्रकार जवाहर गेट पर भारत की आजादी (15 अगस्त 1947 ) की एक यादगार स्वरुप स्थाई वास्तु क्लॉक टॉवर के रुप में 22 हजार की देनगी निर्माण से हुआ. जो नगर पालिका कार्यालय की एक उपलब्धि थी. उसी प्रकार आगामी मनपा के कार्यकाल की भी भारत की स्वर्ण जयंति पर एक यादगार वास्तु हो दुरदर्शी प्रस्ताव 1980 में नपा में ध्वनिमत से पारित कराया था. क्योंकि 1983 में मनपा अस्तीत्व में आने वाली थी. इसी आशय को लेकर जुगलकिशोर पटेरिया(उपाध्यक्ष, नपा) ने दूरदर्शी प्रस्ताव रखा था तथा इस प्रस्तावित छत्रसाल क्लॉक के लिए मैं दो लाख रुपये की राशि मनपा को प्रदान करुंगा यह प्रस्ताव ध्वनिमत के साथ पारित हुआ था. जिस की शहर में सराहना की गई थी. 15 अगस्त 1983 में महानगर पालिका अस्तीत्वमें आई तथा अरुण पाटणकर प्रथम प्रशासक के रुप में नियुक्त हुए तथा नपा के पारित प्रस्ताव को प्रशासक पाटणकर के समक्ष रखा. वे प्रस्ताव से सहमत हुए तथा पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया. मनपा और नागरिक सहयोग निधी के संयुक्त आर्थिक सहयोग से नया क्लॉक टॉवर का निर्माण हो इसी संकल्पना से उन्हें अवगत कराया गया था. प्रशासक की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद पटेरिया पूर्ण उत्साह के साथ इस कार्य में जुट गए.नये प्रस्तावित छत्रसाल क्लॉक टॉवर की डिजाईन बनाने का कार्य वास्तुकार श्रीधर तट्टे को सौंपा गया तथा स्वयं की ओर से बील अदा किया. पुरातत्व विभाग से एनओसी प्राप्त की पुरात्त्व विभाग ने भी अपनी ओर से क्लॉक टॉवर की डिजाईन बनाकर मनपा को दी. पटेरिया ने क्लाक टॉवर का मॉडल भी बनवाया और मनपा को प्रस्तुत किया था. मनपा ने भी क्लॉक टॉवर की डिजाईन-वास्तुकार सुशील खंडारकर से बनवाई बिल भी अदा किया. आयुक्त अरुण डोंगरे ने भी 13वें वित्त आयोग के अंतर्गत क्लॉक टॉवर सिफारिश की तथा महापौर ने भी इसकी स्वीकृती दी थी.

पूर्व विधायक शेखावत के दिलाए थे 33 लाख
पूर्व विधायक रावसाहेब शेखावत ने केंद्र से 8 करोड रुपये की निधी परकोटे के विकास के लिए स्वीकृत कराए थे. जिसमें क्लॉक टॉवर के लिए 33 लाख रुपये का भी समावेश था. किंतु मनपा की उदासिनता व लेटलतीफी के कारण केंद्रिय राशि लेप्स हो गई थी.

आयुक्त गुढेवार की उत्साहपूर्व पहल
आयुक्त गुढेवार ने प्रस्तावित क्लॉक टॉवर में रुची ली थी तथा स्पॉट निरिक्षण कर अपनी सम्मती प्रदान की तथा इसके निर्माण योग्य निर्देश बांधकाम विभाग को दिए थे. इसी बीच उनका तबादला हो गया. तब सेयह प्रस्तावित क्लॉक टॉवर प्रलंबित होता गया और तबसे यह प्रलंबित चल रहा है. और आज भी यह प्रस्ताव कछुआ गति से रेंग रहा है तथा आज भी प्रस्ताव से खिलवाड चल रहा है. जो कि क्षोभ का विषय बन गया है.

 स्वर्ण जयंती की हो यादगार वास्तु
जिस प्रकार आजादी की सालगिराह के अवसर पर (15 अगस्त 1947) की एक यादगार वास्तु जवाहर गेट पर क्लॉक टॉवर के रुप में निर्मित हुई है. उसी प्रकार भारत की स्वर्ण जंयती अवसर की यादगार वास्तु शहर में होनी चाहिए. जवाहर गेट क्लॉक टॉवर, नगर पालिका के कार्यकाल में उपलब्ध है. उसी प्रकार मनपा के कार्यकाल की भी एक स्वर्ण जयंती की यादगार वास्तु होनी चाहिए. नागपूर मनपा ने भारतीय स्वर्ण जयंती पर गरिमा मैदान में एक यादगार स्वरुप उद्यान का निर्माण हो इसके लिए 81 लाख रुपये स्वीकृत कराए थे. जो कि सराहनीय पहल थी. नागपूर का स्वर्णजंयती उद्यान (गरिमा मैदान) उद्यान के रुप में साकार हो गया है. मगर अमरावती का प्रास्तावित छत्रसाल व्दार आकार नही ले पाया. यह खेद का विषय है. जो आज भी धिमी गती से हो रहा है. मनपा आयुक्त व्दारा इस ओर ध्यान देने की जरुरत है.
जितेन्द्र भागचंद साहू (सामाजिक कार्यकर्ता)

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