अमरावती

छत्री तालाब : अब किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा

जिला प्रशासन ने पोहरा बचाव समिति को दिलाया भरोसा

* विवादित स्थल का समिति ने किया जायजा
* संबंधितों से 25 तक मांगी रिपोर्ट
अमरावती/दि.13- नेशनल वेटलैंड एटलास में दलदलयुक्त जगह के रुप में घोषित छत्री तालाब परिसर में अब किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं किया जायेगा, ऐसा भरोसा बुधवार को पोहरा बचाव समिति को जिला प्रशासन ने दिलाया है. राष्ट्रीय हरित लवादा के आदेश से बुधवार को स्टेट वेटलैंड प्राधिकरण की देखरेख में जिलाधीश, निरी के वैज्ञानिक, उप वनसंरक्षक, महानगर पालिका आयुक्त की समिति ने नेशनल वेटलैंड एटलास में दलदलनुमा छत्री तालाब परिसर में मनपा द्वारा नियमबाह्य व विवादित विकास कार्य का जायजा लिया गया.
जांच के पश्चात जिलाधीश पवनीत कौर ने महाराष्ट्र स्टेट वेटलैंड एटलास में दर्ज क्षेत्र में निर्मित तथा प्रस्तावित काम के कारण पर्यावरण तथा पर्यावरण व्यवस्था पर होने वाले परिणाम का मूल्यांकन कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश निरी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. गजानन खडसे ने दिये हैं. आगामी 25 जुलाई तक यह रिपोर्ट पेश करने की सूचनाएं दी गई हैं.राष्ट्रीय हरित लवाद के आदेश से बुधवार को महाराष्ट्र स्टेट वेटलैंड प्राधिकरण के सचिव व पर्यावरण के साथ वातावरण बदलाव संचालक अभय पिंपरकर, पर्यावरण उपसचिव चंद्रकांत विभुते, उपवनसंरक्षक अमित मिश्रा, सहायक वनसंरक्षक ज्योति पवार, प्रादेशिक प्रदूषण नियामक मंडल अधिकारी सं.दे. पाटिल, निरी के वरिष्ठ प्रधान निरीक्षक डॉ. गजानन खडसे, निरी के अधिकारी डॉ. पद्माकर, मनपा आयुक्त देवीदास पवार, पोहरा जंगल बचाव समिति के नीलेश कांचनपुरे, डॉ. जयंत वडतकर, सागर मैदानकर व अन्य सदस्यों ने छत्री तालाब परिसर में हुए निर्माण कार्य का जायजा लिया. इस जायजा दौरे में वेटलैंड एटलास में दलदलनुमा जगह के रुप में घोषित परिसर में नियमों का उल्लंघन कर किये गये निर्माण कार्य की सत्यता को जांचने एनजीटी नियुक्त समिति ने प्रत्यक्ष जगह का निरीक्षण किया.
बता दें कि, छत्री तालाब परिसर दलदलनुमा क्षेत्र है. जिसकी पर्यावरण, वन तथा मौसम बदलाव मंत्रालय ने नेशनल वेटलैंड इन्वेंटरी एंड असेसमेंट अंतर्गत तैयार महाराष्ट्र स्टेट वेटलैंड एटलास में दर्ज है. इसकी जानकारी होने के बाद भी छत्री तालाब परिसर में बड़े पैमाने पर नियमों का उल्लंघन कर विकास कार्य किये गये और कुछ प्रस्तावित हैं. जिसके कारण यहां के सौंदर्यीकरण व कांक्रीटीकरण का बड़े पैमाने में विरोध किया जा रहा है. पोहरा जंगल बचाव समिति ने राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण में याचिका दायर की. 29 मार्च को एनजीटी की अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई. शासन द्वारा घोषित दलदलनुमा क्षेत्र में किसी भी प्रकार का कांक्रीटीकरण व निर्माण कार्य पर सरकारी पाबंदी के बाद भी निर्माण कार्य किया गया. जिसमें पर्यावरण के नियमों का उल्लंघन कर वन्यप्राणियों के अधिवास तथा वनक्षेत्र को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है. इस ओर सभी विभागों की अनदेखी हुई है, ऐसा आरोप पोहरा जंगल बचाव समिति ने राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण की अदालत में किया था. इस पर राष्ट्रीय हरित लवाद प्राधिकरण द्वारा महाराष्ट्र राज्य वेटलैंड प्राधिकरण, जिलाधीश के साथ उपवनसंरक्षक को छत्री तालाब परिसर का मूल्यांकन कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये थे. इस आदेश का पालन करते हुए कार्यवाही शुरू की जा रही है, यह जानकारी जिलाधीश पवनीत कौर ने दी.
25 तक सुधार हेतु उपाय सुझाने के निर्देश
समिति द्वारा निरीक्षण के बाद अब छत्री तालाब परिसर में किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं होने देंगे, यह निर्णय लिया गया है. साथ ही छत्री तालाब परिसर में मनपा द्वारा किये गये तथा प्रस्तावित निर्माण कार्य से पर्यावरण तथा पर्यावरण व्यवस्था पर होने वाले परिणामों का मूल्यांकन कर 25 जुलाई तक सुधारात्मक उपाय योजना सुझाने के निर्देश समिति प्रमुख व जिलाधीश पवनीत कौर ने निरी के वरिष्ठ वैज्ञानिकों को दिये हैं.

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