अमरावतीमहाराष्ट्रमुख्य समाचार

‘उस’ निर्माण को रुकवाने का मुख्यमंत्री को अधिकार नहीं

हाईकोर्ट ने सीएम सहित मनपा को भी सुनाए खडे बोल

* भाजपा नेत्री की शिकायत पर सीएम शिंदे ने दी थी स्थगिती
* जमीन मालिक व बिल्डर ने अदालत में लगाई थी गुहार
अमरावती/दि.23 – एक भाजपा नेत्री द्वारा सौंपे गये निवेदन पर सीएम शिंदे द्वारा दिये गये रिमार्क का आधार लेते हुए अमरावती मनपा के आयुक्त देवीदास पवार ने श्री कालोनी स्थित एक भूखंड पर चल रहे अपार्टमेंट के काम को रुकवा दिया था. जो पूरी तरह से गलत कदम है. क्योंकि मुख्यमंत्री के पास किसी निर्माणकार्य को रुकवाने या उस संदर्भ में स्थगिती आदेश देने का कोई अधिकार नहीं होता. साथ ही मनपा प्रशासन ने भी इस मामले में साफ तौर पर राजनीतिक दबाव में आते हुए काम किया. इस आशय के शब्दों में मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित मनपा प्रशासन को जमकर आडे हाथ लिया. साथ ही यह कार्रवाई नियमबाह्य रहने का निर्णय देते हुए याचिका दायर करने वाले भूखंड मालिक मुकूंद बर्गी व बिल्डर सचिन रोडे को उक्त भूखंड पर निर्माणकार्य जारी रखने की अनुमति देते हुए राहत प्रदान की.
जानकारी के मुताबिक श्री कालोनी स्थित श्री सहकारी गृहनिर्माण संस्था के सदस्य मुकूंद बर्गी के भूखंड क्रमांक 13 पर रिहायशी अपार्टमेंट के निर्माण कार्य को प्रशासन द्वारा 30 अक्तूबर 2023 को मंजूरी प्रदान की गई थी. परंतु इस निर्माणकार्य के खिलाफ इसी सोसायटी की पदाधिकारी रहने वाली भाजपा नेत्री शिल्पा चौधरी पाचघरे ने अपने लेटर पैड पर सीधे राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास शिकायत दर्ज कराई थी और सीएम शिंदे ने उसी लेटर पैड पर अपना अभिप्राय लिखते हुए उक्त काम को रुकवाने का आदेश जारी किया था तथा लेटर पैड पर लिखे इसी रिमार्क के आधार पर मनपा आयुक्त ने उस निर्माणकार्य को स्थगिती दे दी. आयुक्त पवार के इस आदेश के खिलाफ मुकूंद बर्वी व उनके निर्माण ठेकेदार सचिन रोडे ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई. जिसके बाद आयुक्त ने अपना फैसला पीछे ले लिया. परंतु नियमानुसार सभी अनुमतियां रहने के बावजूद मुख्यमंत्री व आयुक्त द्वारा अपना काम रोक दिये जाने के चलते अपना नुकसान होने का दावा करते हुए याचिकाकर्ताओं ने एक बार फिर अदालत में गुहार लगाई. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि, किसी राजनीतिक कार्यकर्ता के निवेदन पर इस तरह से अभिप्राय लिखकर किसी निर्माणकार्य को रुकवाने का कोई अधिकार मुख्यमंत्री को नहीं है. साथ ही आयुक्त द्वारा की गई कार्रवाई भी पूरी तरह से गलत है. साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि, इस मामले में मुख्यमंत्री सीधे तौर पर मुख्यमंत्री कोई पार्टी नहीं है. जिसके चलते अदालत द्वारा मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई निर्णय नहीं दिया जा रहा. लेकिन मुख्यमंत्री को निश्चित तौर पर इस तरह से काम रुकवाने का कोई अधिकार भी नहीं है. इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से एड. धीरज जैन व एड. अनिल मार्डीकर ने सफलतापूर्वक पैरवी की.

* हमने अपने युक्तिवाद के जरिए हाईकोर्ट को बताया कि, किसी राजनीतिक पदाधिकारी के लेटर पैड पर मुख्यमंत्री द्वारा इस तरह से कोई निर्णय नहीं दिया जा सकता. परंतु इस मामले में लेटर पैड ही संदेहास्पद रहने के बावजूद भी मुख्यमंत्री द्वारा उस पर अपना अभिप्राय लिखा गया. साथ ही उस अभिप्राय को आदेश के तौर पर ग्राह्य मानते हुए मनपा आयुक्त ने भी निर्माणकार्य को रुकवाने की कार्रवाई की. इस बात को ध्यान में रखते हुए अदालत ने मुख्यमंत्री सहित मनपा आयुक्त द्वारा की गई कार्रवाई को गलत साबित किया है.
– एड. धीरज जैन,
याचिकाकर्ताओं के वकील

Related Articles

Back to top button