सरकारी अधिकारियों के बिना चल रहे चिखलदरा के सरकारी कार्यालय
तहसीलदार, बीडीओ, बीईओ व टीएमओ पद पर प्रभारी अधिकारी
अमरावती/दि.27– आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र की चिखलदरा तहसील में तहसीलदार, खंड विकास अधिकारी, तहसील स्वास्थ्य अधिकारी व गट शिक्षाधिकारी जैसे राजस्व, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य व शिक्षा विभाग चलाने वाले महत्वपूर्ण अधिकारियों के पद रिक्त पडे है तथा इन पदों का कामकाज प्रभारी अधिकारियों के भरोसे चल रहा है. ऐसी संतापजनक खबर सामने आयी है. राज्य सरकार के लचर कामकाज की वजह से नियमित व पूर्णकालीक अधिकारियों के बिना चिखलदरा तहसील के सरकारी कार्यालय एक तरह से कुपोषण का शिकार है. साथ ही तबादलों का बीत जाने के बावजूद भी नियुक्तियां नहीं होने को लेकर संताप व्यक्त किया जा रहा है.
उल्लेखनीय है कि, मेलघाट के धारणी व चिखलदरा आदिवासी क्षेत्र रहने के चलते सरकारी क्षेत्र के विकास हेतु करोडों रुपए की निधि भेजती है. परंतु सरकारी योजनाओं को अमल में लाने हेतु इस परिसर में सक्षम अधिकारी भी नहीं है. प्रभारी और प्रतिनियुक्ति पर रहने वाले अधिकारियों के निर्णय और काम करने की क्षमता में किस तरह का फर्क रहता है. उससे इस क्षेत्र में स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है. परंतु इसके बावजूद भी चिखलदरा तहसील में विगत 3 माह से अधिकारियों के बिना प्रभारी अधिकारियों के भरोसे काम चल रहा है. ऐसे में किसी भी तरह का ठोस निर्णय ले सकने में असक्षम रहने वाले सरकारी कार्यालय इस क्षेत्र के आदिवासियों हेतु सिरदर्द साबित हो रहे है.
भातकुली के तहसीलदार व अचलपुर के बीडीओ के भरोसे चिखलदरा विगत 4 माह से चिखलदरा में तहसील व तहसील दंडाधिकारी का पद रिक्त पडा है. जिस पर प्रभारी अधिकारी के भरोसे काम चल रहा है. तहसीलदार माया माने का तबादला हो जाने के चलते 2 माह तक नायब तहसीलदार के पास प्रभार था. पश्चात मेलघाट दौरे पर आए जिलाधीश ने भातकुली के तहसीलदार सारंग ढोंगसे को चिखलदरा के तहसीलदार का अतिरिक्त पदभार दिया. वहीं जिला परिषद से सेवा निवृत्त हुए गटविकास अधिकारी जयंत बाबरे के स्थान पर अचलपुर के सहायक बीडीओ जीवनलाल भिलावेकर को प्रभारी के तौर पर भेजा गया. इसी तरह तहसील स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सतिश प्रधान के सेवा निवृत्त हो जाने के चलते अतिदुर्गम रहने वाले हतरु में पदस्थ डॉ. प्रवीण पारिसे के पास पूरे तहसील के स्वास्थ्य का जिम्मा सौंपा गया है. इसी तरह गट शिक्षाधिकारी का प्रभार रमेश मालवे के पास है.
* यह सीधे-सीधे अदालत का अपमान
मेलघाट कुपोषित क्षेत्र है. साथ ही अतिसंवेदनशील आदिवासी इलाका है. यहां पर विभाग प्रमुखों के पद रिक्त रखे बिना उन्हें तत्काल भरने का आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने कई बार दिया है. परंतु इसके बावजूद राज्य सरकार ने रिक्त पदों का खेल लगातार जारी रखा. जिसकी वजह से आदिवासियों का विकास प्रभावित हो रहा है. इसे सीधे-सीधे अदालत का अपमान माना जा रहा है.