अमरावती

चिखलदरा में है ब्रिटीशकालीन वीआईपी रेस्ट हाउस

अचलपुर से करना होता है कमरों का आरक्षण

* पर्यटन के लिहाज से सर्वसुविधायुक्त विश्रामगृह
* नेताओं के नाम पर चेले-चपाटों की रहती है भीड
अमरावती/दि.5 – सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग की तरह वन वभाग, सिंचाई विभाग व जिला परिषद सहित अन्य कई विभागों द्बारा जिले में अलग-अलग स्थानों पर अपने विश्रामगृह बनाए गए है. जिसमें विशेष तौर पर ब्रिटीश राज के दौरान प्रत्येक 30 से 35 किमी की दूरी पर विश्रामगृह बनाए गए थे. साथ ही जिले के कुछ स्थानों पर देश की आजादी के बाद भी विश्रामगृह तैयार किए गए. ऐसा ही एक सुसज्जित विश्रामगृह विदर्भ के एकमात्र हिल स्टेशन चिखलदरा में भी है. जहां पर सुसज्जित व वातानुकूलित कमरों की व्यवस्था है. साथ ही बेहद साफ-सुथरा और सुंदर रहने वाला यह विश्रामगृह पर्यटन नगरी चिखलदरा में आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहने के साथ ही काफी सुविधाजनक भी है. लेकिन यहां पर अक्सर नेताओं के नाम पर उनके चेले-चपाटों की ही ज्यादा भीड-भाड रहती है और आम लोगों के लिए यह विश्रामगृह कभी उपलब्ध भी नहीं हो पाता.
बता दें कि, ब्रिटीश राज के दौरान बनाए गए इस विश्रामगृह की इमारत काफी प्रशस्त बनाई गई थी. जिसका निर्माण बेहद मोटी व उंची दीवारों से किया गया था. साथ ही यहां पर सागौन के दरवाजे व खिडकियां लगाए गए थे. इसके अलावा बारिश व ठंडी के मौसम में कमरों का वातावरण गर्म रखने हेतु कमरों के भीतर अलाव की व्यवस्था थी. जिसमें अब थोडा बदलाव कर दिया गया है.
* किसे मिलता है आरक्षण
राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री, राज्यमंत्री, न्यायमूर्ति, विधानमंडल समिति के सभासद, सांसद, विधायक, सरकारी काम के चलते दौरे पर रहने वाले अधिकारी व कर्मचारी.
* दैनिक किराया कितना?
मंत्री, सांसद, विधायक, पूर्व विधायक व पूर्व सांसद के लिए 100 रुपए प्रतिदिन तथा निजी काम से आए व्यक्ति के लिए 300 रुपए प्रतिदिन का किराया तय किया गया है.
* हर माह कितना होता हैं खर्च
– वेतन पर 20 हजार रुपए का खर्च
चिखलदरा के सरकारी विश्रामगृह में एक खानसामा व एक कर्मचारी ऐसे दो ही पद है, जो रोजनदारी यानि दैनिक वेतन पद्धति पर नियुक्त है. इनके मासिक वेतन पर प्रतिमाह 20 से 25 हजार रुपए का खर्च किया जाता है. वहीं विश्रामगृह में विद्युत व जलापूर्ति के लिए अलग पैसा खर्च होता है.
– पानी व बिजली पर 5 हजार रुपए का खर्च
चिखलदरा स्टॉप पर सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग के विश्रामगृह का मैदान गरीब आदिवासियों का आश्रय स्थल है. ऐसे में विश्रामगृह के साथ ही इन आदिवासियों को बिजली व पानी उपलब्ध कराने हेतु करीब 5 हजार रुपए का खर्च होता है.
* साफ-सफाई पर दिया जा हैं विशेष ध्यान
चूंकि चिखलदरा के सरकारी विश्रामगृह में हमेशा ही वीआईपी व वीवीआईपी लोगों का आना-जाना चलता रहता है. ऐसे में यहां पर सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग के अधिकारी व कर्मचारी बडी मुश्तैदी के साथ अपनी ड्यूटी पर हाजिर रहते है. साथ ही प्रकृति के सानिध्य में बने और पेडों की झूरमूूट से घिरे इस विश्रामगृह में साफ-सफाई करने और पेडों से गिरे पत्तों का कचरा हटाने की ओर विशेष ध्यान दिया जाता है. जिसके चलते यहां की साफ-सफाई देखकर मन आनंदीत व अल्हादीत हो जाता है.
चिखलदरा को विदर्भ का नंदनवन कहा जाता है. यहां पर लगभग सभी सरकारी विभागों के विश्रामगृह है. हमारे अख्तियार में वीआईपी विश्रामगृह है और इस विश्रामगृह में हमेशा ही सांसद, विधायक, न्यायमूर्ति व वरिष्ठ अधिकारी आते है, ऐेस में यहां पर साफ-सफाई एवं सुविधा की ओर विशेष ध्यान दिया जाता है.
– हेमकांता पठारे,
शाखा अभियंता, चिखलदरा.

Related Articles

Back to top button