5 वर्ष तक विदर्भ का मुख्यमंत्री रहने के बावजूद चिखलदरा उपेक्षित
पूर्व पार्षद प्रदीप बाजड ने जताया दुख
अमरावती/दि.13– समूचे विदर्भ क्षेत्र का कश्मिर कहे जाते चिखलदरा को हमेशा से ही राज्य सरकार की अनदेखी का शिकार होते रहना पडा है. कई वर्षों से चिखलदरा के विकास हेतु अनेकों आश्वासन दिए गए, कई घोषणाएं हुई और अनगिनता प्रारुप तैयार किए गए. लेकिन इसके बावजूद चिखलदरा आज भी विकास से कोसो दूर है और सबसे बडी शोकांतिका यह है कि, विगत 5 वर्ष के दौरान राज्य का मुख्यमंत्री पद विदर्भ के पास रहा. लेकिन इसके बावजूद भी चिखलदरा का कोई भला नहीं हुआ. इस समय के शब्दों में पूर्व पार्षद प्रदीप बाजड ने चिखलदरा को लेकर अपना दुख व्यक्त किया है.
यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति में पूर्व पार्षद बाजड ने कहा कि, सतपुडा के पर्वतीय क्षेत्र में नैसर्गिक सौंदर्य से सजे हुए चिखलदरा को ठंडी हवा वाले स्थान के तौर पर जाना जाता है. जहां पर कई नामांकित पॉईंट और ऐतिहासिक गाविलगड का किला है. जिनकी देखरेख की ओर सरकार द्बारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा. यहीं वजह है कि, धीरे-धीरे चिखलदरा में पर्यटकों की संख्या घटती जा रही है और चिखलदरा शहर में पर्यटन व्यवसाय पर आश्रित रहने वाले लोग बेरोजगारी का सामना कर रहे है. चिखलदरा में कोई नया विकास काम तो नहीं किया जा रहा. साथ ही जो पहले से विकास काम करते हुए सौंदर्यीकरण किया गया था. वह भी सरकारी व प्रशासनिक अनास्था के चलते नष्ट होता चला जा रहा है. परंतु राज्य के पर्यटन मंत्री का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री रहते समय विदर्भवादी नेता ने चिखलदरा के विकास हेतु 800 करोड रुपए की घोषणा की थी. जिसमें से चिखलदरा के हिस्से में अब तक 8 करोड रुपए भी नहीं आए. यह अपने आप में एक शोकांतिका व हकीकत है. ऐसे में यह जरुरी है कि, विदर्भ क्षेत्र के सभी नेताओं ने चिखलदरा पर्यटन स्थल की विकास की ओर ध्यान देना चाहिए.