अमरावती

बाल-बच्चे रहने वालों को नहीं मिलेगी निराधार पेंशन

अमरावती/दि.14 – ढलती उम्र में निराधारों को आधार देने के उद्देश्य से सरकार द्बारा पेंशन योजना चलाई जाती है. जिसमें से संजय गांधी निराधार योजनांतर्गत 65 वर्ष से अधिक आयु रहने वाले बुजुर्गों को 1 हजार रुपए की पेंशन दी जाती है. इससे पहले इस योजना के तहत 65 वर्ष से अधिक आयु वाले सभी तरह के बुजुर्गों को आर्थिक आधार पर पेंशन दी जाती है. परंतु अब नये नियमानुसार जिन बुजुर्गों को बाल-बच्चे है, उन्हें यह पेंशन मिलना बंद हो जाएंगी. जिसकी वजह से कई बुजुर्गों को अब इस पेंशन से वंचित रहना पडेगा.

* निराधारों को कितनी मिलती है पेंशन?
संजय गांधी निराधार योजना, श्रावण बाल निवृत्ति वेतन योजना, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय निवृत्ति वेतन योजना व इंदिरा गांधी राष्ट्रीय बुजुर्ग योजना के लाभार्थियों को केंद्र व राज्य सरकार द्बारा 1 हजार रुपए की पेंशन मिलती है.

* जिले में कितने है लाभार्थी
जिले में विविध पेंशन योजनाओं के 2 लाख 75 हजार 752 लाभार्थी है. जिन्हें सरकार द्बारा अलग-अलग योजनाओं के तहत पेंशन दी जाती है. प्रतिवर्ष लाभार्थियों की संख्या बढती जा रही है. वहीं कई अपात्र लाभार्थियों के आवेदन खारिज भी हो जाते है.

* …. तो बंद हो जाएंगी पेंशन
जिन बुजुर्गों की आयु 65 वर्ष से अधिक है और जिनके बाल-बच्चों की आयु 25 वर्ष से अधिक है, ऐसे बुजुर्गों की निराधान पेंशन बंद हो जाएगी, ऐसी जानकारी है. इस नये नियम का खामियाजा कई बुजुर्गों को उठाना पड सकता है.

* विधवाओं व दिव्यांगों को मिलती रहेगी पेंशन
विधवा महिलाओं को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा निवृत्ति वेतन योजना से प्रतिमाह हजार रुपए की पेंशन मिलती है. यह योजना पहले की तरह जारी रहेगी. साथ ही दिव्यांग लाभार्थियों की पेंशन भी पूर्ववत चलती रहेगी.

* बुजुर्गों में देखा जा रहा असंतोष
सरकार ने 25 वर्ष से अधिक आयु वाले बाल-बच्चे रहने वाले बुजुर्गों को पेंशन देना बंद करने का निर्णय लिया है. किंतु इन दिनों संयुक्त परिवार पद्धति खत्म होती जा रही है और एकल परिवारों व विभक्त परिवारों का प्रमाण बढ रहा है. कई बच्चे अपने माता-पिता को अपने साथ नहीं रखते है. ऐसे बुजुर्गों के लिए यह योजना बेहद लाभदायी थी. लेकिन अब बाल-बच्चे रहने वाले बुजुर्गों के लिए इस योजना को बंद करने का निर्णय लिया गया है. जिसकी वजह से अपने बाल-बच्चों से अलग रहने वाले बुजुर्गों को काफी तकलीफों का सामना करना पड सकता है. जिसके चलते ऐसे बुजुर्गों ने इस फैसले को लेकर काफी हद तक नाराजी देखी जा रही है.

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