अमरावती/दि.15– मुंबई हाईकोर्ट ने बच्चों को माता-पिता और दादा-दादी का प्यार व स्नेह पाने का नैतिक अधिकार बताया है. यह बच्चों के व्यक्तिगत विकास तथा कल्याण के लिए आवश्यक है.
अदालत ने पुणे के एक व्यक्ति और उसके माता-पिता को उसके बच्चों से मिलने की अनुमति देते हुए संबंधित आदेश जारी किये. न्यायमूर्ति अनुजा प्रभु देसाई की एकल पीठ ने यह आदेश जारी किया. आदेश में न्यायाधीश ने इस बात का जिक्र किया कि, जिस माता-पिता को बच्चों का संरक्षण करने का अधिकार प्राप्त नहीं है, उन्हें अपने बच्चों के साथ कुछ महत्वपूर्ण समय बिताने और उनके साथ का आनंद उठाने ेके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता. न्यायमूर्ति प्रभु देसाई ने कहा कि, बच्चों को माता-पिता दोनों का और दादा-दादी का प्यार व स्नेह पाने का अधिकार है. यह बच्चों के व्यक्तिगत विकास एवं संपूर्ण कल्याण के लिए जरुरी है. अदालत ने एक याचिका पर सुनवाई करते यह बात कहीं. उस याचिका में याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि, उसे जून 2020 से अपने बच्चों से नहीं मिलने दिया गया. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत से कहा कि, बच्चों के दादा-दादी अस्वस्थ्य है, इसलिए वह अपनी पोते से मिलने चाहते है. जिस पर अदालत ने उस व्यक्ति को अपने बच्चों से 2 दिन मिलने की अनुमति दी और दम्पत्ति के बिच विवाद को मध्यस्थता से सुलझाने के लिए भेज दिया.