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ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी अस्पतालों की ओर लोगों का रूझान
अमरावती/दि.15 – विभिन्न बीमारियों से छोटे बच्चों का संरक्षण हो, इस हेतु उन्हें अलग-अलग प्रतिबंधात्मक वैक्सीन दिया जाना बेहद जरूरी व महत्वपूर्ण होता है और ये सभी वैक्सीन सरकारी अस्पतालों में पूरी तरह नि:शुल्क मिलती है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी अस्पतालों में ले जाकर नि:शुल्क तौर पर वैक्सीन लगाते है. किंतु शहरी क्षेत्र में कई लोगबाग सरकारी अस्पतालों की बजाय निजी अस्पतालों में जाकर ऐसे वैक्सीनेशन हेतु पैसा खर्च करते है. जबकि हकीकत में उन्हें पैसा खर्च करने की कोई जरूरत नहीं होती.
बता दें कि, बच्चों को जन्म से ही अगले कुछ समय तक अलग-अलग प्रतिबंधात्मक वैक्सीन दी जाती है, ताकि उनकी रोग प्रतिकारक क्षमता बढ सके. नवजात बच्चों को घटसर्प, सूखी खांसी, धनुर्वात, क्षयरोग, पोलिओ, पीलिया व गोवर आदि बीमारियां होने का खतरा रहता है. जिनसे बचाने हेतु बच्चों को प्रतिबंधात्मक वैक्सीन लगायी जाती है. ये सभी वैक्सीन शहर सहित जिले के ग्रामीण इलाकों में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क तौर पर उपलब्ध होती है. साथ ही कई वैक्सीन तो स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा घर-घर जाकर छोटे बच्चों को दी जाती है. कई बार सरकारी अस्पतालोें में वैक्सीनेशन के लिए लंबी-लंबी कतारें भी लग जाती है. जिसके चलते शहरी क्षेत्र में रहनेवाले और आर्थिक रूप से सक्षम लोगबाग अपने बच्चों को वैक्सीनेशन कराने हेतु निजी अस्पतालों में लेकर जाते है. जहां पर उन्हें इन्हीं वैक्सीनों के लिए शुल्क अदा करना पडता है.
जिला अस्पताल से लेकर स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध
– बच्चे का जन्म होने के बाद उससे लगनेवाली तमाम आवश्यक वैक्सीन जिला अस्पताल से लेकर पीएचसी केंद्र तक उपलब्ध है. साथ ही कई वैक्सीन तो सरकारी स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा घर-घर जाकर सर्वेक्षण अभियान चलाते हुए दी जाती है.
– सभी सरकारी केंद्रों पर सभी वैक्सीन बच्चों को नि:शुल्क दी जाती है. सरकारी व निजी अस्पतालों में दी जानेवाली वैक्सीन में कोई फर्क नहीं होता. बल्कि दोनों ही वैक्सीन एक ही होती है. ऐसे में अभिभावकों ने नाहक पैसा खर्च करने की बजाय स्वास्थ्य केंद्रों पर जाकर अपने बच्चों को वैक्सीन दिलानी चाहिए और उन्हें विभिन्न बीमारियों से सुरक्षित रखना चाहिए.
– डॉ. विशाल काले
वैद्यकीय व चिकित्सा अधिकारी, मनपा
निजी अस्पतालों 100 रूपये से 4 हजार रूपयों तक वैक्सीन
जहां एक ओर सरकारी अस्पतालों में सभी वैक्सीन पूरी तरह से नि:शुल्क तौर पर उपलब्ध होती है, वहीं निजी अस्पतालों में प्रत्येक वैक्सीन के लिए अलग-अलग शुल्क अदा करना होता है. जिसमें 100 रूपये से लेकर 4 हजार रूपये तक के शुल्क का समावेश होता है. ये सभी वैक्सीन निजी अस्पताल में नि:शुल्क उपलब्ध होती है, लेकिन वहां पर कतार में खडे रहने की बजाय लोगबाग निजी अस्पताल में जाकर पैसे खर्च करते हुए फटाफट तरीके से अपने बच्चों को वैक्सीन लगवा लेते है.
कब कौनसी वैक्सीन लगवानी होती है
– बीसीजी – जन्म होने के तुरंत बाद या एक साल के भीतर
– हेपेटायसीस – जन्म होने के तुरंत बाद या 24 घंटे के भीतर
– ओवरल पोलिओ (पहला) – जन्म होने के तुरंत बाद या 15 घंटे के भीतर
– ओवरल पोलिओ (शेष डोज) – छठवें, दसवे या चौदहवे सप्ताह में
– पेंटा (1, 2, 3) – छठवें, दसवें या चौदहवे सप्ताह के भीतर
– गोवर (चेचक या देवी) – नौ महिने अथवा एक वर्ष की आयु में