बच्चों! अंधश्रद्धा छोड़कर निर्व्यसनी और सुसंस्कृत बनो
दासटेकड़ी पर आयोजित सुसंस्कार शिविर में प्रमोद पोकले का उपदेश
तिवसा/दि.20- आज के दौड़धूप भरे जीवन में लड़के-लड़कियों पर सुसंस्कार करने माता-पिता या पालकों को समय नहीं है. मोबाईल व इलेक्ट्रॉनिक्स प्रसार माध्यमों के कार आज की पीढ़ी बिगड़ने का चित्र दिखाई दे रहा है. भावी पीढ़ी बनाने के लिए सुसंस्कार शिविर की आवश्यकता है. यहां से सुसंस्कार लेकर बच्चों! अंधश्रद्धा छोड़कर निव्यर्सनी व सुसंस्कृत बनो, ऐसा उपदेश भजन गायक प्रमोद पोकले ने दिया.
राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज प्रणित अ.भा. श्रीगुरुदेव सेवा मंडल की तत्वप्रणाली पर जीवन शिक्षण का आदर्श पाठ आज के बाल-युवकों को देकर देश-धर्म-संस्कृति व राष्ट्रीय एकात्मता को पोषक ऐसा देश का भावी नागरिक बनाए, इस पवित्र उद्देश्य से नियमबद्ध दिनचर्या रख विद्यार्थियों में सदगुण संवर्धन होने की दृष्टि से राष्ट्रसंत अध्यात्म केंद्र, दासटेकड़ी में 1 मई से शुरु हुए श्रीगुरुदेव सर्वांगीण बाल सुसंस्कार शिविर को सदिच्छा भेंट के दौरान प्रमोद पोकले बोल रहे थे.
इस समय शिविर के संपूर्ण शिक्षकों सहित साबले महाराज, रुपेश मोरे, नीलेश मोहोकार, अरुण फंदे, मिन्नाथ पेटकर, निवृत्ति इंदूरकर, नितीन बागडे व छत्रपति राणे आदि उपस्थित थे. यहां पर महाराष्ट्र के 13 जिलों से 170 शिविरार्थी शिविर का लाभ ले रहे हैं. इस समय बाल गोपालों ने प्रस्तुत की ग्रामगीता, भगवतगीता व ज्ञानेश्वरी आदि ग्रंथों के विविध प्रकार की लाईनें, श्लोक व सकल साधुसंतों के भजन-अभंग आदि के गायन से यहां का परिसर रमणीय व भक्तिमय हो गया है.
श्रीगुरुदेव राष्ट्रधर्म प्रचार समिति द्वारा संचालिक इस शिविर का समापन रविवार 21 मई की शाम 6.30 बजे अनेक मान्यवरों की उपस्थिति में होगा. शिविर की सफलतार्थ शिविर व्यवस्थापक रवींद्र वानखडे सहित शिविर प्रमुख रवींद्र ढवले, रुपेश मोरे, नीलेश मोहोकार, आशीष ठाकरे, संकेत वर्हेकर, सदानंद जोगी, योगेश मेंढे, गणेश दखरे, मयूर इंगले, कमलेश राऊत, अरुण फंदे, दीपक दखरे, छगन मोरे व प्रज्वल वांगे आदि सहयोग कर रहे हैं.