-
अभिभावकों में चिंता की लहर
अमरावती/प्रतिनिधि दि.१० – कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए विगत वर्ष के मार्च माह से सभी शालाएं बंद है और अब कहीं जाकर कोविड मुक्त रहनेवाले गांवों में शालाओं को शुरू करने का नियोजन किया जा रहा है. लेकिन इसके बावजूद 1 ली से 4 थी की कक्षाओं के विद्यार्थी घर पर ही रहेंगे. यह अब पूरी तरह से स्पष्ट हैं. ऐसे में शालाएं बंद रहने के चलते विद्यार्थी पूरी तरह से छुट्टियों के मूड में है और पढाई-लिखाई को लगभग भूल चुके है. वहीं दूसरी ओर पूरा समय घर पर रहनेवाले बच्चों के लाड-प्यार को पूरा करते हुए अब अभिभावक तंग आ चुके है. वहीं दूसरी ओर खुद विद्यार्थियों का भी इस कोरोना और लॉकडाउन की वजह से काफी शैक्षणिक नुकसान हो रहा है.
कोविड संक्रमण की संभावित तीसरी लहर का खतरा बना रहने के चलते शालाओं को शुरू किया जाये अथवा नहीं, इसे लेकर सरकार द्वारा कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया जा रहा. किंतु शालाएं शुरू होने की ओर अभिभावकों द्वारा नजर गडाकर रखी गई है. वहीं पता चला है कि, कोविड मुक्त रहनेवाले गांवों व शहरों की शालाओं में 5 वीं से 8 वीं सहित 10 वीं व 12 वीं की कक्षाएं शुरू होंगी. जिससे अधिकांश विद्यार्थियों को राहत मिलेगी. किंतु 1 ली से 4 थी तक की कक्षाओं के विद्यार्थी इस वर्ष भी शालाओं में जाने की बजाय अपने-अपने घरों पर ही रहेंगे, यह स्पष्ट है. गत वर्ष कक्षा 1 लीं में प्रवेश लेनेवाले विद्यार्थियों ने अपनी शाला का मुंह तक नहीं देखा और बिना परीक्षा दिये उन्हें सीधे कक्षा 2 री में प्रवेश दिया गया है. जबकि हकीकत यह है कि, 90 फीसद विद्यार्थियों का अक्षर परिचय नहीं हुआ है.
-
अक्षरों से परिचित नहीं हुए बच्चे
– 1 ली से 4 थी तक की कक्षाओं के विद्यार्थी मोबाईल अथवा टैब पर ऑनलाईन शिक्षा ले रहे है. किंतु हकीकत यह है कि, इस उम्र के बच्चों के लिए ऑनलाईन शिक्षा किसी काम की नहीं है.
– ऑनलाईन शिक्षा के समय बच्चों के साथ ही उनके अभिभावकों को भी पूरा समय ऑनलाईन क्लास में मौजूद रहना होता है, ताकि वे ऑनलाईन क्लास में पढाये जा रहे विषय अपने बच्चों को समझा सके.
– ऑनलाईन पढाई की वजह से लगातार मोबाईल व इंटरनेट पर लगे रहने के चलते बच्चों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर विपरित असर पड रहा है और लगातार मोबाईल पर लगे रहने की वजह से उनका दिमाग सुन्न हो जाता है.
-
अभिभावक खुद घर पर करवाये पढाई
– चूंकि बच्चे ऑनलाईन पढाई नहीं करते. अत: अभिभावकों द्वारा खुद उनकी घर पर पढाई करवायी जाये. विशेषकर माताओं द्वारा बच्चों के पढाई की ओर विशेष ध्यान दिया जाये.
– बच्चे मोबाईल पर कम से कम समय बिताये, इसे लेकर नियोजन करे और टीवी के सामने बैठकर बच्चों द्वारा भोजन न किया जाये, इसकी ओर भी विशेष ध्यान दिया जाये.
– दिन में कम से कम घंटे-दो घंटे लगातार बच्चों को पढाई में व्यस्त रखने का प्रयास किया जाये. साथ ही वे स्लेट पर लिखने हेतु प्रवृत्त हो और अक्षरों से परिचित हो सके. इस पर विशेष ध्यान दिया जाये.
-
पढाई टालने की कई वजहें
– शाला बंद रहने की वजह से कई बच्चे मोबाईल व टीवी देखने के आदी हो गये है. वहीं ऑनलाईन शिक्षा से जी चुराते हुए नींद आने की वजह आगे करते है.
– ऑनलाईन क्लास शुरू रहने के दौरान यदि माता-पिता द्वारा नजर रखी जा रही है, तो बच्चों द्वारा पेट अथवा सिर दुखने की वजह आगे करते हुए टाईमपास करने का प्रयास किया जाता है.
– मोबाईल अथवा टैब पर गेम या कार्टून देखने के शौकीन हो चुके बच्चे ऑनलाईन क्लास के समय टीचर की आवाज नहीं आने और कनेक्टीविटी नहीं रहने की वजहें आगेे करते है.
– कक्षा 1 ली के बच्चे तो ऑनलाईन पढाई में बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते और वे केवल खेलने और टीवी देखने में ही मशगुल रहते है.
-
कक्षानिहाय विद्यार्थी
1 ली – 40,635
2 री – 43,745
3 री – 44,101
4 थी – 43,847