अमरावती

चित्पावन ब्राह्मण संघ ने मनाई स्वातंत्र्यवीर सावरकर की जयंती

गद्रे मोटर्स सभागृह में समर गीतों की स्पर्धा का आयोजन

अमरावती/दि.31– देश के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा देने वाले स्वातंत्र्यवीर सावरकर की जयंती राजापेठ स्थित गद्रे मोटर्स सभागृह में मनाई गई. इस समय जयंती समारोह में मार्गदर्शन करते हुए सीमा गद्रे ने स्वातंत्र्यवीर सावरकर के चरित्र व विचारों बाबत अभ्यासपूर्ण व प्रेरणादायी मार्गदर्शन किया. इस समय मंच पर चित्पावन ब्राह्मण संघ के अध्यक्ष श्रीरंग फाटक, उपाध्यक्ष विनोद अ. मराठे, कोषाध्यक्ष धनश्री भागवत, समूह गीत गायन स्पर्धा की परीक्षक प्रा. सुरेखा जोशी आदि उपस्थित थे. जयंती समारोह की शुरुआत दीप प्रज्वलन व स्वातंत्र्यवीर सावरकर की प्रतिमा का पूजन कर की गई.
जयंती समारोह में गद्रे ने अभ्यापूर्ण मार्गदर्शन किया. उन्होंने कहा कि परप्रांतों से देश को स्वतंत्र करने का इतिहास यह सैकड़ों वर्षों का है. हजारों, लाखों नररत्नों ने जन्मभूमि के लिए अपना सर्वस्व अर्पित किया. लेकिन उन 1857 से 1947 ऐसे कुल 90 वर्षों की स्वतंत्रता निर्णायक साबित हुई. क्योंकि इसके बाद देश स्वतंत्र हुआ. इन 90 वर्षों की सशस्त्र लड़ाई में दो व्यक्ति प्रमुख साबित होते हैं. उनमें नेताजी सुभाषचंद्र बोस एवं स्वातंत्र्यवीर सावरकर. नेताजी ने विदेश में जाकर आजाद हिंद की स्थापना की लेकिन वह सेना सक्षम बनाने के लिए जो संख्या बल अपेक्षित थी वह देश में रहकर स्वातंत्र्यवीर सावकर ने पूर्ण की. इसीलिए देश की क्रांतिकारी हलचलों का केंद्रबिंदु विनायक दामोदर सावरकर को ही मानना पड़ेगा.
अध्यक्षीय भाषण में श्रीरंग फाटक ने स्वातंत्र्यवीर सावकर के कार्यों व विचारों की जानकारी देते हुए आगामी वर्ष में एक हजार व्यक्तियों के समुह द्वारा समर गीत गायन का मानस संकल्प व्यक्त किया. धनश्री भागवत ने कार्यक्रम का प्रास्ताविक, संचालन व आभार प्रदर्शन किया. कार्यक्रम के आयोजन हेतु गद्रे परिवार की ओर से शरबत व आइस्क्रीम की व्यवस्था की गई थी. कार्यक्रम को सफल बनाने चित्पावन कार्यकारिणी सदस्य उपस्थित थे.

समर गीतों की स्पर्धा व पुरस्कार वितरण
पश्चात समर गीतों की स्पर्धा का आयोजन किया गया. जिसमें प्रथम पुरस्कार सुरमयी एकेडमी की श्रावणी फरकाडे, प्रचिता सोमाणी, मेघा वणवे, आराध्य बोबडे, वैभव वसू, द्वितीय पुरस्कार सारेगम ग्रुप की उषा शेरेकर, सोमाली धामणकर, स्वाती फाटक, सीमा भिड़े, अतुल धामणकर,ऋग्वेद धामणकर,तृतीय पुरस्कार सुरमयी एकेडमी के पुरुषोत्तम महाजन,जगदीश पाखरे,शुभम बांबल, अपेक्षा भातकुलकर, श्रवणी निचड,प्राची पिंपलकर,उत्तेजनार्थ पुरस्कार सुरमयी की रोशनी गासे, भाविका पोहोकार, आरुषी वाठोलकर, कोमल गुल्हाने, नंदीनी पाठक, पद्मजा नुलकर.
इन सभी को हार्मोनियम पर अतुल भातकुलकर, सार्थक तांबेकर, तबले पर रजत हिवरकर, श्रीधर वंजालकर, मायनर पर शैलेश ढोक, ूबांसुरी पर सुरेन्द्र लांडगे, गिटार पर तेजस शेटे ने साथ दिया. यह सभी पुरस्कार राशि गद्रे परिवार की ओर से की गई. गद्रे के स्टाफ में कार्यरत कर्मचारी संतोष पांडे ने समर गीत सुनकर स्वयं एक ग्रुप को पुरस्कार राशि प्रदान की.

 

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