अमरावती

चुरणी के डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मी सामूहिक अवकाश पर

परिचारिका के निलंबन का कर रहे विरोध

  • ग्रामीण अस्पताल में बच्चे की मौत का मामला

अमरावती/दि.27 – विगत 20 अगस्त को चिखलदरा तहसील अंतर्गत चुरणी के ग्रामीण अस्पताल में जन्मे महज तीन दिन की आयुवाले एक बच्चे की मौत हो गई थी. जिसके लिए स्वास्थ्य महकमे द्वारा एक परिचारिका को जिम्मेदार मानते हुए निलंबीत कर दिया गया था. निलंबन की इस कार्रवाई का विरोध करते हुए चुरणी अस्पताल के 2 डॉक्टरों सहित 10 कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर चले गये है. ऐसे में अब यह सवाल पूछा जा रहा है कि, आखिर स्वास्थ्य महकमे में चल क्या रहा है?
बता दें कि, बुटीदा गांव निवासी अंजली अजय अखंडे नामक महिला को प्रसूति हेतु चुरणी के ग्रामीण अस्पताल में भरती कराया गया था. जहां पर उसने 18 अगस्त को एक बच्चे को जन्म दिया. किंतु 20 अगस्त को बच्चे की तबियत अचानक बिगडनी शुरू हो गई. किंतु उस समय अस्पताल में कोई भी डॉक्टर या मेडिकल स्टाफ मौजूद नहीं था. जिसकी वजह से महज तीन दिन की आयुवाले बच्चे की मौत हो गई. इससे पहले इसी अस्पताल में तीन माह पूर्व बच्चे को जन्म देनेवाली एक नवप्रसूता महिला की मौत हुई थी. ऐसे में परिजनों एवं ग्रामीणों द्वारा आवाज उठाये जाने के बाद स्वास्थ्य महकमे द्वारा एक परिचारिका को तुरंत निलंबीत कर दिया गया. साथ ही जिप सदस्य पूजा यावले तथा युवक कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राहुल यावले ने लापरवाही के लिए जिम्मेदार डॉक्टरों के निलंबन की भी मांग की. लेकिन दूसरी ओर परिचारिका का निलंबन होते ही चुरणी अस्पताल के दो डॉक्टरों व 10 स्वास्थ्य कर्मियों ने सामूहिक अवकाश ले लिया. जिससे इस दुर्गम आदिवासी क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है.

एक साल से डॉक्टर लापता

जिप सदस्य पूजा यावले व युकां महासचिव राहुल यावले ने आरोप लगाया कि चुरणी स्थित ग्रामीण अस्पताल में डॉ. वर्मा व डॉ. श्रीकांत सावरकर अपनी नियुक्ती पश्चात विगत एक वर्ष से कभी दिखाई ही नहीं दिये है और वे लगातार गैरहाजिर चलते है. जिसके बारे में शिकायत देने के बावजूद जिला स्वास्थ्य प्रशासन द्वारा उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. वहीं अब मरीजों की जान बचाने हेतु तत्पर होने की बजाय चुरणी ग्रामीण अस्पताल के डॉक्टर व मेडिकल स्टाफ सामूहिक अवकाश पर जाकर अपनी असंवेदनशीलता का परिचय दे रहे है.

इलाज के लिए रेफर की गई नवजात बच्ची की मौत

वहीं इन तमाम हंगामे के बीच काटकुंभ स्वास्थ्य केंद्र से इलाज हेतु चुरणी के ग्रामीण अस्पताल में भेजी गई तथा बाद में अमरावती के जिला सामान्य अस्पताल में रेफर की गई महज 40 दिन आयुवाली एक बच्ची की चुरणी से अमरावती के बीच रास्ते में मौत हो गई. कोयलारी गांव निवासी इस नवजात बच्ची को निमोनिया व दस्त की शिकायत के बाद काटकुंभ स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य जांच हेतु लाया गया था. जहां से उसे इलाज हेतु चुरणी के ग्रामीण अस्पताल में भरती किया गया और यहां से उसे अमरावती रेफर किया गया. किंतु परतवाडा के पास बहिरम के निकट इस बच्ची ने रास्ते में ही दम तोड दिया. ऐसे में अब चुरणी ग्रामीण अस्पताल के कामकाज पर और भी बडा सवालिया निशान लग गया है. हालांकि ग्रामीण अस्पताल के वैद्यकीय अधिकारी डॉ. धुर्वे का कहना है कि, विविध कारणों के चलते दो डॉक्टरों सहित कुछ कर्मचारी छुट्टी का आवेदन देकर गये है. लेकिन इसका अस्पताल के कामकाज पर कोई प्रभाव नहीं पड रहा.

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