अमरावती

कचरा ठेके को लेकर मनपा में मनपा में मंथन

तीन माह बाद अवधि समाप्त होने पर एक्सटेंशन देने को लेकर चर्चा

अमरावती/दि.18- मनुष्यबल के बाद अब कचरे के के ठेके को लेकर मनपा में बैठक लेकर चर्चा करना शुरू हो गया है. आगामी फरवरी माह में कचरे के ठेके को चार वर्ष पूर्ण हो रहे है. इस कारण दोबारा समयावधि बढ़ाने अथवा निविदा निकालने बाबत प्रशासन द्वारा विचार विमर्श किया जा रहा है. बता दे कि कचरे के 24 ठेकेदारों के पांच माह के बिल पहले से ही प्रलंबित है. इस कारण कम बजट में नया ठेका दिया तो प्रशासन का आर्थिक बजट नहीं बढ़ेगा, ऐसा अनुमान लगाकर यह चर्चा शुरू की गई है.
मनपा में 24 ठेकेदारो को कचरे का ठेका दिया गया. इस पर प्रति माह प्रत्येक प्रभाग में 9 लाख 50 हजार रुपए खर्च किया जाता है. वर्ष के ढ़ाई करोड साफसफाई पर खर्च होते है, फिड़ भी नागरिकों का चिल्लाना जारी है. एक तरफ प्रशासन के पास कचरे के बिल देने के लिए आर्थिक बजट नहीं है. इस कारण पांच माह से कचरे के बिल प्रलंबित है. ऐसे में यदि कम खर्च और कम मनुष्यबल में ठेका दिया गया तो प्रशासन का भी आर्थिक बजट नहीं बिगडेंगा और ठेकेदारो को नियमित बिल दिए जा सकेंगे. अन्य शहर का विचार किया तो शहर में गिला कचरा उठाया नहीं जाता, ऐसा कहा जाता है. केवल सूखे कचरे के लिए ही घंटा गाडी घूमती है. विशेष यानी जहां 100 किलो से अधिक कचरा तैयार होता है, ऐसे स्थान पर कचरे की प्रोसेस संबंधित प्रतिष्ठान की तरफ से होनी चाहिए. लेकिन शहर में वैसी प्रोसेसिंग न होती रहने से इस कचरे का भार भी प्रशासन पर धकेल दिया जाता है. इस कारण प्रशासन का आर्थिक बजट बढ़ रहा है. गौरतलब है कि अमरावती उपज मंडी को शासन की तरफ से अनेक बार मंडी से निकलने वाले कचरे पर खुद ही प्रोसेसिंग करने के आदेश दिए गए. लेकिन आर्थिख बजट न रहने का कारण बताकर मंडी प्रशासन ने संपूर्ण जिम्मेदारी मनपा को सौंप दी. इस कारण बाजार समिति तथा मनपा उद्यान में से भी कचरा उठाया जाता है. नियमानुसार कचरे के ठेकेदार को पांच साल का ठेका दिया गया है. इस कारण उन्हें एक वर्ष की कालावधि बढ़ाकर देना भी प्रशासन को आवश्यक है. लेकिन आर्थिक परिस्थिति न रहने से तथा पांच माह के बिल प्रलंबित रहने से प्रशासन ने इसको लेकर विचार विमर्श शुरू किया है. इस संदर्भ में अन्य शहर के कचरे का ठेका कार्रवाई पर भी चर्चा की जा रही है.

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