नागरिकों के टैक्स का पैसा दंड में बर्बाद कर रही मनपा
हरित लवाद ने फिर सुनाया 1.40 करोड का दंड
* मनपा इससे पहले 1.50 करोड का दंड भर चुकी है
* दंड की कुल राशि पहुंची 2.90 करोड पर
* घनकचरा व्यवस्थापन में नाकाम रहने से भरना पड रहा हर्जाना
अमरावती/दि.26- घनकचरा व्यवस्थापन में नाकाम रहनेवाली अमरावती महानगर पालिका द्वारा नागरिकों से टैक्स के तौर पर प्राप्त किये गये पैसे को दंड भरने में बर्बाद किया जा रहा है. बुधवार 24 अगस्त को हरित लवाद में हुई सुनवाई के दौरान अमरावती मनपा पर एक बार फिर 1 करोड 40 लाख रूपयों का अतिरिक्त दंड लगाया गया है. वही मनपा द्वारा इससे पहले हरित लवाद में दंड केे तौर पर 1.50 करोड रूपये भरे जा चुके है और अब नये आदेश की वजह से दंड की राशि 2.90 करोड पर जा पहुंची है.
बता दें कि, गणेश अनासाने नामक याचिकाकर्ता द्वारा दायर याचिका पर हरित लवाद प्राधिकरण ने जुलाई 2020 में जारी अपने फैसले के तहत देश की सभी स्थानीक स्वायत्त संस्थाओं के लिए निर्देश जारी करते हुए कहा था कि, जिन स्थानीय स्वायत्त संस्थाओ के अंतर्गत जनसंख्या 1 से 10 लाख के बीच है, उन स्वायत्त निकायों द्वारा तुरंत ही घनकचरा व्यवस्थापन का प्रकल्प कार्यान्वित करना जरूरी है. साथ ही जब तक ऐसा प्रकल्प कार्यान्वित नहीं होगा, तब तक संबंधित संस्था को घनकचरा व्यवस्थापन व प्रक्रिया हेतु प्रति माह 10 लाख रूपये का दंड भरना होगा. इस आदेश को पारित हुए अब 29 माह हो चुके है और अब तक अमरावती मनपा द्वारा अपने कार्यक्षेत्र अंतर्गत घनकचरा व्यवस्थापन प्रकल्प को साकार नहीं किया जा सका है. ऐसे में प्रतिमाह 10 लाख रूपये के हिसाब से मनपा को 2 करोड 90 लाख रूपये भरना है. जिसमें से मनपा द्वारा इससे पहले हरित लवाद में 1 करोड रूपये की अनामत रकम व 50 लाख रूपये के दंड की राशि भरी जा चुकी है. ऐसे में अब अमरावती मनपा को हरित लवाद के पास 1.40 करोड रूपये अदा करने होंगे.
इस बारे में मिली जानकारी के मुताबिक विगत 17 अगस्त को सुनवाई रहने के चलते महानगर पालिका ने 13 अगस्त को अपना शपथपत्र दाखिल किया था. जिसमें घनकचरा व्यवस्थापन को लेकर किये गये कामों की जानकारी दी गई थी. परंतु ऐन समय पर मिली जानकारी का अध्ययन करने हेतु याचिकाकर्ता गणेश अनासाने ने तीन दिनों का समय मांगा. पश्चात 20 अगस्त को एक रिजॉईंडर फाईल किया. जिसमें कचरा डिपो में पडे मृत जानवरों के साथ ही कंपोस्ट डिपो में लगनेवाली आग की जीपीएस फोटो प्राधिकरण के समक्ष प्रस्तुत की गई. जिस पर महानगर पालिका ने अपना स्पष्टीकरण देते हुए बागडे बाबा कंपनी द्वारा किया गया थोडा-बहुत कचरा व्यवस्थापन दर्शाया और दिसंबर 2023 तक कचरा व्यवस्थापन व प्रक्रिया का पूरा काम करने से संबंधी शपथपत्र प्राधिकरण को पेश किया. ऐसे में विगत 29 माह के दौरान नहीं किये गये कामोें के लिए महानगरपालिका को 2 करोड 90 लाख रूपये का दंड भरना होगा. जिसका हिसाब आगामी 7 सितंबर को होनेवाली अगली सुनवाई में मनपा को प्रस्तुत करना होगा. वही इसे लेकर आगामी 10 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट में 47 करोड रूपये के दंड के स्थगनादेश को लेकर भी सुनवाई होनेवाली है. जिसमें अब तक का पूरा हिसाब-किताब रखा जायेगा.