अमरावती

श्री अंबादेवी व एकवीरा देवी की निकली नगर प्रदक्षिणा

जगह- जगह पर पुष्पवर्षा से देवी का स्वागत किया गया

अमरावती / दि. 29– कार्तिक मास समाप्ति के बाद मंगलवार 28 नवंबर को श्री अंबादेवी -एकवीरा देवी की नगर प्रदक्षिणा पालखी यात्रा सायंकाल शहर से निकाली गई. नवरात्रि उत्सव व उसके बाद शुरू होनेवाला कार्तिक मास के बाद भक्तों को दर्शन देने के लिए नगर प्रदक्षिणा निकलती है, ऐसी आख्यायिका है.
नवरात्रि उत्सव, दिवाली और उसके बाद शुरू होनेवाला कार्तिक मास यह सभी धार्मिक उत्सवों के बाद कार्तिक मास की समाप्ति के निमित्त मंगलवार 28 नवंबर को सायंकाल 4 बजे श्री अंबादेवी व एकवीरा देवी की नगर प्रदक्षिणा पालखी यात्रा निकाली गई.
श्री अंबादेवी मंदिर से इस नगर प्रदक्षिणा पालखी यात्रा की शुरूआत हुई. विगत सैकडों वर्षो से मूर्ति पालखी में लाने का मान खामगांव के विनोद जगन्नाथजी अग्रवाल को तथा पादुका पूजन का मान नागपुर के प्रदीप प्रभाकर चुटके के परिवार को है. बहुत पहले से ही दशहरा और कार्तिक पूर्णिमा की पालखी का मान चुटके और अग्रवाल परिवार को है.

अंबादेवी मंदिर से निकली नगर प्रदक्षिणा यात्रा बुधवारा, आजाद चौक, नीलकंठ चौक, बजरंग चौक, भाजीबाजार में लक्ष्मीनारायण मंदिर में भी दोनों देवी की प्रदक्षिणा पालखी पहुंची. इस मंदिर में महाआरती की गई. उसके बाद सराफा, जवाहरगेट, सरोज चौक, श्याम चौक, राजकमल चौक से वापस अंबादेवी मंदिर परिसर में पहुंची. इस जगह पर महाआरती व प्रसाद वितरण करके पालखी समारोह का समापन किया गया.
इस अवसर पर अंबादेवी संस्थान के सचिव एड. दीपक श्रीमाली, कोषाध्यक्ष मीनाताई पाठक, विश्वस्त विलास अ. मराठे, एड. राजेंद्र पांडे, सुरेंद्र बुरंगे, डॉ. जयंत पांढरीकर, दिपाताई खांडेकर, व्यवस्थापक सूर्यकांत कोल्हे, मुकुंद घडयाल पाटिल, प्रदीप अंदूरकर, रत्नाकर कराले सभी पुजारी सहित भक्त उपस्थित थे.
कार्तिक मास की समाप्ति निमित्त निकाली गई श्री अंबादेवी व एकवीरा देवी की पालखी यात्रा का शहर में जगह- जगह फूलों की वर्षा कर स्वागत किया गया. अंबागेट के अंदर रहनेवालों ने घर के सामने रंगोली निकालकर तथा दिए लगाकर देवी दर्शन का लाभ लिया.

* देवी देवता की झांकियां
इस पालखी यात्रा में बैंड पथक, विविध दिंडी का सहभाग था. साथ में ही राम लक्ष्मण, सीता सहित विविध देवी-देवताओं की आकर्षक झांकियां और अंबादेवी, एकवीरा देवी की प्रतिमा इस शोभायात्रा में थी. प्राचीन काल से शुरू यह परंपरा का अनुभव के लिए नागरिको ने शहरा के रास्ते दोनों तरफ भीड लगाई थी.

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