अमरावती

नगर परिषद कर्मियों का होगा आंतरजिला तबादला

संभागीय आयुक्त व जिलाधिकारियों के पास ट्रान्सफर के अधिकार

अमरावती/दि.8 – नियुक्ती से सेवानिवृत्ति तक एक ही नगर परिषद में कार्यकाल पूरा करने की परंपरा अब खत्म होने जा रही है. पालिका कर्मचारियों के संदर्भ में पहली बार हुए एक ऐतिहासिक निर्णय के चलते अब जिलांतर्गत तबादलों के अधिकार जिलाधीशों एवं आंतरजिला तबादले के अधिकार संभागीय राजस्व आयुक्त को सौंपे गये है. ऐसे में यह नया निर्णय जहां कुछ लोगोें के लिए शानदार अवसर साबित होगा, वहीं कुछ लोग इसे अपने लिए सजा भी मान सकते है.
बता दें कि, समूचे राज्य में 370 नगर परिषद है. जहां कार्यरत चपरासी, लिपीक व शिक्षकों के तबादलों के संदर्भ में राज्य सरकार ने 3 दिसंबर 2020 को आदेश जारी किया है. नगर पालिका में कई कर्मचारियों की नियुक्ती सिफारिश से होती है, ऐसा माना जाता है और वे किसी जनप्रतिनिधि या नगर सेवक के जरिये पालिका की सेवा में आते है. सिफारिश करनेवाले व्यक्ति का हाथ हमेशा ही अपनी पीठ पर रहने की वजह से इन कर्मचारियों द्वारा मनमाने ढंग से काम किया जाता है. जिसका सीधा असर पालिका के कामकाज पर होता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए तबादले के संदर्भ में नई नीति बनाने का राज्य सरकार द्वारा निर्णय लिया गया.
यह भी देखा जाता है कि, प्रशासन के प्रमुख अधिकारियों को कई कर्मचारी अपने साथ बिल्कुल भी नहीं गिनते है और अपने मन से ही काम की दिशा तय कर लेते है. ऐसे में अधिकारियों के निर्देश की कोई कीमत शेष नहीं बचती और काम की गति व गुणवत्ता भी प्रभावित होते है. इस बात को ध्यान में रखते हुए तबादलों के संदर्भ में नई निती बनायी गयी है. जिसकी वजह से अब यदि कोई कर्मचारी अपने वरिष्ठ अधिकारी के निर्देशों की अवहेलना करता है, तो मुख्याधिकारी द्वारा उसके तबादले का प्रस्ताव पेश किये जाते ही तुरंत उस कर्मचारी के तबादले का आदेश जारी किया जायेगा. इस हेतु जिले की किसी अन्य नगर परिषद ने तबादला करने हेतु जिलाधीश द्वारा आदेश जारी किया जायेगा. वहीं अन्य जिले में तबादला करने का अधिकार विभागीय आयुक्त को दिया गया है. इसके साथ ही कर्मचारियों को भी अपने जरूरत के हिसाब से जिलांतर्गत या आंतरजिला तबादला मांगने का अधिकार प्रदान किया गया है, जिससे अन्य शहरों व जिलोें में जाने के इच्छूक कर्मचारियों को काफी सुविधा होगी.

अब अधिकारियों का नियंत्रण बढेगा

अक्सर नगर परिषद में कई कर्मचारी अपने वरिष्ठाधिकारियों को अपने सामने बिल्कुल भी नहीं गिनते. ऐसे समय इस तबादले के हथियार का प्रयोग किया जा सकता है. जिसकी वजह से काम से जी चुरानेवाले अधिकारियों को नियंत्रित किया जा सकता है. वहीं दूसरी ओर इस मामलों में कर्मचारियों पर अन्याय होने का भी भय है और अपनी मर्जी के लोगों को संभालने हेतु दूसरोें को हटाने के लिए भी इस आदेश का दुरूपयोग किये जाने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता. ऐसे में आनेवाले वक्त में तबादले के इस अधिकार का किस तरह से प्रयोग होता है, यह देखना अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण रहेगा.

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