पोले के लिए सजे शहर के बाजार
किसानों मेें अपने ‘सर्जा-राजा’ के पूजन हेतु भारी उत्साह
* बैलों के साज-श्रृंगार साहित्य से सजी दुकाने
* तान्हा पोला के लिए बैल मूर्तियां भी हो रही तैयार
अमरावती/दि.23- आगामी 26 अगस्त को पोले का पर्व मनाया जायेगा. जिसके अगले दिन तान्हा पोला की धूम रहेगी. ऐसे में शहर सहित जिले में पोले पर बैलों के साज-श्रृंगार हेतु लगनेवाले साजो-सामान की दुकाने सजनी शुरू हो गई है. साथ ही साथ छोटे बच्चोंं द्वारा मनाये जानेवाले तान्हा पोले के लिए मिट्टी से बनायी जानेवाली बैलों की मूर्तियों को बनाने का काम भी अब अंतिम चरण में है तथा जगह-जगह पर बैल मूर्तियों की दुकाने भी सजनी लगी है. इन सबके अलावा पूरे सालभर खेत-खलिहानों में अपने साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करनेवाले बैलों का पूजन करने और उनके प्रति आभार ज्ञापित करने के लिए किसानों में भी पोले के पर्व को लेकर अच्छा-खासा उत्साह है.
बता दें कि, प्रति वर्ष पिठोरी अमावस्या पर बैल पोले का पर्व बडी धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन पूरे सालभर खेतों में मेहनत करनेवाले बैलों को आराम देने के साथ ही उनका पूजन करते हुए उनके प्रति आभार ज्ञापित किया जाता है. इस दिन सभी किसान अपनी-अपनी बैलजोडियों को लेकर किसी एक स्थान पर इकठ्ठा होते है, जिसे पोला भरना कहा जाता है. साथ ही बैलों का सामूहिक पूजन करने के बाद सभी अपने-अपने घरों के लिए रवाना होते है. जिसे पोला फूटना कहा जाता है. इसके बाद सभी किसान अपनी-अपनी बैलजोडियों को लेकर अपने-अपने घरों पर पहुंचते है. जहां पर महिलाओं द्वारा बैलों की अगवानी करने के साथ ही उनकी आरती उतारी जाती है और उन्हें पुरणपोली का नैवेद्य खिलाया जाता है. इसके बाद सभी किसान अपनी बैलजोडियों को लेकर अपने निवास के आसपास ही स्थित अन्य लोगों के घरों पर भी जाते है. जहां पर परिसरवासियों द्वारा बैलों की बडी श्रध्दापूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है.
इसके साथ ही नई पीढी को इस पर्व की संस्कृति से परिचित कराने और उनमें श्रम के सम्मान को लेकर संस्कार डालने हेतु बैल पोले के अगले दिन तान्हा पोला यानी छोटा पोला मनाया जाता है. जिसके तहत बाल-गोपाल मंडली को मिट्टी से बनी बैलों की मूर्तियां खरीदकर दी जाती है और बच्चों द्वारा अपनी इन बैलजोडियों के साथ बडे उत्साहपूर्वक पोले का पर्व मनाया जाता है. जिसके तहत मिट्टी से बनी बैलजोडियों को भी हार, फुल व झालर के साथ बडे आकर्षक ढंग से सजाया जाता है एवं सभी बच्चे अपने बैलजोडियों को लेकर अपने परिसर में स्थित सभी घरों में जाते है. जहां पर लोगों द्वारा इन छोटी-छोटी बैलजोडियों का श्रध्दापूर्वक पूजन करते हुए बैलजोडी लानेवाले बच्चों को दक्षिणा दी जाती है.
इन सभी बातों के मद्देनजर इन दिनों शहर सहित जिले में पोले के पर्व को लेकर अच्छी-खासी तैयारियां चल रही है. साथ ही इस पर्व को लेकर अच्छा-खासा उत्साह भी देखा जा रहा है.
* 100 रूपये से 5 हजार रूपये तक की बैलजोडियां बिक्री हेतु उपलब्ध
आगामी तान्हा पोला पर्व को ध्यान में रखते हुए इस समय बाजार में विविध रंगों एवं आकार-प्रकारवाली मिट्टी से बनी बैलजोडियां बिक्री हेतु उपलब्ध है. जिनकी कीमत 100 रूपये से लेकर 5 हजार रूपये तक है. साथ ही 5 हजार रूपये वाली बैलजोडी इस समय सभी के आकर्षण का केंद्र भी है. आकर्षक साज-सजावटवाली और हुबहू जिवंत दिखाई देनेवाली इन मूर्तियों को खरीदने की ओर ग्राहकों का विशेष तौर पर रूझान है. साथ ही कम कीमतवाली मूर्तियों की भी जमकर बिक्री हो रही है और शहर में लगभग सभी चौक-चौराहों पर मिट्टी से बनी बैलजोडियों की बिक्री हेतु हाथठेले, स्टॉल व दुकानें सज गये है. जहां पर दो इंच से लेकर डेढ फूट उंची मिट्टी से बनी बैलजोडियां बिक्री हेतु उपलब्ध है.
* शहर में 19 स्थानों पर सजेगा पोला
आगामी 26 अगस्त की शाम जहां एक ओर जिले के सभी तहसील एवं ग्रामीण इलाकों में बडी धूमधाम के साथ पोले का पर्व मनाया जायेगा, वही अमरावती शहर में भी करीब 19 स्थानों पर बैल पोला सजेगा. जिनमें राजापेठ, नेहरू मैदान, पंचवटी चौक, नवसारी, वडाली, जुनी बस्ती बडनेरा, नई बस्ती बडनेरा, नागपुरी गेट व खोलापुरी गेट सहित नांदगांव पेठ परिसर का समावेश है. साथ ही जिले के ग्रामीण इलाकों में करीब 142 स्थानों पर पोला सजेगा.