अमरावती

शहर की सडके बनीं मौत का रास्ता!

सडकों पर दिन में आवारा पशु और रात में कुत्तों का डेरा

* मनपा के अधिकारी कार्यालय में बैठे कुर्सी तोड रहे
* यातायात पुलिस विभाग भी केवल लोगों का चालान काटने में व्यस्त
* आम नागरिक जान हथेली पर लेकर निकल रहे घरों से
अमरावती /दि.29– एक ओर तो शहर एवं जिला ग्रामीण पुलिस विभाग द्बारा सडकों को दुर्घटना रहित बनाने और सडक हादसों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए आम नागरिकों को यातायात नियमों के बारे में बडे पैमाने पर जागरुक किया जाता है. साथ ही आम नागरिकों से यह अपेक्षा भी की जाती है कि, वे सडकों पर अपने वाहनों को सुरक्षित ढंग से चलाए. जिसके अलावा यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों के खिलाफ यातायात पुलिस विभाग द्बारा चालान करते हुए दंडात्मक कार्रवाई भी की जाती है. लेकिन शहर की सडकों का इस समय जो हाल है, उसे देखकर पूछा जा सकता है कि, क्या वाकई शहर की सडके नागरिकों की आवाजाही के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है और क्या आवाजाही और यातायात सुरक्षित रखने की पूरी जिम्मेदारी नागरिकों की ही है. उल्लेखनीय है कि, शहर के लगभग सभी प्रमुख चौक-चौराहों व रास्तों पर पूरा दिन सडक के बीचोबीच आवारा पशुओं का कही भी बैठे रहना बेहद आम दृश्य है. इसके अलावा रात के समय शहर की सडकों पर तो मानो आवारा कुत्तों का राज हो जाता है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, आवारा पशुओं व आवारा कुत्तों की मौजूदगी के बीच कोई व्यक्ति सुरक्षित ढंग से अपने वाहन कैसे चलाए.
बता दें कि, शहर की लगभग सभी सडकों पर पूरा दिन वाहनों की भारी रेलमपेल मची रहती है. अमरावती शहर का दिनोंदिन औद्योगिक व व्यापारिक विस्तार हो रहा है. जिसके चलते बाहरी जिलों व शहरों से भी अमरावती में वाहनों की आवाजाही चलती रहती है. इसके अलावा शहरवासी भी अपने किसी ना किसी काम के चलते अपने वाहन लेकर शहर की सडकों पर निकलते है. यानि कुल मिलाकर पूरा मामला भीड-भडक्के वाला रहता है. ऐसे समय सडकों को सुरक्षित व हादसा रहित बनाए रखने तथा यातायात को सुचारु रखने की व्यवस्था करने से संबंधित जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन तथा यातायात पुलिस विभाग की होती है. परंतु इस समय शहर की सडकों पर जो नजारा दिखाई देता है, उसे देखकर कहा जा सकता है कि, दोनों ही महकमों का मानों इससे कोई लेना-देना नहीं है. यही वजह है कि, सडकों से गुजरने वाले आम लोगों को सडकों पर जमघट लगाए बैठे आवारा पशुओं और आवारा कुत्तों के भरोसे छोडकर मनपा के अधिकारी अपने-अपने कार्यालयों में कुर्सियां तोड रहे है. वहीं शहर यातायात पुलिस विभाग शहर के कुछ चुनिंदा चौक-चौराहों पर अपने सिपाहियों को ‘ड्यूटी’ पर लगाते हुए चालान काटने में ही अपने कर्तव्य की इतिश्री कर रहा है.

* बचते-बचाते चलाने पडते है वाहन
बता दें कि, इस समय शहर का शायद ही कोई ऐसा रास्ता होगा, जहां पर दिन के समय आवारा पशुओं का जमघट शहर के बीचोबीच न बैठा रहता हो. वहीं शहर के लगभग सभी रास्तों पर रात के समय आवारा कुत्तों का राज रहता है. ऐसे में जहां दिन के समय लोगों को आवारा पशुओं के बीच से बचते-बचाते अपने वाहन चलाने पडते है. वहीं रात के समय तो वाहन चालकों की मानों शामत आ जाती है. क्योंकि कब किस गली से कौन से कुत्ता निकलकर भौंकते हुए वाहन का पीछा करना शुरु कर देगा, इसका कोई भरोसा नहीं होता, तो रात के समय लगभग सभी वाहन चालकों विशेषकर दुपहिया चालकों की जान हलक में लटकी रहती है. लेकिन इन तमाम बातों से मानों स्थानीय मनपा प्रशासन और यातायात पुलिस विभाग का कोई लेना-देना नहीं है.

* कई वाहन घुमते है मौत का सामान लिए
जहां एक ओर शहर की सडकों पर आवारा पशुओं व आवारा कुत्तों की समस्या बनी हुई है. जिनकी वजह से कभी भी कोई हादसा घटित होने की संभावना बनी रहती है. वहीं दूसरी ओर यातायात विभाग व स्थानीय प्रशासन की अनदेखी के चलते कई मालवाहक वाहन किसी भी सुरक्षा उपाय के बिना लोहे की सलाखें और लोहें के टीन जैसे सामान लापारवाही के साथ लेकर सडकों से गुजरते है. ऐसे समय जरा सी भी चूक की गुंजाइश होने पर वाहनों के पीछे बेतरतीबी से लटकती लोहें की सलाखें किसी के पेट में घुसकर अतडियां फाड सकती है. साथ ही लोहें के टीन के धारदार किनारों की वजह से किसी भी व्यक्ति का गला अथवा शरीर के किसी भी अंग पर कटने की वजह से घाव लग सकता है. लेकिन इस समस्या की ओर से स्थानीय जिम्मेदारों का कोई ध्यान नहीं है.

* जबाबदारी किसकी?
अमरावती महानगरपालिका में इस समय मनपा आयुक्त के पास प्रशासक के तौर पर पूरे अधिकार केंद्रीत है. साथ ही सडकों पर आवारा घुमने वाले मवेशियों व कुत्तों का बंदोबस्त करने हेतु मनपा के पास स्वतंत्र तौर पर पशु वैद्यकीय विभाग भी है. चूंकि इस समय मनपा में कोई जनप्रतिनिधि नहीं है. ऐसे में किसी के जानवर पकडने पर किसी भी तरह का राजनीतिक दबाव आने की कोई गुंजाइश भी नहीं है. ऐसे समय तो मनपा प्रशासन द्बारा और अधिक प्रभावी तरीके से काम किया जाना अपेक्षित है. परंतु विगत डेढ-दो वर्षों से मनपा में किस तरह के ‘प्रभाव’ में आकर किस तरह का ‘काम’ किया जा रहा है. यह सर्वविदित है. परंतु इसकी वजह से आम शहरवासियों की जिंदगी और सुरक्षा को खतरे में कहा जा सकता है. ऐसे में स्थानीय नागरिकों में अब धीरे-धीरे मनपा प्रशासन और यातायात पुलिस विभाग को लेकर रोष बढता जा रहा है.

* यह है कानून
मुंबई पुलिस अधिनियम की धारा 90 (अ) व 118 के अनुसार अपने पालतू मवेशियों को सडक पर खुला छोडने वाले मवेशी मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रावधान है. इस कानून के तहत एक माह तक की सजा व 3 हजार रुपए के दंड अथवा दोनों सजाएं हो सकती है. इसके अलावा महाराष्ट्र पालिका अधिनियम की धारा 233 के अनुसार भी अपने मवेशियों को सडकों पर खुला छोड देने वाले मवेशी मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रावधान है. लेकिन कागजों पर रहने वाले इन दोनों कानूनों को हकीकत में जमीनीस्तर पर अमल में लाए जाने का कोई प्रयास होता दिखाई नहीं देता.

Related Articles

Back to top button