प्रतिनिधि/दि.१६
अमरावती-जिले समेत समूचे राज्य व देश में २२ मार्च से लॉकडाउन घोषित हुआ. ७५ दिन बाद जैसे तैसे नियम व शर्तों के साथ मार्केट तो खुला लेकिन महिनेभर का वेतन काटकर अब १५ दिन का ही मिलने लगा. नाश्ता, पानठेला, फोटोग्राफर, इलेक्ट्रॉन्निस, आटोचालक आदि व्यवसायी घर ही बैठ गये. ऐसे में कौनसा व्यवसाय करें, जिससे परिवार का गुजर बसर हो. ऐसे में अधिकांश लोगों ने जीवनावश्यक वस्तु विक्रेता का व्यवसाय अपनाया है. फलस्वरूप सब्जी व फु्रट विक्रेता के रोजगार को अपना रहे हैं, जिससे गत एक माह में मनपा क्षेत्र में ही २५ प्रतिशत सब्जी व्यवसायी बढने का अनुमान है. * गली-मोहल्ले, सडक किनारे में लगी कतारे कोरोना लॉकडाउन व अनलॉक में केवल जीवनावश्यक वस्तुओं पर ही जोर दिया जा रहा है. कोरोना फैलने के डर से पानठेले, नाश्ता विक्री भी बंद करायी गई है. शादी-ब्याह में भी नियम व शर्ते होने के चलते फोटोग्राफर्स का व्यवसाय भी मार खा रहा है. ऐसे ही इलेक्ट्रॉन्निस, कपडा दूकानों का भी यहीं हाल है. आटोचालकों का व्यवसाय तो शुरू हुआ, लेकिन आय नहीं के बराबर है. जिससे पेट्रोल-डीजल का खर्च भी नहीं निकलता. ऐसे में बैंक इएमआय और परिवार का पालन पोषण कैसे करें यह समस्या है. इसलिए अधिकांश बेरोजगारों ने सब्जी व फु्रुट के ही व्यवसाय को अपनाया. जिससे गली, मोहल्लों में सब्जी विक्रेता नजर आ रहे हैं. मुख्य मार्ग पर दोनों ओर सब्जी विक्रेताओं की कतारें लगी रहती है. * मनपा का डूबा राजस्व महानगरपालिका की ओर से हॉकर्स से ७ रूपये प्रति दिन की रसीद फाडी जाती थी, जिससे मनपा को सालाना २९ लाख रूपयों की आय प्राप्त होती है. गत तीन माह से मनपा द्वारा हॉकर्स व्यवसायियों से रसीद फाडना ही बंद कर दिया है, जिससे प्रतिमाह २ से २.५० लाख रूपयों की आय भी डूब रही है. विशेष बात यह है कि मनपा के हॉकर्स भी चार हजार से अधिक है, उनकी संख्या अब भले ही कम हो गयी है, लेकिन सब्जी विक्रेताओं की संख्या २५ प्रतिशत से बढ गयी है. क्योकि नाश्ता व आटो का व्यवसाय करनेवाले भी अब सब्जी विक्रेता बने हुए है.
सब्जी विक्रेता जरूर बढे है, लेकिन हॉकर्स संख्या बढी नहीं है. फिलहाल नाश्ता, पानठेला आदि बंद रहने से अधिकांश व्यवसायियों ने इसी व्यवसाय को अपनाया है, क्योकि जो पहले गाडियां लगाते थे अब वे हाथ गाडियां लगाकर अथवा सडकों के किनारे बैठकर व्यवसाय करने लगे हैं.
– श्रीकांत चव्हाण बाजार परवाना विभाग