अमरावतीमहाराष्ट्रमुख्य समाचार

महाराष्ट्र मंदिर महासंघ का दावा

रेवसा संस्था की बचाई 30 करोड की जमीन

* सातबारा होगा विठ्ठल रूख्माई संस्थान के नाम
* फिर उठाई एक्ट की मांग
अमरावती/ दि. 26- ‘मंदिर रक्षणे हे धर्म कर्तव्य ’ घोष के साथ कार्यरत महाराष्ट्र मंदिर महासंघ में भाजी बाजार के श्री सोमेश्वर देवस्थान पश्चात अब रेवसा के श्री विठ्ठल रूख्माई संस्थान की 30 करोड की कीमती खेती बचाने का दावा किया. आज दोपहर मराठी पत्रकार भवन में आयोजित पत्रकार परिषद में महासंघ पदाधिकारियों ने इसे ऐतिहासिक विजय निरूपित करते हुए कहा कि आयएएस अधिकारी के कडक निर्णय से भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ. एसडीओ और तहसीलदार को जमीन का सातबारा अब पुन: श्री विठ्ठल रूख्माई संस्थान के नाम करना होगा. उन्होंने बताया कि यह लगभग 10 एकड जमीन रेवसा के प्रसिध्द गजानन धाम के पास स्थित है. पत्रकार परिषद में राज्य पदाधिकारी अनूप जायसवाल, जिला संयोजक विनित पाखोडे, नीलेश टवलारे, अधिवक्ता अभिजीत बजाज, संस्थान के ट्रस्टी राजेंद्र वाकोडे, हरिभाउ वाकोडे और अन्य उपस्थित थे.
क्या कहा मंदिर महासंघ ने
मंदिर महासंघ ने जारी प्रेस बयान में आरोप लगाया कि राजस्व कर्मचारियों की मिली भगत से जमीन हडपने का प्रयास धरा रह गया. उन्होंने बताया कि श्री विठ्ठल रूख्माई संस्थान की मौजे रेवसा गट क्रं. 165 में 3 हेक्टेयर 69 आर जमीन है. यह जमीन हडप करने के उद्देश्य से प्रदीप वाकोडे और प्रवीण वाकोडे ने तत्कालीन तहसीलदार संतोष काकडे के पास जमीन का सातबारा से संस्थान का नाम हटाकर स्वयं का नाम दर्ज करने का आवेदन किया था. तहसीलदार काकडे ने 9 मई 2022 को राजस्व कानून के प्रावधानों का कथित उल्लंघन कर सातबारा से संस्थान का नाम हटा दिया. कथित गैर कानूनी रूप से वाकोडे बंधुओं का नाम दर्ज कर दिया.
आईएएस यानथन का कडक निर्णय
तहसीलदार के निर्णय के विरूध्द राजेंद्र पदमाकर वाकोडे ने अमरावती के एसडीओ के पास अपील दाखिल की. उस समय आईएएस अधिकारी रिचर्ड यानथन एसडीओ थे. उन्होंने तहसीलदार का आदेश आर्थिक लाभ लेने की दृष्टि से पारित होने का उल्लेख अपने आदेश में करते हुए तहसीलदार के आदेश को गत 1 अगस्त 2023 को रद्द कर दिया. मंदिर महासंघ द्बारा मीडिया को एसडीओ के आदेश की कॉपी दी गई है. जिसमें एसडीओ यानथन ने अत्यंत कडे उल्लेख अपने आदेश में किए है. उन्होंने आदेश में स्पष्ट लिखा कि प्रदीप और प्रवीण वाकोडे ने रेवसा के पटवारी और नवसारी के मंडप अधिकारी के साथ मिलीभगत कर आर्थिक लाभ की दृष्टि से तहसीलदार का आदेश पारित करवाया. यह भी उल्लेख है कि देवस्थान की जमीन अपने नाम करने के बाद उसे बेचने का इरादा था. आदेशानुसार तहसीलदार का निर्णय क्रियान्वित हो जाता तो विठ्ठल रूख्माई संस्थान का बडा नुकसान हो जाता.
मंदिर महासंघ का फालोअप
पत्रकार परिषद में अनूप जायसवाल और अन्य ने दावा किया कि मंदिर महासंघ ने इस मामले में लगातार ुफालोअप किया. उप विभागीय अधिकारी के आदेश के विरूध्द अतिरिक्त जिलाधिकारी के पास अधिक जांच की अपील की गई थी. इस मामले में भी तहसीलदार विजय लोखंडे ने हाल ही में 20 मार्च को सावधानी अपनाते हुए श्री विठ्ठल रूख्माई संस्थान के पक्ष में फैसला दिया. उन्होंने दावा किया कि संस्थान की 30 करोड की संपत्ति पुन: उसके नाम पर हो जायेगी.
राजाराम पांडुरंग ने 1907 में दी जमीन
संस्थान को उपरोक्त खेती राजाराम पांडुरंग वाकोडे ने 23 जुलाई 1907 को दानपत्र लिखकर दी थी. तब से संस्थान ही उपरोक्त खेतीबाडी की एकमात्र मालक है. खेती के अधिकार पंजीयन दस्तावेज में उक्त खेती दान पत्र के माध्यम से श्री विठ्ठल रूख्माई संस्थान रेवसा के नाम पर है.

Back to top button