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महायुती के तहत जिले की चार सीटों पर घटक दलों का दावा

शिंदे व अजीत पवार गुट को जा सकती है दो-दो सीटे

* शेष चार सीटों पर भाजपा का क्लेम
* भाजपा एक सीट छोड सकती है राणा के लिए
* जिले की तीन सीटे पर होंगे भाजपा प्रत्याशी
* अमरावती सीट को लेकर जबरदस्त ‘सस्पेंस’
अमरावती/दि. 15 – वर्ष 1990 से पहले तक महाराष्ट्र में कांग्रेस के नेतृत्ववाली और स्पष्ट बहुमतवाली सरकारे बना करती थी. परंतु वर्ष 1990 के बाद से लेकर आज तक किसी भी दल की ‘सिंगल लार्जर’ सरकार नहीं बनी और सन 1990 के बाद से लेकर अब तक गठबंधन सरकारो का ही दौर चलता आ रहा है. जिसके तहत इस समय भी महाराष्ट्र में भाजपा, शिवसेना शिंदे गुट व अजीत पवार वाली राकांपा जैसे तीन प्रमुख दलों का समावेश रहनेवाली महायुती सरकार अस्तित्व में है. क्योंकि, अब जल्द ही महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव होने है. ऐसे में राजनीतिक गहमा-गहमी काफी तेज हो गई है. इसके तहत यह स्पष्ट है कि, सरकार में शामिल घटक दल महायुती के तौर पर ही एकजुट रहते हुए चुनाव लडेंगे. जिसके चलते अब इस बात को लेकर उत्सुकता देखी जा रही है कि, महायुती के तहत अमरावती जिले में विधानसभा सीटों का बंटवारा किसी तरह से होता है. हालांकि प्राथमिक अनुमान के मुताबिक जिले की 8 विधानसभा सीटों में से 2 सीटे अजीत पवार गुट तथा 2 सीटे शिंदे गुट को दी जा सकती है. वहीं शेष 4 सीटे भाजपा के कोटे में छुटेंगी. जिसमें से भाजपा द्वारा एक सीट अपने प्रति समर्पित रहनेवाले विधायक रवि राणा के लिए छोडी जा सकती है और शेष तीन सीटों पर भाजपा अपने प्रत्याशी खडे कर सकती है.
बता दे कि, वर्ष 1990 में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच पहली बार युती हुई थी और इस युती में सन 92 के विधानसभा चुनाव में जीत भी हासिल की थी. वहीं इसके उपरांत वर्ष 1999 में कांग्रेस के तत्कालीन कद्दावर नेता शरद पवार ने कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ बगावत करते हुए 10 जून 1999 को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना की थी. हालांकि तब से लेकर आज तक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का कांग्रेस के साथ ही गठबंधन है और कांग्रेस-राकांपा आघाडी ने भी राज्य में तीन बार साथ मिलकर सरकार चलाई है. ऐसे में गठबंधन सरकारों वाले दौर में सरकार चलाने हेतु निर्दलीय विधायकों की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण हो चली है. जिसके चलते यह एक तरह से एक अघोषित नियम ही बना गया है कि, यदि कोई भी निर्दलीय प्रत्याशी सरकार अथवा किसी राजनीतिक दल को अपना समर्थन देता है, तो अगले विधानसभा चुनाव के समय उस निर्दलीय विधायक के लिए संबंधित गठबंधन द्वारा उसका निर्वाचन क्षेत्र छोड दिया जाएगा. क्योंकि, इस समय अमरावती जिले की 8 विधानसभा सीटों में से 4 सीटों पर निर्दलीय विधायक निर्वाचित है और उन चारो ने निर्दलीय विधायकों द्वारा राज्य की सत्ताधारी महायुती सरकार का समर्थ किया जा रहा है. ऐसे में यह माना जा सकता है कि, आगामी विधानसभा चुनाव में महायुती द्वारा अमरावती जिले की चार सीटों को इन चार विधायकों के लिए छोडा जा सकता है.

* मोर्शी के विधायक देवेंद्र भुयार है अजीत पवार के समर्थक
जिले के मोर्शी विधानसभा क्षेत्र से स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के देवेंद्र भुयार ने कांग्रेस व राकांपा के समर्थन से वर्ष 2019 का चुनाव जीता था और राकांपा के वरिष्ठ नेता हर्षवर्धन देशमुख के जरिए उन्होंने राकांपा सुप्रिमो शरद पवार से नजदिकी साधी थी. हालांकि आगे चलकर जब राकांपा नेता अजीत पवार ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत की और राकांपा में दोफाड हुई तो उस समय देवेंद्र भुयार धीरे से अजीत पवार गुट के पाले में चले गए. हालांकि वे खुद को शरद पवार गुट की ओर दिखाने का पूरा प्रयास करते रहे. लेकिन हाल ही में हुए विधान परिषद चुनाव में उन्होंने अजीत पवार गुटवाली राकांपा के प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया. ऐसे में यह लगभग तय माना जा रहा है कि, आगामी विधानसभा चुनाव में देवेंद्र भुयार के लिए मोर्शी-वरुड सीट पर महायुती के तहत अजीत पवार गुट द्वारा दावा किया जाएगा और गठबंधन के अघोषित नियम के तहत मोर्शी सीट महायुती के तहत अजीत पवार गुट के लिए छुटेगी.

* अचलपुर व मेलघाट पर शिंदे गुट का क्लेम
वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में अचलपुर एवं आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र से प्रहार जनशक्ति पार्टी के बच्चू कडू व राजकुमार पटेल ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की थी. जिसके बाद सरकार बनाने को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच मची उठापटक के दौरान इन दोनों विधायको ने उस समय महाविकास आघाडी में शामिल होने का निर्णय लेते हुए शिवसेना को अपना समर्थन दिया था. जिसके चलते विधायक बच्चू कडू को कैबिनेट में शामिल करते हुए राज्यमंत्री का पद प्रदान किया गया था. हालांकि आगे चलकर ढाई वर्ष बाद शिवसेना भी बगावत और दोफाड का शिकार हो गई. तथा तत्कालीन मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के 40 विधायकों व 13 सांसदो के गुट ने भाजपा से हाथ मिला लिया. इसके उपरांत महायुती का गठन करते हुए राज्य में अपनी सरकार बनाई. शिवसेना में हुए दोफाड के समय निर्दलीय विधायक बच्चू कडू व राजकुमार पटेल ने भी शिंदे गुट द्वारा की गई बगावत को अपना समर्थन दिया था और वे दोनों भी राज्य की महायुती सरकार में शामिल हुए. ऐसे में गठबंधन के नियमो के तहत अब इन दोनों विधायकों का महायुती में अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों के लिए क्लेम बनता है. इसके चलते उम्मीद बताई जा रही है कि, महायुती के तहत अचलपुर व मेलघाट विधानसभा सीटें शिंदे गुट के कोटे में छुटेंगी और इन दोनों सीटों पर शिंदे गुट की ओर से मौजूदा विधायक बच्चू कडू व राजकुमार पटेल ही प्रत्याशी होंगे.


* वरुड के साथ ही अमरावती सीट पर अजीत पवार गुट का दावा
* विधायक सुलभा खोडके के भविष्य को लेकर उत्सुकता
अमरावती जिले में महायुती के तहत सबसे अधिक सस्पेंस अमरावती विधानसभा सीट को लेकर है. जहां पर इस समय सुलभा खोडके कांग्रेस की ओर से विधायक है. वहीं उनके पति संजय खोडके इस समय अजीत पवार के नेतृत्ववाली राकांपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व विधान मंडल समन्वयक है. विशेष उल्लेखनीय है कि, आगामी विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर हाल ही में महायुती के घटक दलों की एक बैठक हुई. जिसमें अजीत पवार गुटवाली राकांपा ने विधायक भुयार के मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र के साथ-साथ राकांपा प्रदेशाध्यक्ष संजय खोडके का गृहक्षेत्र रहनेवाले अमरावती विधानसभा क्षेत्र को भी राकांपा अजीत पवार गुट के कोटे में छोडे जाने हेतु अपना दावा पेश किया. जहां से राकांपा प्रदेशाध्यक्ष संजय खोडके की पत्नी सुलभा खोडके इस समय कांग्रेस की ओर से विधायक है. हालांकि विधायक सुलभा खोडके अब तक खुद को कांग्रेस के प्रति ही समर्पित बताती आई है और वर्ष 2024 का चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर लडने की बात कह रही है. वहीं दूसरी राकांपा में हुई बगावत के बाद अजीत पवार गुट के साथ जानेवाले संजय खोडके द्वारा अमरावती विधानसभा क्षेत्र को राकांपा अजीत पवार गुट के कोटे में रखने हेतु पूरा जोर लगाया जा रहा है. जाहीर तौर पर यदि संजय खोडके अपने प्रयासो में कामयाब होते है तो उनकी पत्नी सुलभा खोडके ही महायुती की ओर से अमरावती सीट पर राकांपा अजीत पवार गुट की प्रत्याशी रहेंगी, जो इस समय खुद के कांग्रेस में रहने और अगला चुनाव भी कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर लडने की बात कर रही है. ऐसे में विधायक सुलभा खोडके का राजनीतिक भविष्य क्या रहेगा, इसे लेकर सर्वाधिक उत्सुकता देखी जा रही है.

* बडनेरा सीट पर राणा का क्लेम
बडनेरा विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन चार जीत हासिल कर चुके विधायक रवि राणा खुले तौर पर भाजपा के साथ है. तथा उनकी ओर डेप्युटी सीएम देवेंद्र फडणवीस की नजदिकी भी किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में स्वाभाविक तौर पर महायुती के तहत विधायक रवि राणा द्वारा बडनेरा विधानसभा सीट पर अपना दावा जताया जाएगा और चूंकि वे भाजपा के प्रति समर्पित है. ऐसे में महायुती के तहत बडनेरा सीट भाजपा के कोटे में छोडी जाएगी. जिसे भाजपा द्वारा विधायक रवि राणा के लिए छोड दिया जाएगा, ऐसी पूरी संभावना फिलहाल बनती दिखाई दे रही है.

* धामणगांव रेलवे से प्रताप अडसड को मिल सकता है मौका
* तिवसा व दर्यापुर छूट सकते है भाजपा के कोटे में
विगत विधानसभा चुनाव में भाजपा को अमरावती जिले में केवल धामणगांव रेलवे निर्वाचन क्षेत्र में ही जीत हासिल हुई थी. यहां से भाजपा प्रत्याशी प्रताप अडसड ने विजयी होते हुए अमरावती जिले में भाजपा की नाक बचा ली थी. ऐसे में यह लगभग तय माना जा रहा है कि, भाजपा द्वारा प्रताप अडसड को इस बार भी दूसरा मौका दिया जा सकता है. चूंकि, प्रताप अडसड का पहला कार्यकाल पूरी तरह से बेदाग एवं पार्टी के प्रति समर्पित रहा. ऐसे में उनकी दावेदारी की संभावना काफी हद तक बढ जाती है. इसके अलावा अमरावती जिले में तिवसा व दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र भी भाजपा के कोटे में छूट सकते है. जहां पर भाजपा की ओर से सशक्त दावेदार देने हेतु अभी से ही प्रत्याशियों की तलाश करनी शुरु कर दी गई है.

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