अमरावती

मेलघाट में बीते 15 दिनों में 14 बच्चों की मौत का दावा

ठाकरे सरकार ने किया खंडन

मेलघाट/दि. 7 – कुपोषण से एक भी मौत हुई तो राज्य के स्वास्थ्य सचिव को जिम्मेदार माना जाएगा. उच्च न्यायालय द्वारा दी गई इस चेतावनी के बावजूद पिछले 15 दिनों में महाराष्ट्र के मेलघाट में 14 बच्चों की मौत हुई है. इन बच्चों के अलावा एक गर्भवती महिला की भी मौत हुई है. यह दावा याचिकाकर्ता की ओर से उच्च न्यायालय में किया गया. सोमवार को किए गए इस दावे का राज्य सरकार ने खंडन किया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता और राज्य सरकार को अपना मत शपथ पत्र पर देने का आदेश दिया है.
कुपोषण पर जनहित याचिका दायर हुए तीन दशक बीतने को आए हैं. साथ ही इस बारे में याचिकाओं पर अब तक सैकड़ों आदेश दिए जा चुके हैं. इसके बावजूद मेलघाट सहित राज्य के अन्य आदिवासी भागों में कुपोषण की समस्या में कोई सुधार नहीं हुआ. गंभीरत से इस बात को पिछली सुनवाई में मुंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरिश कुलकर्णी की खंडपीठ ने संज्ञान में लिया था. साथ ही यह भी चेतावनी दी थी कि इसके बाद कुपोषण से अगर बालमृत्यु होती रही तो राज्य के स्वास्थ्य सचिव को इसका जिम्मेदार माना जाएगा. कोर्ट ने ऐसा होने पर स्वास्थ्य सचिव पर कठोर कार्रवाई करने की बात भी कही थी.

इस मामले में सोमवार को हुई सुनवाई के वक़्त याचिकाकर्ता ने कोर्ट में यह दावा किया कि कोर्ट के आदेश दिए जाने के बाद भी राज्य में कुपोषण से जुड़े हालात गंभीर हैं. पिछले 15 दिनों  में मेलघाट में 14 बच्चों की मौत हो गई और एक गर्भवती महिला की भी मौत हुई है. याचिकाकर्ता बंडया साने ने यह बात कोर्ट के सामने कही.
राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट नेहा भिडे ने याचिकाकर्ता बंडया साने की बातों का खंडन किया. उन्होंने न्यायालय को बताया कि उनके आदेश के बाद संबंधित इलाके में बालरोग विशेषज्ञ और स्त्रीरोग विशेषज्ञों की नियुक्ति की गई है. उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता के मुंह से कही हुई बातों के आधार पर हम सरकार को कोई आदेश नहीं दे सकते. इसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता और राज्यसरकार की ओर से अपने मत शपथपत्र (Affidavit) पर देने को कहा.

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