अमरावती

मेलघाट में बादल फटा, बडे पैमाने पर हुआ भूस्खलन

सेमाडोह-माखला रास्ते पर आकर गिरी चट्टाने

  • यातायात प्रभावित, जनजीवन अस्त-व्यस्त

अमरावती/दि.26 – जिले के आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र की सतपुडा पर्वतश्रेणी में हुई मूसलाधार बारिश की वजह से सेमाडोह-माखला-चुनखडी रास्ते पर करीब डेढ किमी तक भूस्खलन हुआ है. जिसकी वजह से सडक पर बडे-बडे पत्थर, पहाडी मिट्टी का किचड और जड सहित उखड चुके पेडों का मलबा फैला हुआ है. ऐसे में इस रास्ते से वाहनों व लोगों की आवाजाही फिलहाल पूरी तरह से बंद करवा दी गई है और सडक से मलबा हटाने का काम जिला परिषद के निर्माण विभाग द्वारा शुरू किया गया है. आवाजाही के लिए काफी खतरनाक साबित हो चुके इस रास्ते की दुरूस्ती हेतु करीब 1 करोड रूपये का खर्च अपेक्षित है.
बता दें कि, मेलघाट में बारिश ने कहर ढा रखा है और विगत 22 जुलाई को यहां पर बादल फटने जैसे हालात बन गये थे. धुआंधार बारिश की वजह से सेमाडोह, माखला व चुनखडी मार्ग पर करीब डेढ किलोमीटर के परिसर में भूस्खलन हुआ. यह जानकारी मिलते ही जिप के निर्माण विभाग अभियंता प्रमोद ठाकरे, शाखा अभियंता राहुल शेंडे, जिप सदस्या सुनंदा काकड तथा शिवा काकड सहित व्याघ्र प्रकल्प के कर्मचारियों ने इस रास्ते को दुबारा शुरू करने हेतु निरीक्षण दौरा किया. यह रास्ता व्याघ्र प्रकल्प के अधिकार क्षेत्र से होकर गुजरता है और भूस्खलन की वजह से बिच्छूखेडा व माडीझडप इन दो गांवों का अन्य इलाकों से संपर्क पूरी तरह से टूट गया है.

बिच्छूखेडा व माडीझडप नामक दो गांव नदी में आयी बाढ एवं रास्ता टूट जाने की वजह से संपर्क विहिन हो गये है. इन गांवों में दो गर्भवति माताओं व अन्य लोगों की स्वास्थ्य संबंधी देखभाल हेतु केवल अंगणवाडी सेविकाएं ही मौजूद है.
– डॉ. आदित्य पाटील
वैद्यकीय अधिकारी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

इस रास्ते को सुधारने के लिए एक सप्ताह से अधिक का समय लग सकता है. दो गांवों से संपर्क पूरी तरह से टूट चुका है, क्योंकि डेढ किमी से अधिक लंबे परिसर में बडी-बडी चट्टाने, सागौन व बास वृक्ष तथा पहाडी मिट्टी की वजह से सडक पर मलबा फैला हुआ है. जिसके चलते यह पूरा रास्ता ब्लॉक हो चुका है.
– प्रमोद ठाकरे
उपविभागीय अभियंता

दो जेसीबी से एक हफ्ते तक करना होगा काम

जिप निर्माण विभाग के अभियंताओं द्वारा व्यक्त किये गये अनुमान के मुताबिक यहां पर दो जेसीबी मशीन लगाकर लगातार काम करने पर रास्ते को पहले की तरह सुचारू करने हेतु कम से कम एक सप्ताह का समय लग सकता है. तब तक यह रास्ता आवाजाही के लिए पूरी तरह से बंद रहेगा.

सागौन व बांस वृक्षों सहित चट्टाने खिंसकी

सेमाडोह-माखला रास्ते पर सागौन व बांस वृक्ष के साथ-साथ पहाड की बडी-बडी चट्टाने खिंसक कर सडक पर आ गयी है. जिन्हें जेसीबी मशीन से भी उठाना काफी मुश्किल जायेगा. ऐसे में इन चट्टानों के भीतर ब्लास्टिंग करते हुए इस सडक को क्लिअर करना पडेगा.

माखला, बिच्छुखेडा व माझीझडप का संपर्क टूटा

पहाडी क्षेत्र से होकर गुजरनेवाले रास्ते पर चट्टाने टूटकर गिरने की वजह से माखला, बिच्छुखेडा व माडीझडप इन तीन गांवों का संपर्क अन्य इलाकों से टूट गया है. जिसके चलते इन गांवों से दुबारा संपर्क स्थापित करने हेतु यहां जल्द से जल्द रास्ते को साफ करते हुए आवाजाही को सुचारू किये जाने की जरूरत है. इस काम में करीब 1 करोड रूपयों का खर्च होना अपेक्षित है, ताकि मलबे को पूरी तरह हटाकर सडक को शुरू किया जा सकेगा.

स्वास्थ्य महकमा भी असहाय

बिच्छुखेडा व माडीझडप गांव में दो गर्भवति महिलाएं है. किंतु इन गांवों तक पहुंचनेवाला रास्ता बंद होने के साथ-साथ खंडू नदी में भी बाढ आयी हुई है. यानी दोनों ओर से गांव तक पहुंचने के रास्ते बंद है. ऐसे में आदिवासी गर्भवति महिलाओं व कुपोषित बच्चों की स्वास्थ्य संबंधी देखभाल को लेकर काफी समस्याएं निर्माण हुई है, क्योंकि स्वास्थ्य प्रशासन ही गांव तक पहुंचने में असहाय व असमर्थ है.

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– सेमाडोह-माखला-चुनखडी मार्ग पर हुए भूस्खलन की वजह से सडक पर बडी-बडी चट्टाने आकर गिरी है और चारों ओर पहाडी मिट्टी का मलबा फैला हुआ है. जिसका जिला परिषद निर्माण विभाग के अभियंताओं व अधिकारियों द्वारा मुआयना किया गया.
– पहाडी रास्ते हुए और अधिक बिकट – सेमाडोह से माखला के बीच सडक पर हुए भूस्खलन की वजह से अब आसपास के इलाकों में रहनेवाले ग्रामीण लोगों को किचड और मलबे के बीच से होकर निकलना पड रहा है. ऐसे ही एक बिकट मार्ग से दो लोगों द्वारा अपने बच्चों को कंधे पर बिठाकर रास्ता पार किया गया.

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सडक पर घुटने तक कीचड, पैदल चलना भी मुश्किल

सेमाडोह-माखला मार्ग पर करीब 3 से 4 फीट की उंचाई तक पहाडी मिट्टी का कीचड जमा हो गया है. जिसकी वजह से इस सडक पर पैदल चलना भी बेहद मुश्किल है. घुटनों के बराबर पहाडी मिट्टी का कीचड रहने की वजह से यह सडक काफी फिसलनवाली हो गई है और फिलहाल आवाजाही के लिहाज से काफी खतरनाक हो गई है. ऐसे में यहां पर पहाडी व सडक के बीच सुरक्षा दीवार का निर्माण किया जाना भी काफी जरूरी है, अन्यथा सडक को साफ करने के बाद भी अगर दोबारा भूस्खलन होता है, तो इस रास्ते को दुबारा बंद करना पड सकता है.

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