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प्राथमिक शिक्षा समिती का प्रयास
अमरावती/दि.24 – शालाओं को पूर्ववत शुरू करने की मांग को लेकर समूचे राज्य के 1 लाख से अधिक विद्यार्थियों व शिक्षकों द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे को पत्र भेजा जा रहा है. राज्य प्राथमिक शिक्षक समिती के पदाधिकारियों द्वारा इस हेतु तमाम आवश्यक प्रयास किये जा रहे है. जिसके तहत सीएम ठाकरे को समूचे राज्य से पत्र भेजे जायेंगे.
बता दें कि, राज्य प्राथमिक शिक्षा समिती द्वारा सबसे पहले विगत 16 जून को राज्य में शालाएं अविलंब शुरू किए जाने की मांग की गई थी और इसे लेकर सतत प्रयास भी जारी रखे गये. कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए विगत शैक्षणिक सत्र से राज्य में सभी स्कुल व कॉलेज बंद है. जारी शैक्षणिक सत्र में कक्षा 8 वीं से आगे की कक्षाओं को शुरू किया गया है. किंतु अब तक 1 ली से 7 वीं की कक्षाएं पूरी तरह बंद है. शालाएं बंद रहने के चलते विद्यार्थियों का काफी शैक्षणिक नुकसान हो रहा है, क्योंकि इस दौरान विद्यार्थी अपनी स्कूलों व शिक्षकों से पूरी तरह दूर है. ऐसे में विद्यार्थियों का शैक्षणिक भविष्य फिलहाल अंधकारमय दिखाई दे रहा है. ऐसी स्थिति में शिक्षा क्षेत्र के जिम्मेदार संगठन के तौर पर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के तहत राज्य प्राथमिक शिक्षक समिती द्वारा सीएम उध्दव ठाकरे से शालाओं को जल्द से जल्द खोले जाने की मांग की जा रही है.
समिती के प्रदेश अध्यक्ष उदय शिंदे, प्रदेश महासचिव विजय कोंबे तथा प्रसिध्दी प्रमुख राजेश सावरकर द्वारा बताया गया कि, शालाओं को जल्द से जल्द शुरू करने की मांग को लेकर विद्यार्थियों व शिक्षकों द्वारा मुख्यमंत्री के नाम अपने हाथों से पोस्टकार्ड पर पत्र लिखकर भेजा जायेगा. इसके लिए 50 पैसे मूल्यवाला पोस्टकार्ड शिक्षक समिती के पदाधिकारी उपलब्ध करायेंगे. साथ ही यह आवाहन भी किया गया है कि, पत्र में लिखी जानेवाली बातें शालाओं को शुरू करने के लिए सकारात्मक ढंग से लिखी जायेगी और पत्र लिखते समय किसी भी शब्द अथवा वाक्य से किसी के सम्मान को ठेस न पहुंचे, इस हेतु आवश्यक ध्यान दिया जायेगा. इसके साथ ही सामाजिक क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से भी शालाओं को शुरू करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे व राज्य सरकार के नाम पत्र भेजे जाने का आवाहन किया गया है.
राज्य प्राथमिक शिक्षक समिती के मुताबिक इस समय अनलॉक की प्रक्रिया के तहत सभी क्षेत्रों को खोल दिया गया है तथा बाजारों सहित सभी स्थानों पर जबर्दस्त भीडभाड देखी जा रही है. ऐसे में केवल शालाओं को ही बंद रखने का फैसला अनाकलनीय है. बच्चों के मानसिक, भावनिक व सामाजिक स्वास्थ्य के लिए शालाओं को शुरू करना बेहद जरूरी है, क्योेंकि इन दिनों ऑनलाईन शिक्षा की वजह से बच्चे पूरा समय मोबाईल के साथ चिपके रहते है और एकांतवासी रहने के कारण वे अंर्तमूखी होते जा रहे है. साथ ही पढाई की बजाय वे मोबाईल पर ऑनलाईन गेम खेलने और यूट्यूब पर वीडियो देखने में व्यस्त रहते है. जिससे उनका शारीरिक व बौध्दिक विकास अवरूध्द हो गया है. साथ ही जिन विद्यार्थियोें के पास स्मार्ट फोन की सुविधा उपलब्ध नहीं है, उनकी पढाई पूरी तरह से रूक गई है. ऐसे में शालाओं को जल्द से जल्द शुरू करना बेहद जरूरी है.