हाथ दिखाने नहीं, गौशाला को मदद देने आये थे सीएम शिंदे
ज्योतिष्य कैप्टन खरात ने किया खुलासा
नासिक दि.24 – गत रोज सीएम शिंदे का शिर्डी दौरा चर्चा व विवादों के भंवर में फंस गया. शिर्डी में साईबाबा मंदिर जाकर दर्शन करने के उपरान्त सीएम शिंदे सिन्नर तहसील अंतर्गत इशानेश्वर मंदिर गये. जहां पर उन्होंने अंकशास्त्र के अभ्यासक ज्योतिष्य कैप्टन अशोक खरात से भेंट की. चर्चा है कि, इस दौरान उन्होंने ज्योतिष्य अशोक खरात को अपना हाथ दिखाई हुए अपना व अपनी सरकार का भविष्य जानना चाहा. जिसे लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही है. वहीं विपक्ष इसे लेकर सत्ता पक्ष के खिलाफ हमलावर हो गया है. साथ ही प्रगतिशील कहे जाते महाराष्ट्र के लिए इसे दकीयानुसी सोच बताया जा रहा है. इसी सब हंगामें के बीच अब खुद ज्योतिषी अशोक खरात ने आगे आकर स्पष्टीकरण दिया है कि, सीएम शिंदे इशानेश्वर मंदिर में केवल दर्शन हेतु आए थे और उन्होंने अपना भविष्य जानने का कोई प्रयास नहीं किया. अत: इसे लेकर चल रही चर्चाओं का कोई अर्थ नहीं है.
सीएम शिंदे के साथ उनकी पत्नी सहित शालेय शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर व राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील भी थे. जिसमें से केसरकर ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि, वे खुद साईबाबा के भक्त है और उसी परिसर में कैप्टन खरात नामक उनके एक मित्र रहते है. जिनके द्बारा इशानेश्वर मंदिर का संचालन किया जाता है. शिंदे ने मंदिर में गौशाला के निर्माण हेतु दान राशि प्रदान की थी. ऐसे में कैप्टन खरात की इच्छा थी कि, गौशाला का काम शुरु होने से पहले सीएम शिंदे इस मंदिर को भेंट दे. इन्हीं कैप्टन खरात का प्रोफेशन भविष्य बताने का है, लेकिन यदि शिंदे को अपना व अपनी सरकार का भविष्य जानना होता, तो वे इशानेश्वर मंदिर जाने की बजाय खरात को मुंबई भी बुला सकते थे. परंतु सीएम शिंदे ने अपने द्बारा दी गई दान राशि से मंदिर में चल रहे गौशाला के काम को देखने हेतु इशानेश्वर मंदिर जाकर कैप्टन खरात से मुलाकात व चर्चा की और सीएम शिंदे ने अपने इस दान का कोई प्रचार-प्रसार भी नहीं किया. इसके लिए तो उनकी तारीफ होनी चाहिए.
* आत्मविश्वास नहीं रहा तो ज्योतिष्य के पास जाता है व्यक्ति
* राकांपा प्रमुख पवार ने कसा तंज
वहीं दूसरी ओर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार ने मुंबई में बुलाई गई पत्रकार परिषद में कहा कि, जब किसी व्यक्ति में खुदके कामों को लेकर आत्मविश्वास नहीं रहता, तो वह फलज्योतिष्य जैसी बातों पर भरोसा करने लगता है. ऐसा ही कुछ इस मामले में भी हुआ है. इसके साथ ही अगले 2 माह के भीतर राज्य सरकार के गिर जाने की संभावना को लेकर पूछे गये सवाल पर भी पवार ने कहा कि, सरकार कब गिरेगी. यह बताने के लिए वे कोई ज्योतिष्य नहीं है. वहीं वे आज तक अपने किसी दौरे को बीच में छोडकर हाथ दिखाने के लिए किसी ज्योतिष्य के पास भी नहीं गये. पवार के मुताबिक महाराष्ट्र को विज्ञान पर आस्था रखने वाला प्रगतिशील राज्य कहा जाता है. ऐसे राज्य का मुख्यमंत्री अगर अंधश्रद्धा को खाद-पानी डालने का काम करता है, तो यह शर्मनाक है.