अमरावती /दि.8- प्रदेश के मंत्रिमंडल सदस्य अब्दूल सत्तार द्बारा शरद पवार की सुपुत्री सांसद सुप्रिया सुले पर की गई अभद्र टिप्पणी पर अमरावती में भी व्यापक लानत-मलानत हो रही है. सभी वर्गो के लोगों ने मंत्री रहते बार-बार संतुलन खोते सत्तार की घोर निंदा की है. राजनीति के परे भी लोगों ने मंत्री सत्तार के कहें की कडी आलोचना की है. अमरावती के राजनेताओं ने मुख्यमंत्री शिंदे से सत्तार को मंत्रिमंडल से हटाने अथवा उनका इस्तीफा लेने की मांग तक की गई.
* विषय से ध्यान हटाने का प्रयास
अमरावती की विधायक और कांग्रेस नेता सुलभाताई खोडके ने किसी महिला के विषय में इस तरह की बयानबाजी का तीव्र निषेध किया. अमरावती मंडल से बातचीत में सुलभाताई ने कहा कि, मंत्री रहने के बाद भी सत्तार का इस तरह का बयान लगता है किसी साजिश का हिस्सा है. प्रदेश की असंवैधानिक सरकार और उसके कामकाज से लोगों का ध्यान हटाने की यह कोशिश है. खोडके ने कहा कि, ऐसा बयान, तो कोई बचकाना भी नहीं देता. सत्तार को राजनीति में इतने वर्ष हो गये है. वे महाराष्ट्र के माननीय मंत्री है. ऐसी भाषा शोभा नहीं देती. मुख्यमंत्री शिंदे ने उनका राजीनामा लेना चाहिए.
* ‘बिनडोक’ है सत्तार- वानखडे
दर्यापुर के विधायक बलवंत वानखडे ने कहा कि, गत 3 वर्षों से वे सत्तार को देख रहे है. हमेशा बकवास करते रहते है. बिनडोक है. किसी स्त्री पर टिका-टिप्पणी करने की हमारी संस्कृति नहीं है. अब्दूल सत्तार मंत्री है. उन्हें अपने बोलने का भान रखना चाहिए. जिस तरह का वक्तव्य उन्होंने दिया है, उससे किसी की भी जान खौल सकती है. अब्दूल सत्तार बडे नेता है. थोडी धीर गंभीर बात उन्होंने करनी चाहिए.
* हम पूर्णत: असहमत- गावंडे
अमरावती के महापौर रह चुके भाजपा नेता चेतन गावंडे ने अब्दूल सत्तार के बयान से पूर्ण रुप से असहमति जताते हुए कहा कि, महिलाओं का सम्मान का सर्वप्रथम ध्यान रखा जाना चाहिए. शिंदे-फडणवीस सरकार के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने सत्तार के बयान पर खेद व्यक्त कर दिया है. ऐसे भी महाराष्ट्र की राजनीतिक संस्कृति ऐसे बयान या किसी कारगुजारी को मान्य नहीं करती. उसी प्रकार शरद पवार, सुप्रिया सुले, अजीत पवार का महाराष्ट्र की प्रगती में जोरदार योगदान है. इसे कोई कभी नकार नहीं सकता. हमारे यहां कहा गया है कि, जहां नारी की पूजा होती है, सम्मान होता है, वहां देवता वास करते हैं. इसी विचार पर हम चलते आ रहे हैं, चलते रहेंगे. सत्तार की बात से बिल्कुल सहमत नहीं.
* जनप्रतिनिधि कहलाने का हक नहीं
राकांपा युवक कांग्रेस अध्यक्ष अमोल पाटील भारसाकले ने कहा कि, अब्दूल सत्तार को जनप्रतिनिधि कहलाने का भी अधिकार नहीं है. क्योंकि वे बार-बार विवादास्पद वक्तव्य करते रहे है. उनके हाव भाव और हाथों के इशारें भी साबित करते है कि, उन्हें सत्ता की बडी मस्ती है. शिंदे-फडणवीस सरकार में सबकुछ ऑल वेल नहीं. मस्ती रहने पर मतदाता चुनाव में वह उतार कर ही रहेंगे. महाराष्ट्र के सुसंस्कृत राजकारण में सत्ता का इतना मद (अहंकार) कभी नहीं देखा गया. सांसद सुप्रिया ताई के विषय में जो बयान उन्होंने दिया है, वह केवल निशेधार्य नहीं, तो सीएम शिंदे ने उनका त्यागपत्र लेना चाहिए. सत्तार ने बता दिया कि, उनकी निगाह में एक महिला जनप्रतिनिधि के प्रति उनकी क्या भावना और सोच हैं.