ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का प्रभावी माध्यम सहकारी बैंक
अतिरिक्त सहकार आयुक्त आखरे ने कहा
अमरावती/ दि. 2– सहकारी बैंक ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव को मजबूत करने का प्रभावी माध्यम हैं. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नागरी सहकारी बैंकों के संचालकों को महत्वपूूर्ण जिम्मेदारी निभानी चाहिए. 2025 जीजाउ बैंक का रौप्य महोत्सव वर्ष रहने से हजार करोड का बिजनेस बैंक ने करना चाहिए, ऐसी अपेक्षा अतिरिक्त सहकार आयुक्त मिलिंद आखरे ने व्यक्त की. वे जिजाउ बैंक को दी गई भेंट के दौरान बोल रहे थे.
अतिरिक्त सहकार आयुक्त आखरे ने जीजाउ बैंक को अपनी सदिच्छा भेंट दी. इस अवसर पर जीजाउ बैंक के अध्यक्ष अविनाश कोठाले ने उनका पुष्पगुच्छ प्रदान कर स्वागत किया. इस समय अविनाश कोठाले ने बताया कि बैंक के 425 करोड रूपए के निवेश, 277 करोड का कर्ज वितरण, बैंक का एनपीए 31 मार्च 2024 को 3 प्रतिशत के भीतर आरबीआय के निर्धारित मापदंड के अनुसार जीजाउ बैंक फायनेंशियल साउंड एंड वेल मैनेज बैंक का मापदंड पूर्ण कर रही है. सहकारी बैंकों को 31 मार्च के बैलेंस शीट के अनुसार संवैधानिक अंकेशन के अनुसार 3 प्रतिशत के भीतर अनुत्पादक की शर्त पूर्ण करने और अन्य मापदंड बैंक पूर्ण करने पर सुपरवाइजिंग एक्शन फ्रेम से आरबीआई ने निकालने की नीति अपनानी चाहिए.
आखरे ने आगे कहा कि सहकारी बैंक के सभी संचालकों ने उनकी संस्था की उपविधि में रहनेवाला बैंक का टारगेट और वह हासिल करने के लिए संचालकों ने किए हुए प्रयास बहुत ही आवश्यक है और अनेक संस्था पूर्ण करते नहीं दिखती, ऐसा खेद भी आखरे ने व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि इसलिए अनेक बैंक 30-40 वर्ष के समय में हजार करोड का टारगेट हासिल नहीं कर पायी है. नागरी सहकारी बैंक यह अर्थ विका की रीढ रहने से अपना प्रदेश विकसित करना हो तो इस दृष्टि से संचालकों ने ग्रामीण भारत से रिश्ता रखकर ग्रामीण संस्थाओं का एहसास रखकर खेती से संबंधित उद्योग पर जोर देना चाहिए. तहसील स्तर के लोग बडे प्रमाण में नागरी बैंक के साथ जुडे रहने से नागरी सहकारी बैंकों ने उनकी जरूरते पूर्ण करने पर अर्बन को- ऑपरेटिब बैंकों का बिजनेस बढेगा और ग्रामीण प्रदेश विकसित होगा.
नागरी बैंकों ने अत्याधुनिकता के साथ चलकर कौशल विकसित कर पुराने ग्राहकों को इकट्ठा कर अच्छे ग्राहकों को सिबिल अनुसार वापस लौटाने की क्षमता के नुसार कम ब्याज दर से कर्ज देने की योजना बनानी चाहिए. ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को विविध कर्जदारों को बैंक ने जोडकर अपना आर्थिक व्यवहार का व्यवसाय मजबूत करना चाहिए. युवाओं को सहयोग करते समय जिला उद्योग केन्द्र आर्थिक विकास मंडल साथ ही अनेक सब्सिडी की योजनाओं का समावेश युवाओं को आत्मनिर्भर रहने के लिए आर्थिक मदद करने पर अपने कार्यक्षेत्र के आर्थिक प्रगति हो सकती है. इसीलिए नागरी सहकारी बैंकों ने आरबीआई की नीति के अनुसार बैंकिंग व्यवसाय चलाते समय नियम, अनुशासन का पालन करें. साथ ही युवाओं को भी समाविष्ट करें, ऐसा आवाहन आखरे ने किया.