अमरावतीमहाराष्ट्र

विदर्भ के नंदनवन चिखलदरा में लिया जा रहा कॉफी का उत्पादन

ब्रिटिशकाल से कॉफी का उत्पन्न लेनेवाला राज्य का एकमात्र पर्यटन स्थल

विदर्भ के नंदनवन चिखलदरा में लिया जा रहा कॉफी का उत्पादन
* ब्रिटिशकाल से कॉफी का उत्पन्न लेनेवाला राज्य का एकमात्र पर्यटन स्थल
चिखलदरा/दि. 2– विदर्भ के नंदनवन के नाम से विख्यात पर्यटन स्थल चिखलदरा में ब्रिटिशकॉलीन कॉफी के बागान बडे प्रमाण में है. आदिवासी सहित अन्य स्थानिकों को बडे प्रमाण में रोजगार उपलब्ध करवाने की दृृष्टि से कदम बढाना जरूरी है.
अनेक बार कॉफी के बागानों के विषय को लेकर चर्चा हुई. किंतु बात नहीं बनी. इन काफी के बागानों से अनेकों बेरोजगारों को रोजगार मिल सकता है. चिखलदरा राज्य में कॉफी उत्पादन करनेवाला एकमेव हिल स्टेशन है. चिखलदरा में चाय के बागान विकसित कर चाय का उत्पादन भी लिया गया था. ऐसा ब्रिटिश अधिकारी ए. ई. नेलसन व बैचलर अर्नेस्ट के पंजीयननुसार चिखलदरा में उस समय चाय और काफी के निजी बागान बडे प्रमाण में थे. आज भी चाय के बागान रोमन कैथलीक मिशन की जमीन पर हैं.
* 100 एकड में कॉफी की बुआई
मरियमपुर परिसर में लगभग 100 एकड कॉफी की बुआई की गई. ब्रिटिशकालीन पंजीयन के अनुसार चिखलदरा यहां 97. 200 यानी 240 एकड में कॉफी की बुआई होती थी. आज मात्र 17 हेक्टर क्षेत्र में कॉफी की बुआई की जा रही है. चिखलदरा गार्डन, वन विभाग के बंगले, विश्रामगृह परिसर सहित मरियमपुर में कॉफी के बागान देखे जा सकते है.
* केरल से लाए गये थे कॉफी के पौधे
अंगे्रज अधिकारी जेम्स मूल्हेरन ने चिखलदरा में सर्वप्रथम कॉफी की बुआई की थी. उन्होंने कॉफी के पौधे केरल से मंगवाए थे और अपने मूल्हेरन कॉटेज नामक बंगले के परिसर में 1860 से 1861 के दौरान कॉफी के पौधे लगाए थे. उसके बाद 1897-98 के दौरान रोमन कैथलिक मिशन की शुरूआत करनेवाले फादर थेवनेट ने रोजगार के साधन का विचार कर 1910 में यहां कॉफी के बागान विकसित किए थे.

Related Articles

Back to top button