पारंपारिकता के बाहर जाकर बौध्दिक क्षमता विकास करने का संयोग
कुलगुरु डॉ.नितीन करमालकर का प्रतिपादन,
अमरावती दि. 11 – हाल ही में घोषित हुई नई शैक्षणिक नियोजन प्रणाली ने पारंपरिक शिक्षा की बंदिस्त शिक्षा प्रणाली के बजाए मुक्त शिक्षण व्यवस्था को अपनाया है. विद्यार्थियों को अपनी इच्छानुसार विषयों के चयन कर पारंपरिकता पद्धति को छोडकर अपनी बौद्धिक क्षमता को विकसित करने का संयोग इस नए शैक्षणिक नियोजन में है, ऐसा मत प्रा. डॉ. के. एम. कुलकर्णी ने व्यक्त किया है. नया शैक्षणिक नियोजन 2020 इस विषय पर आयोजित एक दिवसीय वेबीनार के उद्घाटन के समय संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि बदलते समाज की आवश्यकताएं, अपेक्षाऐ, एवं उद्देश्य का ध्यान में रखते हुए इस नियोजन का निर्माण हुआ है. यह भविष्य में कहां तक फायदेमंद साबित होगा इसकी चर्चा करने हेतु ऐसे कार्यक्रम का आयोजन करने की आवश्यकता है. प्रमुख अतिथि प्रा. प्रदीप खेडकर ने शैक्षणिक क्षेत्र के सभी घटकों तक इस नए शैक्षणिक नियोजन को महाविद्यालय व्दारा आयोजित वेबीनार के माध्यम से पहुंचाने का काम किया है. शासन व्दारा जारी किए गए शैक्षणिक नियोजन को सर्वसामान्य तक पहुंचाना यह हमारे सामने एक चुनौती है.
एक दिवसीय वेबिनार में अध्यक्ष के रुप में प्राचार्य डॉ. एन.एस. ठाकरे, एम.एस.सी.पी. कला व वाणिज्य महाविद्यालय मानोरा उपस्थित थे. इस समय मार्गदर्शन डॉ. दीपक धोटे ने किया. इस समय प्रमुख अतिथि के रुप में संत गाडगेबाबा विद्यापीठ के प्रभारी कुलपति डॉ. व्ही.एस. भाले ने कहा कि वर्तमान शैक्षणिक प्रणाली में विद्यार्थियों एवं शिक्षकों का संवाद होना आवश्यक है. कार्यक्रम का प्रास्तविक प्राचार्य डॉ. मीनल ठाकरे ने किया तथा आभार प्रा. सोनाली आसकर ने माना. कार्यक्रम का संचालन डॉ. स्वाती गिरासे, डॉ. स्मिता ठाकरे, डॉ. मरियम थॉमस एवं डॉ. जगदीश बावणे ने किया.