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सांसद बोंडे व विधायक पोटे में शीत युध्द!

अतिक्रमण हटाने के मामले को लेकर शुरू हुआ संघर्ष

* बोंडे ने डेप्यूटी सीएम फडणवीस को लिखा पत्र
* पोटे ने कोई भी मतभेद रहने से किया इन्कार
अमरावती/दि.18– विगत कुछ दिनों से महाराष्ट्र की राजनीति में विभिन्न राजनीतिक दलों के भीतर रहनेवाला मतभेद खुले तौर पर सामने आने लगा है. इससे कोई भी राजनीतिक दल अछूता नहीं है. शिवसेना में हुए ऐसे ही मतभेद की वजह से राज्य की राजनीति में बडा भारी भूकंप आया और शिवसेना के हाथ से राज्य की सत्ता जाती रही. इसके अलावा कांग्रेस पार्टी में भी अंतर्गत कलह रहने से संबंधित कई खबरें सामने आती रही है. इसके अलावा यद्यपि राष्ट्रवादी कांग्रेस में अंतर्गत कलह से संबंधित कोई खबरें सुनाई नहीं दी. लेकिन राकांपा में अन्य दलों के नेताओं का समावेश जरूर हो रहा है. जिनमें सबसे प्रमुख नाम भाजपा के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे का है, जो अब राकांपा में है. साथ ही भाजपा में भी कुछ स्थानों पर वैचारिक मतभेद की चिंगारी पड चुकी है. ऐसी खबरें सामने आ रही है. जिसका ताजा उदाहरण अमरावती शहर में भाजपा के राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे व विधान परिषद सदस्य प्रवीण पोटे पाटील के बीच चल रहे वैचारिक संघर्ष को कहा जा सकता है और इन दोनों नेताओें का मतभेद शहर में व्याप्त अतिक्रमण को हटाने हेतु शुरू की गई कार्रवाई को लेकर सबके सामने उजागर हो गया है.
बता दें कि, अमरावती शहर में इन दिनों अतिक्रमण की समस्या काफी अधिक बढ गई है. जिसे देखते हुए विगत दिनों राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे ने मनपा प्रशासन के साथ बैठक की और शहर में व्याप्त अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई शुरू करने को लेकर आवश्यक दिशानिर्देश जारी किये. जिसके बाद मनपा के अतिक्रमण विरोधी पथक ने शहर में रहनेवाले अतिक्रमण व अवैध निर्माण पर ‘गजराज’ यानी बुलडोजर चलाने की शुरूआत की. मनपा द्वारा शुरू की गई इस कार्रवाई से हडबडाये कई व्यापारी तुरंत ही अपनी गुहार लेकर पूर्व जिला पालकमंत्री प्रवीण पोटे पाटील के पास पहुंचे. जिसके उपरांत विधायक प्रवीण पोटे पाटील ने तुरंत मौके पर पहुंचकर मनपा अधिकारियों को आडे हाथ लिया और कार्रवाई को रोकने के लिए कहा. इस समय मीडिया से बातचीत के दौरान विधायक प्रवीण पोटे ने अतिक्रमण को लेकर सांसद डॉ. बोंडे के निर्देश व मनपा की कार्रवाई का एक तरह से समर्थन करते हुए कहा कि, शहर में वाकई अतिक्रमण की समस्या काफी गंभीर हो चुकी है. जिसे दूर किया जाना आवश्यक भी है. लेकिन ऐसा करते समय व्यापारियों को पहले नोटीस दी जानी चाहिए और आवश्यक समय देने के बाद भी अगर अतिक्रमण नहीं हटता है, तो तोडू कार्रवाई की जानी चाहिए. इस समय विधायक प्रवीण पोटे व मनपा अधिकारियों के बीच शाब्दिक विवाद भी हुआ और मनपा की कार्रवाई को जमकर आडे हाथ लेते हुए विधायक प्रवीण पोटे ने जानना चाहा कि, जब यह अतिक्रमण बढ रहा था, तब मनपा के अधिकारी सो रहे थे क्या. अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करने से पहले किसी को कोई नोटीस क्यों नही दी गई. विधायक पोटे के मुताबिक इससे पहले दो वर्ष तक कोविड संक्रमण व लॉकडाउन की वजह से व्यापारियों का पहले ही काफी नुकसान हुआ है और अब जैसे-तैसे गाडी पटरी पर लौट रही है, तो मनपा द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई शुरू की गई है. वहीं दूसरी ओर सांसद डॉ. अनिल बोंडे ने इस कार्रवाई के लिए मनपा प्रशासन की तारीफ की है.
ऐसे में अब एक ही समस्या को लेकर मनपा द्वारा की जा रही कार्रवाई के संदर्भ में एक ही पार्टी के सांसद व विधायक द्वारा दो अलग-अलग भूमिकाएं अपनाए जाने के चलते प्रशासन भी संभ्रम में दिखाई दे रहा है और किसकी बात सुनी जाये व किसकी नहीं, इसे लेकर मनपा अधिकारी पशोपेश में है. वहीं दूसरी ओर राजनीतिक क्षेत्र में भी सांसद बोंडे व विधायक पोटे के बीच चल रहे इस मतभेद व विरोधाभास को लेकर भी चर्चाएं तेज हो गई है. हालांकि दोनों ही नेताओं ने अपने बीच किसी भी तरह का कोई मतभेद या संघर्ष रहने की बात से इन्कार किया है.

* ‘वे’ शायद गलतफहमी का शिकार
पता चला है कि, राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे ने इस बारे में राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नाम पत्र लिखते हुए महानगरपालिका द्वारा शुरू की गई अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई की सराहना की है. वहीं यह भी कहा है कि, कुछ सम्मानित जनप्रतिनिधियों के मन में उनकी भूमिका व इस कार्रवाई को लेकर गलत फहमिया है. इस जरिये डॉ. बोंडे ने अप्रत्यक्ष तौर पर विधायक प्रवीण पोटे पर निशाना साधा है. साथ ही इस अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई को राज्य सरकार को समर्थन दिये जाने की बात भी कही है.
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* यह तो डॉ. बोंडे को बदनाम करने का प्रयास
वहीं दूसरी ओर इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए विधायक प्रवीण पोटे पाटील ने कहा कि, वे डॉ. बोंडे या मनपा के अतिक्रमण कार्रवाई का विरोध नहीं कर रहे, बल्कि उनका यह मानना है कि, ऐसी कार्रवाई शुरू करने से पहले संबंधित व्यापारियों को नोटीस दी जानी चाहिए थी और पूर्व सूचना देने के बावजूद भी अगर अतिक्रमण नहीं हटाये जाते, तो वे संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जाती. साथ ही विधायक प्रवीण पोटे ने यह भी कहा कि, इस कार्रवाई की आड लेते हुए एक तरह से उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता व सांसद डॉ. अनिल बोंडे को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है. जबकि सांसद डॉ. बोंडे ने नियमानुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया था, लेकिन मनपा प्रशासन ने आनन-फानन में तोडू कार्रवाई शुरू कर दी. जिससे स्थानीय व्यापारियों में भय व दहशत का माहौल है. इस समय मूसलाधार बारिश का दौर भी चल रहा है. ऐसे में कार्रवाई के नाम पर तोडी गई दुकानों में बारिश का पानी घुसने का भी खतरा है. जिससे बडे पैमाने पर नुकसान हो सकता है. वे चाहते है कि, इन सभी बातों का इस कार्रवाई के दौरान ध्यान रखा जाये.

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