अमरावती

रंगारंग, शानदार व ऐतिहासिक रहा हास्य कवि सम्मेलन

ख्यातनाम कवियों ने अपनी रचनाओं से जमकर गुदगुदाया

* संपत सरल व घनश्याम अग्रवाल के चुटीले व्यंग्य छाए रहे
* शकील आजमी की अदबी शायरी ने जमकर लूटी दाद
* कपील जैन, मनोज मद्रासी, अशोक भाटी व संगीता सरल को भी मिली वाहवाही
* शिव जयंती पर शिवसेना उबाठा का भव्य-दिव्य आयोजन
* आत्महत्याग्रस्त किसानों व वीर जवानों के परिवारों की सम्माणपूर्ण सहायता
अमरावती/दि.13 – छत्रपति शिवाजी महाराज की पंचांग तिथिनुसार जयंती के अवसर को साधते हुए उद्धव ठाकरे गुट वाली शिवसेना द्बारा विगत शनिवार 11 मार्च की शाम 7 बजे से स्थानीय संत ज्ञानेश्वर सांस्कृतिक भवन में अखिल भारतीय हिंदी हास्य कवी सम्मेलन का आयोजन किया गया. जो रंगारंग व शानदार होने के साथ ही भव्य-दिव्य एवं ऐतिहासिक भी रहा. इस कवी सम्मेलन में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातनाम रहने वाले कवि संपत सरल, मशहूर शायर शकील आजमी, वरिष्ठ कवि घनश्याम अग्रवाल सहित अशोक भाटी, कपील जैन, मनोज मद्रासी व संगीता सरल ने अपनी एक से बढकर एक घटनाएं सुनाई. जिनमें कवि संपत सरल व घनश्याम अग्रवाल ने अपने चुटीले व्यंग्यों से देश के मौजूदा हालात पर जमकर तंज कसा. वहीं शायर शकील आजमी ने उर्दू अदब से सजी मखमली नज्मे व गजलें सुनाकर खुब वाहवाही लूटी. साथ ही अशोक भाटी, कपील जैन व मनोज मद्रासी ने अपनी हास्य रचनाओं से सभी को जमकर गुदगुदाया. वहीं संगीता सरल ने अपनी रचनाओं को बेहतरीन तरन्नुम के साथ पेश करते हुए अच्छा समा बांधा.
ठाकरे गुट वाली शिवसेना के जिला प्रमुख सुनील खराटे द्बारा छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती का औचित्य साधते हुए संत ज्ञानेश्वर सांस्कृतिक भवन में आत्महत्याग्रस्त किसानों तथा देश के वीर शहीद जवानों के परिवारों को सम्माणपूर्ण सहायता देने हेतु आयोजित इस कार्यक्रम में अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष ज. मो. अभ्यंकर, विधायक सुलभा खोडके, शिवसेना उबाठा के सहसंपर्क प्रमुख सुधीर सूर्यवंशी, पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर धाने पाटिल व प्रदीप बडनेरा तथा पूर्व पार्षद प्रा. प्रशांत वानखडे व प्रदीप बाजड बतौर प्रमुख अतिथि उपस्थित थे. कार्यक्रम के प्रारंभ में सभी उपस्थित गणमान्यों द्बारा छत्रपति शिवाजी महाराज व भारतरत्न डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की प्रतिमाओं का पूजन करते हुए दीप प्रज्वलन किया गया. जिसके उपरान्त उपस्थित गणमान्य अतिथियों ने अपने समयोचित विचार व्यक्त करते हुए इस आयोजन की मुक्तकंठ से प्रशंसा की और आत्महत्याग्रस्त किसानों एवं वीर जवानों के परिजनों की सहायता करने हेतु आयोजित इस कार्यक्रम के लिए आयोजकों का अभिनंदन भी किया.
औपचारिक उद्घाटन तथा आत्महत्याग्रस्त किसान परिवारों को व वीर जवानों के परिजनों के सत्कार व सम्मान उपरान्त इस कवि सम्मेलन की शुरुआत हुई. जिसमें कवी सम्मेलन के संचालन का जिम्मा उज्जैन से आए हास्य कवी अशोक भाटी ने संभाला और भोपाल से आयी संगीता शर्मा ने अपनी सुमधूर रचना के जरिए सरस्वती वंदना प्रस्तूत करते हुए इस कवी सम्मेलन का आगास किया. पश्चात मूलत: अमरावती निवासी ख्यातनाम हास्य कवी मनोज मद्रासी सबसे पहले ‘ओपनिंग बैट्समैन’ के रुप में अपनी ‘होम पिच’ पर बैटींग करने उतरे और उन्होंने अपनी एक से बढकर एक हास्य रचनाएं सुनाते हुए उपस्थितों को जमकर गुदगुदाया. पारिवारिक जीवन व राजनीति के साथ ही सामाजिक जीवन से जुडे विभिन्न विषयों को छूते हुए मनोज मद्रासी ने सभी उपस्थितों को हंसने पर मजबूर कर दिया. उनकी यह पंक्ति विशेष तौर पर पसंद की गई कि, ‘पत्नी अगर अच्छी मिली तो पूरा घर सजा देती है और पत्नी अगर अच्छी नहीं मिली तो पूरे घर को सजा देती है’.
इसके बाद मुंबई से आए और मूलत: यवतमाल निवासी कपील जैन ने अपनी हास्य व्यंग्य की कविताओं को प्रस्तूत करने के साथ ही राजनीतिक हालात और इन दिनों राज्य मेें चल रही राजनीतिक उठापठक पर भी जमकर तंज कसा. ठाकरे गुट के हाथ से शिवसेना का नाम और चुनावी चिन्ह चले जाने को लेकर कपील जैन ने रचना सुनाई कि, ‘तीर कमान छूट गया तो क्या हुआ, हाथ और टाईमिंग साथ होना चाहिए’ अपने इस पंक्ति के जरिए उन्होंने हाथ के तौर पर कांग्रेस के चुनावी चिन्ह पंजा और टाईमिंग के तौर पर राकांपा को चुनावी चिन्ह घडी की ओर संकेत करते हुए महाविकास आघाडी की मजबूती बनाए रखने का संदेश ठाकरे गुट वाली शिवसेना को दिया. साथ ही उन्होंने योगगुुरु रामदेव बाबा द्बारा योग के नाम पर खडे किए गए उद्योग के साथ ही नोटबंदी, बढती महंगाई व बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर भी बेहतरीन रचनाएं प्रस्तूत की.
इसके उपरान्त अकोला से आए वरिष्ठ कवी घनश्याम अग्रवाल ने अपनी छोटी-छोटी हास्य व्यंग्य की रचनाओं के साथ देश के हालात पर जमकर तंग कसते हुए रचना सुनाई कि, ‘बेताल के सवाल पर विक्रम से लेकर अण्णा व मोदी सभी मौन है, जब पूरा देश भ्रष्टाचार के खिलाफ है, तो भ्रष्टाचार करता कौन है’. इस रचना को सभी की जोरदार तालिया मिली. इसके साथ ही कवी घनश्याम अग्रवाल ने पति-पत्नी की नोकझोक को लेकर रचनाएं सुनाते हुए सभी को जमकर गुदगुदाया.
इसके पश्चात उर्दू अदब की दुनिया में अच्छा खासा नाम रखने वाले मशहूर शायर व अब तक 52 फिल्मों को अपने एक से बढकर एक सुमधूर गीतों से सजा चुके शकील आजमी ने अपनी कई मखमली गजलें व महीन नज्मे सुनाते हुए इस आयोजन को एक अलग ही उंचाई पर पहुंचा दिया. जिसमें उन्होंने सुनाया कि, ‘अपने घर के फर्निचर को धुप, हवा और पानी से बचाकर रखों, क्या पता किस दिन टेबल, कुर्सी और अलमारी से हरे पत्ते उग आए, जड और जमीन का रिश्ता बडा मजबूत है साहब, पेड कभी मरता नहीं, भीतर ही भीतर हमेशा हरा रहता है.’ अपनी इस अलहदा रचना के साथ ही शकील आजमी ने अपनी आने वाली किताब ‘बनवास’ में शामिल रामायण के पात्रों पर आधारित नज्मों की जानकारी देते हुए रामायण का पात्र रहने वाली देवी अहिल्या पर लिखी हुई नज्म सुनाते हुए महिलाओं की आजादी को एक अलग ही आयाम दिया. साथ ही अपनी कई मशहूर रचनाएं सुनाकर खुब वाहवाही भी लूटी.
इसके बाद राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मंचों सहित सोशल मीडिया पर जमकर छाए रहने वाले जयपुर निवासी कवि संपत सरल ने हमेशा की तरह देश की मौजूदा राजनीति, विशेष कर सत्ता पक्ष को जमकर निशाना बनाते हुए अपनी तरकश से व्यंग्य के तीर चलाए. साथ ही मीडिया को भी अपने गद्य काव्य के जरिए जमकर आडे हाथ लिया. कवि संपत सरल ने ‘राजा के नहाने’ के प्रसंग को लेकर 10 अलग-अलग मीडिया चैनलों द्बारा चलाई जाने वाली बे्रकींग न्यूज के तरीके बताए और मीडिया द्बारा की जा रही सत्ता पक्ष की चाटूकारी को एक तरह से उजागर किया. साथ ही उन्होंने इस बात को लेकर भी अपनी चिंता जताई कि, इन दिनों भारत सहित दुनिया के अधिकांश देशों मेें स्थिति यह है कि, एक वर्चस्ववादी नेता और उसके दो-तीन समर्थक उद्योगपतियों द्बारा ही अपने-अपने देशों की राजनीति व अर्थव्यवस्था को संभाला जा रहा है और सभी सरकारी संस्थाओं पर कब्जा भी जमाया जा रहा है. यह स्थिति बेहद खतरनाक और विस्फोटक हो सकती है. अपने इस विमर्श को कवि संपत सरल ने इन पंक्तियों के साथ विशद किया कि, ‘सोने की लंका रहने वाला श्रीलंका का इन दिनों बदहाल है, हम तो केवल सोने की चिडिया ही हुआ करते थे.’
इसके उपरान्त भोपाल से आयी ख्यातनाम कवियत्री संगीता सरल ने अपने सुमधूर स्वरों में पूरे तरन्नुम के साथ अपनी कविताओं की प्रस्तूति दी. जिन्हें अच्छा खासा पसंद किया गया. इस समय कवियत्री संगीता सरल ने अपने उद्बोधन में शुद्ध व धाराप्रवाह मराठी का प्रयोग करते हुए शिवसेना उबाठा के जिला प्रमुख व कवि संम्मेलन के आयोजक सुनील खराटे से संवाद साधा, तो उनकी मराठी को सुनकर सभी उपस्थित हैरत व विस्मय में पड गए. पश्चात कवियत्री संगीता सरल ने अपनी एक से बढकर एक शानदार कविताओं व रचनाओं की गीतात्मक प्रस्तूति दी. जिसके लिए उन्हें श्रोताओं की अच्छी खासी सराहना भी मिली.
आयोजन के अंतिम चरण में कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे और उज्जैन से आए वरिष्ठ कवि अशोक भाटी ने यह रचना सुनाकर सभी का दिल जीत लिया कि, ‘माना कि, मैं फूलों के बिछौने नहीं देता, पर मैं अपनी मां को किसी भी बात पर रोने नहीं देता.’ इसके साथ ही अशोक भाटी ने अपनी इस हास्य रचना से भी सभी को गुदगुदाया कि, ‘शराब पीते है, तो तबियत खराब होती है, नहीं पीते है, तो नियत खराब होती है, इसीलिए हम एक दिन पीते है और एक दिन नहीं पीते है इससे न तबियत खराब होती है, न नियत खराब होती है.’
इस आयोजन के प्रारंभ में वीर व शहीद परिवार की कांता सांगोले, सुनिता महसांगे, रेणुका धांडे, सरस्वती मासोदकर व इंदूमति दंदी को कर्तव्य निधि का वितरण का उनका सम्मान किया गया. साथ ही आत्महत्या कर चुके स्व. पंजाब पवार, स्व. अशोक साबले, स्व. अर्जुन थोरात तथा स्व. जितेंद्र राजस इन किसानों के परिजनों को कर्तव्य निधि के साथ ही गौरक्षण की ओर से एक-एक बैलजोडी सम्मानपूर्वक प्रदान की गई. इसके साथ ही राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार प्राप्त बडनेरा निवासी अयुब भाई तथा शिवसेना के पूर्व उपजिला प्रमुख हनुमान गुर्जर का शाल, श्रीफल व कर्तव्य निधि प्रदान करते हुए विशेष रुप से सत्कार किया गया. इस सत्कार समारोह व कवि सम्मेलन में शुरु से लेकर अंत तक विभिन्न क्षेत्रों से वास्ता रखने वाले गणमान्यों की मौजूदगी बनी रही और सभी ने इस कार्यक्रम का भरपूर आनंद लिया.
जिनमें पूर्व सांसद अनंत गुढे, उद्योजक व समाज सेवक नीतिन कदम, संदीप इंगोले, याहया खान पठान, समीउल्ला खान पठान, पंकज चौधरी, विकास शेलके, संजय दुर्गे, योगेश सावले, नीलेश सावले, ज्योति अवघड, धिरज श्रीवास, आशिष पुरोहित, दिगंबर मानकर, उमेश वाट, संजय गवाडे, जयश्री कुर्‍हेकर, अर्चना धामनेकर, यश वानखडे, पंजाबराव तायवाडे, विकास शेलके, संदीप इंगोले, सनीउल्ला खान, पंकज चौधरी, इरफान अथहर अली, समील मीरावाले, डॉ. जुबैर अहमद व मुश्ताक कुरैशी सहित बडी संख्या में श्रोतागण उपस्थित थे.

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