अमरावती- दि. 1 पाबंदियों में ढील के 2 साल के ब्रेक के बाद रंगोली बाजार फला फूला नजर आ रहा है. खास बात यह है कि इस वर्ष रंगोली के दाम में कोई बढोतरी नहीं हुई है. इसलिए महिलाओं की खुशी दुगनी हो गई है. 14 कलाए और 64 विद्याए जिन्हें भारतीय भारतीय संस्कृति में माना जाता है. सबसे महत्वपूर्ण कलाओं में एक महत्वपूर्ण कला रंगोली निकालना है. रंगोली का जिक्र रामायण और महाभारत में भी मिलता है. रंगोली को धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यो में शुभ माना जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार रंगोली अशुभ शक्तियों को घर की देहलीज पार करने की अनुमति नहीं देती. यह रंगोली इस साल व्यापक रूप से उपलब्ध है. गणेश उत्सव व ज्येष्ठ गौरी उत्सव के बाद घटस्थापना, दशहरा और दिवाली जैसे बडे त्यौहार मनाए जानेवाले है. महिलाएं रंगोली बनाने के लिए उत्सुक है. इसलिए अब से बाजार में विभिन्न रंंगो की रंगोली उपलब्ध है. महिलाएं इन्हें खरीदती नजर आती है. जहां युध्द के बाद के दौर में सभी उत्पाद महंगे हो गये है. वहीं रंगोली की कीमत में बिल्कुल बदलाव नहीं आया. अलग- अलग तरह के डिजाइन बनाने के लिए अलग-अलग साइज के मोल्ड बाजार में उपलब्ध है. जिनकी कीमत 10-50 हजार रूपये के बीच है. स्वास्तिक, वील, फूल, गणेश,मयूर, पिंड आदि आकार के सांचे भी बिक्री के लिए उपलब्ध है.