अमरावती/ दि.22– नियोजनबध्द और सीमित दायरे में जीवन जीनेवाले न्यायाधीशों को वन और वन्यजीव का काफी आकर्षण रहता है. सार्वजनिक स्थलों पर वे जाना टालते हैं. उन्हें जब- जब समय मिलता है तब वे जंगल की राह पकडते है और बाघ के दर्शन हो, इस आशा में घूमते हैं. लेकिन न्यायाधीशों की चिंता वन्यजीव विभाग ने अब समाप्त कर दी है. अब न्यायधीशों ेके लिए राज्य के व्याघ्र प्रकल्प और अभयारण्य के दरवाजे खुले कर दिए गये है.
वर्तमान में ताडोबा- अंधारी, टीपेश्वर, पेंच, उमरेड- कर्हांडला में बाघ के दर्शन होते रहने से देश-विदेश के पर्यटक इसी व्याघ्र प्रकल्प में अधिक संख्या में आ रहे हैं . इस कारण पर्यटकों की दृष्टि से यह प्रकल्प काफी विशेष हो गया है. व्याघ्र प्रकल्प में भेंट देने के लिए आनेवाले न्यायाधीशों को बाघ के सहजता से दर्शन होने के लिए महत्व का निर्णय लिया गया है. राज्य के प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (वन्यजीव) महीप गुप्ता ने 19 दिसंबर 2023 को आदेश निकालकर महाराष्ट्र वन्यजीव (संरक्षण ) नियम 2014 के नियम 18 (7) अंतर्गत संरक्षित क्षेत्र मेें भेंट देनेवाले जिला व उच्च न्यायालय के न्यायधीशों को शुल्क अदा करने से छूट दी हैं.
* राज्य में व्याघ्र प्रकल्पों की संख्या
न्यायधीशों को संरक्षित क्षेत्रों में भेंट देने के शुल्क से छूट देने पर न्यायाधीश बाघ के दर्शन करने के लिए अब मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प अमरावती, चंद्रपुर के ताडोबा- अंधारी, नागपुर के पेंच, कोल्हापुर के सह्यांद्री, बोरीवली के संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान, गोंदिया के नवेगांव-नागझीरा आदि प्रमुख व्याघ्र प्रकल्प में भेंट दे सकते हैं. वे उमरेड-कर्हांडला, टिपेश्वर, बोर (वर्धा) आदि अभयारण्य का उल्लेख न रहा तो भी यहां भी न्यायधीशों को जाते आ सकेगा.
* शासन प्रशासन विविध उपाय योजना करता है
व्याघ्र प्रकल्प अथवा अभयारण्य में शासन-प्रशासन विविध उपाय योजना करता है. लेकिन न्यायमूर्ति को व्याघ्र प्रकल्प में भेंट देने का निर्णय प्रशंसनीय है. इस कारण आगामी समय में न्यायाधीशों की दृष्टिकोण से मिलनेवाले अभिप्राय से व्याघ्रप्रकल्प में कुछ बदलाव भी करते आ सकेंगे.
सुधीर मुनगंटीवार, वन व सांस्कृतिक कार्यमंत्री.